Atreya


Friday, December 24, 2010

सारगर्भित उत्तर से मिलेगी सफलता


सारगर्भित उत्तर से मिलेगी सफलता समाज में प्रोफेसर और लेक्चरर को काफी सम्मान की दृष्टि से देखा जाता है। छठे वेतन आयोग की सिफारिशें लागू होने के बाद पद के साथ-साथ सैलरी भी काफी हो गई है। यही कारण है कि यूजीसी परीक्षा में काफी संख्या में स्टूडेंट्स बैठने लगे हैं। यूजीसी जेआरएफ और नेट की परीक्षा 26 दिसंबर को होनी है। इसके लिए आप तैयारी को अंतिम रूप देने में जुट गए होंगे। इसमें सफलता उन्हीं स्टूडेंट्स के हाथ लगेगी, जो काफी कठिन मेहनत करने के साथ ही व्यावहारिक सोच भी रखते हैं। यदि आप भी इस परीक्षा के लिए आवेदन कर चुके हैं और इसकी तैयारी में जुटे हैं, तो हम आपके लिए कुछ खास स्ट्रेटेजी बता रहे हैं, जिससे आप इस बचे हुए समय में बेहतर तैयारी करने में सफल हो सकें। सबसे पहले अपना टारगेट फिक्स करें। अब समय काफी कम हैं। इसलिए ऐसा टारगेट बनाना जरूरी हो जाता है। क्वालिफाइंग पेपर के लिए पत्र-पत्रिकाओं का अध्ययन तथा समसामयिक मुद्दों व घटनाओं से संबंधित तथ्यों का संकलन क्वालीफाइंग की शर्त को आसान बना सकता है।
 
समय का बंटवारा जरूरी
इसके लिए चार सौ अंकों की लिखित परीक्षा दो चरणों में होगी। इसमें तीन प्रश्नपत्र होंगे। पहला प्रश्नपत्र सामान्य स्तर का होगा। इस पेपर का मुख्य उद्देश्य परीक्षार्थी की शिक्षण एवं शोध क्षमता की जानकारी करना है। इसके साथ ही इसके अंतर्गत रीजनिंग एबिलिटी, कॉम्प्रिहेंसन, डाइवरजेंट थिंकिंग ऐंड जनरल अवेयरनेस से संबंधित प्रश्न पूछे जाएंगे। यह पेपर सभी अभ्यर्थियों के लिए अनिवार्य होगा तथा इसके लिए सौ अंक तथा सवा घंटा निर्धारित है। आपके लिए जरूरी है कि तैयारी के समय ही उसके महत्व के अनुसार पढाई करें। इसके लिए यदि आप अभी से सिर्फ एक घंटा का अभ्यास करते हैं, तो इस विषय की तैयारी के लिए काफी है। आपके लिए जरूरी है कि आप अभी इस पर अमल करना शुरू कर दें। इसी तरह द्वितीय प्रश्नपत्र में अभ्यर्थी द्वारा चुने गए विषय से संबंधित 50 वस्तुनिष्ठ प्रश्न होते हैं। इसके लिए भी सौ अंक तथा समय सवा घंटा है। आप किसी संबंधित गाइड से विषय से संबंधित प्रश्नों की तैयारी के लिए भी समय निर्धारित कर लें।
 
