Atreya


Wednesday, February 9, 2011


                       पढ़ें पढ़ाने के लिए

 

 


पढ़ें पढ़ाने के लिए जब भी कोई किसी सफलता के मुकाम पर पहुंचता है तो माता-पिता के साथ गुरु यानी शिक्षक को भी जरूर याद करता है। यही कारण है कि भारत में हर वर्ष 5 सितंबर को शिक्षक दिवस मनाया जाता है। यही नहीं, पूरे देश में शिक्षकों के सम्मान के लिए 5 अक्टूबर को व‌र्ल्ड टीचर्स डे भी धूमधाम से मनाया जाता है। विश्व में यही एक प्रोफेशन है, जिसे सभी देशों में बराबर का सम्मान हासिल है। पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम जहां भी व्याख्यान देते हैं, अपने उन शिक्षकों को जरूर याद करते हैं, जिनकी वजह से वे इस मुकाम तक पहुंचे। अब्दुल कलाम ही क्यों, सचिन, सहवाग या सुशील कुमार भी आज अपनी उपलब्धियों के पीछे गुरुओं का सहयोग मानते हैं। एक पेशेवर शिक्षक बनने के लिए सिर्फ एमए और बीए की डिग्री ही काफी नहीं है, इसके लिए अलग से ट्रेनिंग भी लेनी होती है, जिनकी परीक्षा कई स्तरों पर होती हैं।
 

एजुकेशन हब बनाने का सपना
शिक्षा का महत्व आदिकाल से रहा है। विश्व के प्राय: सभी देशों की सरकारें शिक्षा के विकास पर सबसे अधिक पैसे खर्च करती हैं। विशेषज्ञों के अनुसार, वर्तमान में शिक्षा से संबंधित क्षेत्र ही विकास को पटरी पर ला सकते हैं। यही कारण है कि आने वाले समय में इस सेक्टर में नौकरी की धूम मचने की संभावनाएं जताई जा रही हैं। जाहिर है कि इसके लिए बहुत अधिक संख्या में ट्रेंड प्रोफेशनल्स की जरूरत पडने वाली है। इस सेक्टर की महत्ता को समझते हुए सरकार अब भारत को एजुकेशन हब बनाने का सपना देख रही है, जिसके तहत आने वाले वर्षो में नए आईआईटी, आईआईएम सरीखे इंस्टीटयूट अस्तित्व में आएंगे। स्कूल-कॉलेज, यूनिवर्सिटीज, स्किल डेवलपमेंट सेंटर्स आदि की संख्या भी बढाए जाने की उम्मीद है। जिस तरह से देश के एजुकेशन सिस्टम की काया पलटने की तैयारी हो रही है, उससे लगता है कि आने वाले सालों में इस सेक्टर में बडे पैमाने पर युवाओं को नौकरियां मिलेंगी।
 

कैसे लें एंट्री
सर्वाधिक पॉपुलर कोर्साे में से एक बीएड कोर्स में प्रवेश के लिए ग्रेजुएशन में प्राप्त अंकों के आधार पर या प्रवेश परीक्षा के आधार पर एडमिशन मिलता है। शेष कोर्सो में भी इसी तरह की प्रवेश-प्रक्रिया अपनाई जाती है। आमतौर पर बीएड प्रवेश परीक्षा में टीचिंग एप्टीटयूड, जनरल अवेयरनेस, नॉलेज एप्टीटयूट तथा प्रॉब्लम बेस्ड ऑब्जेक्टिव टाइप के प्रश्न पूछे जाते हैं। कहीं-कहीं ऑब्जेक्टिव टाइप प्रश्नों के साथ-साथ डिसक्रिप्टिव प्रश्न भी पूछे जाते हैं, जो शिक्षक सेवारत हैं और इससे संबंधित कोर्स करना चाहते हैं, उनके लिए डिस्टेंस लर्निग से कोर्स करने की सुविधाएं भी हैं, लेकिन उन्हें किसी मान्यता प्राप्त स्कूल में दो वर्ष पढाने का अनुभव आवश्यक है। इसके अलावा स्पेशल एजुकेशन में बीएड भी कर सकते हैं। यदि कॉलेज या यूनिवर्सिटी में पढाने की इच्छा रखते हैं, तो यूजीसी परीक्षा में शामिल होकर लेक्चरर पद की पात्रता हासिल कर सकते हैं। इसके लिए वर्ष में दो बार परीक्षा होती है। इस परीक्षा में पीजी विषय के अलावा सामान्य ज्ञान की जांच की जाती है। यदि आप टीचिंग में जाना चाहते हैं, तो बेहतर होगा कि आप पहले ही यह निर्धारित कर लें कि आप किस क्लास के टीचर बनना चाहते हैं। इस बार उत्तर प्रदेश बीएड की परीक्षा महात्मा ज्योतिबा फूले यूनिवर्सिटी कराएगी।
 

क्या हैं सिफारिशें
विश्वविद्यालय अनुदान आयोग ने ग्यारहवीं पंचवर्षीय योजना में 735 नए विश्वविद्यालय खोलने का प्रस्ताव सरकार के समक्ष रखा है। फिलहाल देश में लगभग 390 यूनिवर्सिटीज हैं। इतनी बडी संख्या में यूनिवर्सिटीज खुलने से लगभग तीन लाख शिक्षकों के नए पद सृजित होने की संभावना है। नॉलेज कमीशन ने भी सलाह दी है कि यदि देश को नॉलेज सोसायटी में बदलना है, तो 1500 यूनिवर्सिटीज की जरूरत होगी। वैसे, आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति (सीसीईए) ने 6000 नए मॉडल स्कूल खोलने का फैसला भी किया है। पहले फेज में 2500 मॉडल स्कूल खोले जाएंगे। केंद्र सरकार ने 11वीं पंचवर्षीय योजना (2007-12) के दौरान 50 हजार स्किल डेवलेपमेंट सेंटर्स खोलने की महत्वाकांक्षी योजना भी बनाई है। पिछले दिनों सरकार ने सूचना प्रौद्योगिकी को बढावा देने के लिए 20 नए आईआईआईटी खोलने की घोषणा की है। कहने का आशय यह है कि जनसंख्या बढने के साथ ही काफी संख्या में शिक्षितों को वोकेशनल ट्रेनिंग दिलाने की जिम्मेदारी सरकार पर होगी, जिसकी भरपाई नए-नए कॉलेज और स्कूल खोलकर पूरी की जा सकती है।
 