गहन अध्ययन जरूरी
तीसरा और दूसरा प्रश्नपत्र काफी अहम होता है और इसी विषय में परफॉरमेंस के आधार पर आपका चयन काफी हद तक निर्धारित होता है। जैसा कि आप जानते हैं कि तीसरा प्रश्नपत्र अभ्यर्थी द्वारा चुने गए विषय से संबंधित होता है, जिसके प्रश्न डिस्क्रिप्टिव टाइप के होंगे। इसके लिए कुल दो सौ अंक तथा ढाई घंटे रखे गए हैं। मेधा सूची निर्धारित करने वाले पेपर-दो की तैयारी के लिए संपूर्ण सिलेबस का अध्ययन आवश्यक है। साथ ही, इसकी तैयारी के सिलेबस के अनुसार वन लाइनर तथ्यात्मक नोट्स बनाना सफलता के काफी करीब पहुंचा सकता है। किसी भी परीक्षा में सफलता प्राप्त करने के लिए आपको सौ फीसदी प्रदर्शन करना ही होगा। यदि आप भी इस परीक्षा में सफलता प्राप्त करना चाहते हैं, तो अभी से बनाई गई योजना को पूरा करने के लिए जी जान से जुट जाएं। आप इस बीच पांच वर्षो के प्रश्नों को देखकर यह अंदाजा लगाकर वस्तुनिष्ठ और डिसक्रिप्टिव उत्तर लिखने का अभ्यास कर सकते हैं। इसके साथ ही इस विषय में आपकी भाषा शैली और लिखने का स्टाइल देखा जाता है। आपके लिए बेहतर होगा कि आप आदर्श उत्तर लिखने का अभ्यास करें। यदि आपके आसपास सीनियर्स हैं, तो इसमें आप उनकी भी मदद ले सकते हैं। इसके अलावा आप संबंधित विषय से संभावित प्रश्नों की एक सूची भी बना सकते हैं। इस तरह की सूची बनाने में पिछले दस वर्षो के प्रश्नों का अध्ययन काफी लाभ पहुंचा सकता है।
 
कैसे लिखें बेहतर उत्तर
परीक्षा के लिए बहुत कम समय बचा है। इस कारण आप यह सुनिश्चित कर लें कि आप किस सेक्शन से दीर्घ उत्तर लिखेंगे। इस परीक्षा में दो प्रश्न लॉन्ग होंगे, जिसके लिए 40 अंक निर्धारित हैं। इस कारण इसकी तैयारी के लिए पहले से रणनीति बनाना जरूरी है। आप क्रिटिकल और एनालिटिकल उत्तर लिखेंगे, तो अच्छे मा‌र्क्स प्राप्त कर सकते हैं। यह तभी संभव हो पाएगा, जब आप इस तरह के उत्तर लिखने का अभ्यास करेंगे। इसके अलावा इस परीक्षा में 50 शब्दों के उत्तरों की संख्या अधिक होती है। इस कारण यह स्कोरिंग माना जाता है। आप निर्धारित समय-सीमा के अंदर प्रश्नों को लिखने का खूब अभ्यास कर सकते हैं। अच्छे अंक तभी प्राप्त कर सकते हैं, जब आपका उत्तर साफ और सही हो। विशेषज्ञों का मानना है कि कोई भी एग्जामनर सभी प्रश्नों का उत्तर नहीं पढता है, लेकिन सभी प्रश्नों के उत्तर का इंट्रोडक्शन और अंत में मूल्यांकन अवश्य देखता है। यदि आप इंट्रोडक्शन में ही उत्तर से संबंधित महत्वपूर्ण टॉपिक्स लिखते हैं और अंत में उसका सारांश कम शब्दों में बेहतर तरीके से लिखने में सफल होते हैं, तो आप परीक्षा में बेहतर कर सकते हैं।
विजय झा ( दैनिक जागरण )

Saturday, December 11, 2010

चार्टर्ड अकाउंटेंट इंतजार में हैं नौकरियां

सेंट्रल बैंक में सुनहरा अवसर.


  सीए एक प्रतिष्ठा का जॉब है। इसमें वह सब कुछ है, जो आज का स्टूडेंट्स नौकरी के साथ चाहता है। यही कारण है कि कॉमर्स स्ट्रीम के स्टूडेंट्स इसे प्राथमिकता की सूची में शिखर पर रखते हैं। वेतन के मामले में यह एमबीए से किसी भी सूरत में पीछे नहीं है। अकाउंटिंग का मास्टर कहे जाने वाले इस प्रोफेशनल की पहुंच सभी क्षेत्रों में होती है, इसलिए हर कंपनी इन्हें अपने यहां जॉब पर रखना चाहती है और हर युवा इस कोर्स को करना चाहता है। युवाओं के रुझान का पता इसी से लगाया जा सकता है कि सन 2007 में जहां 2.7 लाख स्टूडेंट्स इसके एग्जाम में शामिल हुए थे, वहीं यह संख्या 2010 में 7.65 लाख हो गई। यदि आप भी सीए बनकर पैसे के साथ समाज में प्रतिष्ठा पाना चाहते हैं, तो यह प्रोफेशन सबसे उपयुक्त साबित हो सकता है।
 