संभावनाएं
विशेषज्ञों के अनुसार इस फील्ड में काफी संभावनाएं हैं। एजुकेशन क्षेत्र की सबसे बडी खासियत यह है कि इसमें सभी एजुकेशनल बैकग्राउंड के लिए समान संभावनाएं हैं। यही कारण है कि बहुत सारे युवा मैनेजमेंट और आईटी करने बाद मैनेजर और इंजीनियर जैसे पदों को छोडकर एजुकेशन में कॅरियर बना रहे हैं। पिछले वर्ष ही कतर बेस्ड अल्टानमिया ग्रुप ने पुणे की एक वोकेशनल ट्रेनिंग संस्था से साथ डील की है। कई और कंपनियां भी इस क्षेत्र में कदम रखना चाहती हैं। इनमें यूएस बेस्ड ल्यू स्टर्लिग पार्टनर्स, कतर बेस्ड एजुकेशनल होल्डिंग ग्रुप आदि हैं। वहीं माइक्रोसॉफ्ट जैसी कंपनी की भी एजुकेशन सेक्टर में बडे पैमाने पर निवेश की योजना है। इसके अलावा कई और इंस्टीटयूट्स भी मेगा एक्सपेंशन प्लान पर विचार कर रहे हैं। जानकार कहते हैं कि इससे एजुकेशन सेक्टर में बडे पैमाने पर ट्रेंड प्रोफेशनल्स की जरूरत होगी। भारत सरकार द्वारा 16 सेंट्रल यूनिवर्सिटी, 370 कॉलेज, आठ इंडियन इंस्टीटयूट ऑफ टेक्नोलॉजी (आईआईटी), सात इंडियन इंस्टीटयूट ऑफ मैनेजमेंट (आईआईएम), 10 एनआईटी, 20 इंडियन इंस्टीटयूट ऑफ इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी, पांच इंडियन इंस्टीटयूट ऑफ साइंस एजुकेशन ऐंड रिसर्च (आईआईएसईआर) और 50 ट्रेनिंग व रिसर्च सेंटर खोलने के लिए 306.82 बिलियन रुपये खर्च करने की योजना है। फिलहाल इनमें से कई यूनिवर्सिटीज की शुरुआत भी हो चुकी है और जिनकी नहीं हो पाई है, वे प्रॉसेस में हैं। इस प्रकार कहा जा सकता है कि आनेवाले समय में टीचिंग से संबंधित प्रोफेशनल्स की काफी मांग रहेगी। यदि आप बेहतर और सम्माननीय पद की तलाश में हैं, तो आपके लिए बेहतर होगा कि आप टीचिंग से संबंधित प्रोफेशनल कोर्स कर लें, क्योंकि इसमें अन्य परीक्षाओं की अपेक्षा काफी नौकरियां हैं।
 

स्पेशल एजुकेशन में स्पेशल जॉब
ग्लोबल स्तर पर बढता दायरा और बदलते माहौल ने हर फील्ड को स्पेशल बना दिया है। कुछ वर्ष पहले तक स्पेशल एजुकेशन सरकारी महकमों में केवल कागजी प्रस्ताव भर हुआ करता था, लेकिन अब वहां भी इन्हें अमली जामा पहनाने की सुगबुगाहट तेज हो गई है। पिछले वर्ष दिल्ली हाईकोर्ट ने दिल्ली सरकार को हर स्कूल में स्पेशल एजुकेशन के कम से कम दो शिक्षकों को नियुक्त करने का आदेश दिया था। एक अनुमान के मुताबिक, राजधानी दिल्ली में ही दो लाख से ज्यादा विकलांग बच्चे स्कूली शिक्षा से वंचित हैं। देश भर की बात की जाए, तो इसका सहज अंदाजा लगाया जा सकता है। एक स्पेशल एजुकेशन टीचर, स्कूल-कॉलेजों के अलावा, एनजीओ, प्राइवेट और सरकारी हॉस्पिटल्स, क्लिनिक्स में अच्छे अवसर तलाश सकता है। केवल यही नहीं, स्पेशल एजुकेशन टीचर अब्रॉड में भी बेहतरीन अवसर तलाश सकता है। जैसे, यदि आप स्पीच ऐंड लैंग्वेज पैथोलॉजी में ग्रेजुएट होने के साथ इस क्षेत्र में अनुभवी भी हैं, तो ऑस्ट्रेलिया, यूके व अन्य यूरोपियन देशों में अवसर ही अवसर हैं। एक और अच्छी बात, स्पेशल एजुकेशन में प्रशिक्षित होने के बाद आप अपना खुद का काम भी शुरू कर सकते हैं। यदि टीचिंग टेंपरामेंट के साथ-साथ इनोवेशन करने का शौक भी है, तो स्पेशल एजुकेशन का क्षेत्र आपको जरूर सूट करेगा। स्पेशल एजुकेशन की फील्ड में आने के लिए आप बारहवीं से ही प्लान कर सकते हैं। डिग्री कोर्स या बीएससी इन स्पेशल एजुकेशन के साथ-साथ इस क्षेत्र में हर स्तर के कोर्सेज ऑफर किए जाते हैं। जैसे, एमएससी, एफफिल, पीएचडी सभी स्तरों पर। देश भर में ऐसे कई संस्थान हैं, जहां से स्पेशल एजुकेशन में प्रोफेशनल कोर्स किया जा सकता है। ये कोर्सेज रिहैबलिटेशन काउंसिल ऑफ इंडिया से मान्यता प्राप्त होने चाहिए। बीएड और एमएड करने के बाद टीचिंग की राह थोडी ज्यादा आसान हो जाती है। साइंस बैकग्राउंड के स्टूडेंट्स के लिए यह कोर्स फायदेमंद हो सकता है।
 

सैलरी में भी है दम
पहले के शिक्षक को काफी कम पैसे मिलते थे। इस कारण इस प्रोफेशन को पैसे की दृष्टि से कमतर आंका जाता था और इसमें वे लोग ही आते थे, जिनकी रुचि हुआ करती थी। छठे वेतन आयोग की सिफारिशें मानने के बाद अब टीचर की सैलरी पहले की अपेक्षा काफी अधिक हो गई है। यही कारण है कि योग्य और मेधावी युवाओं ने इस ओर रुख करना शुरू कर दिया है। सैलरी इस बात पर डिपेंड करती है कि आप किसी विश्वविद्यालय में पढा रहे हैं या फिर आईआईएम व आईआईटी जैसे संस्थानों में। कहने का मतलब यह है कि यदि आप प्रोफेशनल स्टूडेंट को पढाते हैं, तो आपकी सैलरी उसी अनुपात में मिलेगी। इससे संबंधित कोर्स देश के प्रमुख यूनिवर्सियों में उपलब्ध हैं। बीएड से संबंधित प्रमुख कॉलेजों के बारे में आप वेबसाइट www. indiaedu.com पर विजिट करके जान सकते हैं।
 

कहां कर सकते हैं नौकरी
यदि जॉब प्रॉसपेक्ट्स की बात करें, तो इस समय यह सेक्टर सबसे हॉट बना हुआ है। सरकारी और निजी क्षेत्रों में योग्य टीचरों की हमेशा डिमांड बनी रहती है। विदेश में भी भारतीय साइंस टीचर डिमांड में हैं। यदि आप इससे संबंधित कोर्स कर लेते हैं, तो इन क्षेत्रों में जॉब तलाश सकते हैं-
प्ले स्कूल
नर्सरी स्कूल
प्राइमरी या एलिमेंट्री स्कूल
सेकेण्डरी स्कूल
कॉलेज
यूनिवर्सिटीज
एजुकेशनल रिसर्च इंस्टीटयूट
स्पेशल स्कूल
सेल्फ इंप्लॉयमेंट के अंतर्गत अपना इंस्टीटयूट या टयूटोरियल क्लासेज भी खोल सकते हैं।
 

अध्यापक पात्रता परीक्षा (टीईटी)
टीईटी से बनेंगे टीचर
भारत में शिक्षा क्षेत्र में बदलाव के लिए भारत सरकार ने कई कमेटियां गठित की हैं। सिफारिशों को अब क्रियान्वित किया जा रहा है, जिनके तहत एनसीटीई देश में केंद्र या राज्य के सरकारी स्कूलों में पहली से आठवीं क्लास तक के टीचरों के लिए टीईटी कराने की योजना बना रही है। इसका एकमात्र उद्देश्य टीचरों की भर्ती में एकरूपता के साथ-साथ उनकी गुणवत्ता में बढोत्तरी करना है। योजना के अनुसार, स्कूलों में टीजीटी व जेबीटी टीचर चाहे रेग्युलर या फिर कांट्रेक्ट पर रखे जाएं, सभी के लिए टेस्ट पास करना अनिवार्य होगा। ये टेस्ट, सभी राज्यों में रखे जाने वाले टीचरों को पास करने होंगे। मानव संसाधन विकास मंत्रालय द्वारा 23 अगस्त 2010 को जारी नोटिफिकेशन में कहा गया है कि अब नेशनल काउंसिल ऑफ टीचर एजुकेशन के तहत पहली से आठवीं क्लास तक के जो भी जेबीटी और टीजीटी टीचर रखे जाएंगे, उन्हें पहले टीईटी पास करना होगा।
 