क्यों है महत्वपूर्ण
अर्थव्यवस्था के विकास में इनका अहम रोल होता है। इसके महत्व का आकलन इसी से लगाया जा सकता है कि अब सीए की पहुंच आईटी सेक्टर के अलावा फाइनेंस, रिस्क ऐंड इंश्योरेंस सर्विस में भी हो गई है। इनकी बढती भूमिका को देखते हुए ही सीए को कंप्लीट बिजनेस सॉल्यूशन प्रोवाइडर कहा जाता है। किसी कंपनी या बिजनेस को कैसे चलाया जाना चाहिए, इसका प्रबंधन, कानूनी और व्यावसायिक पहलू, योजना और रणनीति, इन सब कामों के लिए सीए की जरूरत पड रही है।
 

सीए ही क्यों
सीआईआरसी के ट्रेजरार और सीए मनु अग्रवाल कहते हैं कि आप लो प्रोफाइल परिवार से हैं या किसी अमीर परिवार से, अगर मेहनत करने की क्षमता रखते हैं तो सीए के रूप में कामयाब हो सकते हैं। यह ऐसा क्षेत्र हैं, जो गरीब और अमीर, दोनों वर्ग के युवाओं को अपने यहां आने का मौका देता है। ग्रामीण हो चाहें शहरी, दोनों जगहों के छात्र यहां अपनी जगह बना सकते हैं। इसकी पढाई की फीस अन्य प्रोफेशनल कोर्स के मुकाबले बहुत कम रखी गई है, लेकिन सीए का करियर किसी भी प्रोफेशन से किसी भी मामले में कम नहीं है। इसके अलावा इस कोर्स की सबसे बडी खासियत यह है कि इसमें कोई बेरोजगार नहीं रहता है और इसे घर बैठकर भी किया जा सकता है। इसमें सैलरी भी काफी होती है। सीए के अगस्त-सितंबर 2010 के कैंपस प्लेसमेंट में तोलाराम कॉरपोरेशन प्राइवेट लिमिटेड ने तीन स्टूडेंट्स को 21-21 लाख रुपये प्रतिवर्ष दिए थे।


 
चार्टर्ड अकाउंटेंट इंतजार में हैं नौकरियां 














क्या है सीए
सीए संसदीय अधिनियम द्वारा पारित कोर्स है। इसमें रेगुलर क्लास की अनिवार्यता नहीं है। देश में चार्टर्ड अकाउंटेंसी का कोर्स सन 1949 में शुरू किया गया था। यह एक प्रोफेशनल कोर्स है,जिसे चलाने के लिए द चार्टर्ड अकाउंटेंट ऑफ इंडिया का गठन किया गया, जिसका कार्य पाठ्यक्रम चलाने की जिम्मेदारी के साथ चार्टर्ड अकाउंटेंसी का एग्जाम कराना तथा प्रैक्टिस करने के लिए लाइसेंस जारी करना है।
चार्टर्ड अकाउंटेंसी परीक्षा प्रोग्राम
किस तरह की परीक्षा
चार्टर्ड अकाउंटेंसी प्रोग्राम के तीन पार्ट हैं।
कॉमन प्रोफिशिएंसी टेस्ट (सीपीटी)
इंट्रीग्रेटेड प्रोफे शनल कम्पीटेंस कोर्स (आईपीसीसी)
सीए फाइनल।
 