टीईटी के लिए योग्यता
प्रस्ताव के अनुसार, पहली से पांचवीं तक की जेबीटी टीचर के लिए सीनियर सेंकेण्डरी में 50 प्रतिशत अंक व एनसीटीई से मान्यता प्राप्त दो साल का एलीमेंट्री एजुकेशन का डिप्लोमा होना जरूरी है। 6वीं से आठवीं तक टीजीटी टीचर के लिए बीए/बीएससी में 50 प्रतिशत अंक व एक साल का बीएड जरूरी है या फिर सीनियर सेकेंडरी में 50 प्रतिशत अंक और 4 साल की बीएलएड (बैचलर इन एलीमेंटरी एजुकेशन) होनी चाहिए। पहलीं से आठवीं तक के जेबीटी व टीजीटी टीचरों को उक्त योग्यता के बाद एनसीटीई की गाईडलाइंस के आधार पर गवर्नमेंट द्वारा आयोजित टीईटी टेस्ट पास करना होगा। इस तरह की व्यवस्था इसलिए की जा रही है, ताकि टीचर की योग्यता में एकरूपता रहे। अभी तक नियम यह है कि सभी राज्यों में टीचर की नियुक्ति से संबंधित अलग-अलग नियम और योग्यता है। इस तरह की व्यवस्था से शिक्षा की गुणवता में भी सुधार की उम्मीद की जा रही है।
 

किस तरह के प्रश्नपत्र
शिक्षा के अधिकार के तहत बेसिक शिक्षा परिषद के स्कूलों में होने वाली शिक्षकों की भर्ती के लिए अनिवार्य की गई अध्यापक पात्रता परीक्षा (टीईटी) में दो प्रश्नपत्रों को शामिल करने का प्रस्ताव है। प्रत्येक प्रश्नपत्र तीन घंटे की अवधि का होगा और उसमें 150 प्रश्न होंगे। पारदर्शिता के लिहाज से दोनों प्रश्नपत्रों में सिर्फ बहुविकल्पीय प्रश्न ही होंगे, ताकि मूल्यांकन में एकरूपता रहे। टीईटी में निगेटिव मार्किंग भी होगी। प्रत्येक प्रश्न को सही हल करने पर जहां चार अंक मिलेंगे, वहीं गलत जवाब देने पर एक अंक कटेगा भी। शिक्षकों की भर्ती के लिए टीईटी पहली सीढी होगा। उत्तीर्ण करने वाले अभ्यर्थियों को ही शिक्षकों के चयन के लिए बनने वाली मेरिट लिस्ट के योग्य समझा जाएगा। यह मेरिट लिस्ट टीईटी में प्राप्त अंकों पर आधारित न होकर अभ्यर्थी द्वारा स्नातक व बीएड में हासिल किए गए अंकों के आधार पर तय की जाएगी।
 

टीचिंग है हॉट प्रोफेशन
16 लाख शिक्षकों की आवश्यकता
केंद्र के आकलन के अनुसार, कुल 58 लाख शिक्षकों में से सवा सात फीसदी पिछले वर्ष ही 55 वर्ष की उम्र पार कर चुके हैं। इसके अलावा 14 साल के सभी बच्चों को शिक्षा सुनिश्चित कराने के लिए केंद्र और राज्यों को अगले चार सालों के दौरान 12 लाख शिक्षक नियुक्त करने होंगे। न्यूपा की ताजा रिपोर्ट के अनुसार, उत्तर प्रदेश में 7 लाख शिक्षकों में 1.11 लाख शिक्षक बुढापे की ओर अग्रसर हैं। इसी तरह की स्थिति बिहार, झारखंड, उत्त्राखंड और दिल्ली राज्य में है। रिपोर्ट के अनुसार अगले तीन सालों में कुल 4.07, 167 शिक्षक सेवानिवृत्त होंगे।
 

ऑनलाइन टीचिंग भी कॅरियर
पश्चिमी देशों के कॉलेज और यूनिवर्सिटीज हाल के दिनों में अपने यहां शिक्षकों की कमी को पूरा करने के लिए भारत की ओर रुख कर रहे हैं। पर, उनकी इन जरूरतों को पूरा करने के लिए भारतीय शिक्षकों को इन यूनिवर्सिटीज में जाने की जरूरत नहीं है। दरअसल, भारत इन देशों को टीचिंग में इंटरनेट की मदद से अपनी सेवाएं प्रदान कर रहा है। प्रोफशनल टीचर्स, रिटायर्ड टीचर या फिर ऐसी महिलाएं, जिनके पास आवश्यक योग्यताएं हैं, पर वो कामकाजी नहीं हैं, इन सबके के लिए यह अवसर का नया द्वार है। ये सब लोग घर बैठे ही इन अंतरराष्ट्रीय शैक्षणिक संस्थानों के लिए या तो नौकरी कर रहे हैं या फ्रीलांसिंग कर रहे हैं। ऐम्बिएन्ट इनसाईट रिसर्च की एक रिपोर्ट से पता चलता है कि 2009 में संयुक्त राज्य अमेरिका में माध्यमिकोत्तर छात्रों में से 44 प्रतिशत छात्र अपने कुछ या सम्पूर्ण पाठ्यक्रम को ऑनलाइन ग्रहण कर रहे थे। अनुमान है कि यह आंकडा 2014 तक बढकर 81 प्रतिशत हो जाएगा।
 

बढ रही है महिला शिक्षकों की संख्या
एचआरडी मिनिस्ट्री की एजेंसी न्यूपा के ताजा सर्वेक्षण के अनुसार 12 राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों के शिक्षकों में महिलाओं की हिस्सेदारी 50 प्रतिशत से भी ज्यादा है। सबसे ज्यादा 83 प्रतिशत महिला शिक्षक चंडीगढ में हैं। उसके बाद गोआ, तमिलनाडु, दिल्ली, पांडिचेरी, पंजाब और कर्नाटक में सबसे अधिक महिला शिक्षक कार्यरत हैं।
 

क्या है आरटीई
आरटीई का मतलब राइट टू एजुकेशन है। बच्चों को मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा कानून, जो 1 अप्रैल 2010 को अस्तित्व में आया, एक मानक स्थापित करनेवाला कानून है। 6 से 14 वर्ष के बच्चों के लिए उनके आस-पडोस के स्कूलों में शिक्षा को मौलिक अधिकार बनाकर सरकारों के लिए अपनी बुनियादी जिम्मेदारी पूरी करना अनिवार्य बना दिया है। इस कानून ने स्कूलों, अध्यापकों और पाठ्यक्रम के लिए मानदंड तय कर दिए हैं।
 

प्रमुख देशों के टीचर्स डे
टीचर का प्रोफेशन सभी देशों में सम्माननीय रहा है। यही कारण है कि हर देश एक खास दिन टीचर्स डे के रूप में मनाते हैं। प्रमुख है कुछ महत्वपूर्ण देशों में मनाए जा रहे टीचर्स डे :
देश दिन या तिथि
भारत 5 सितंबर
अफगानिस्तान 24 मई
अल्बानिया 7 मार्च
अर्जेनटिना 11 सितंबर
ऑस्ट्रेलिया अक्टूबर का आखिरी शुक्रवार
ब्राजील 15 अक्टूबर
चीन 10 सितंबर
जर्मनी 5 अक्टूबर
मलेशिया 16 मई
न्यूजीलैंड 29 अक्टूबर
श्रीलंका 6 अक्टूबर
अमेरिका फ‌र्स्ट वीक ऑफ मई
जेआरसी टीम ( दैनिक जागरण )