सीपीटी
कॉमन प्रोफेशिएंसी टेस्ट में दो सेशन होते हैं, प्रत्येक सेशन 100 नम्बर का है और हर सेशन में दो सेक्शन होते है। प्रत्येक सेशन के लिए दो घंटे का समय निर्धारित है। प्रश्न ऑब्जेक्टिव ही पूछे जाते हैं तथा मार्किग निगेटिव होती है। सेशन एक के सेक्शन ए में फंडामेंटल ऑफ अकाउंट 60 नंबर का एवं मार्के टाइल लॉ से 40 नम्बर के प्रश्न होते हैं। सेशन द्वितीय के सेक्शन सी एवं डी से जनरल इकोनॉमिक्स 50 नम्बर तथा क्वांटेटिव एप्टीट्यूड से 50 नम्बर के प्रश्न पूछे जाते हैं। पहले सिर्फ बारहवीं पास स्टूडेंट्स को ही इस तरह की परीक्षा देने की अनिवार्यता थी, लेकिन अब सभी स्टूडेंट्स के लिए अनिवार्य है।
 

आईपीसीसी
आईपीसीसी के विषयों को दो समूहों में विभाजित किया गया है। आईपीसीसी परीक्षा के माध्यम से बिजनेस स्ट्रेटेजी, टैक्सेस इंफार्मेशन टेक्नोलॉजी और ऑडिट के साथ बिजनेस कम्युनिकेशन ज्ञान को भी परखा जाता है। इसके अंतर्गत दो ग्रुप होते हैं। आप चाहें तो दोनों ग्रुप एक साथ दे सकते हैं या एक-एक ग्रुप अलग-अलग दे सकते हैं। आईपीसीसी का एक ग्रुप पास करने के बाद आप आर्टिकलशिप के लिए योग्य जाते हैं। आप चाहें, तो किसी सीए फर्म में आर्टिकलशिप ज्वाइन कर सकते हैं। कहने का आशय यह है कि तीन वर्ष की आर्टिकलशिप ट्रेनिंग करने के बाद ही आप फाइनल परीक्षा में बैठने के लिए योग्य हो सकते हैं।
 

सीए-फाइनल
फाइनल में स्टूडेंटृस को अकाउंटेंसी प्रोफेशन से संबंधित विषयों के एडवांस स्टेज की जानकारी दी जाती है। इसमें विद्यार्थियों को फाइनेंशियल रिर्पोटिंग,फाइनेंशियल मैनेजमेंट, एडवांस मैनेजमेंट इन अकाउंटिंग, ऑडिटिंग ऐंड प्रोफेशनल एथिक्स, इंफॉर्मेशन सिस्टम कंट्रोल ऐंड ऑडिट, प्रिंसपल ऑफ ई गवर्नेस, कॉरपोरेट ऐंड एलाइड लॉ, इंटरनेशनल टैक्सेसन ऐंड वैट आदि से संबंधित ज्ञान का परीक्षण किया जाता है। इसमें भी दो ग्रुप होते हैं और आप चाहें, तो दोनों ग्रुप को एक साथ दे सकते हैं। फाइनल एग्जामिनेशन में कैंडिडेट्स को दो ग्रुपों में आठ प्रश्नपत्र पास करने होते हैं। प्रत्येक प्रश्नपत्र सौ अंक का होता है।
 

अपडेटेड कोर्स है सीए
सीए अब किसी कंपनी के व्यवसाय के बडे से बडे ऑपरेशन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने लगा है। पहले उसकी भूमिका अकाउंट संभालने तक ही सीमित थी। आज इसके कोर्स को अपडेट करके कम्प्यूटर ट्रेनिंग, कम्युनिकेशन स्किल और पर्सनेलिटी डेवलपमेंट से भी जोड दिया गया है। इंस्टीट्यूट समय और आवश्यकता के अनुरूप कोर्स में समय-समय पर बदलाव करता रहता है, ताकि स्टूडेंट्स नई-नई जानकारी से अपडेट होते रहें। एक कामयाब सीए बनने के लिए पेशे की अच्छी समझ, कमिटमेंट, गंभीरता, ईमानदारी और खुद को अपडेट करते रहना जरूरी है। राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय कानून को भी समझना चाहिए।
अमरजीत चोपडा
प्रेसीडेंट, आईसीएआई, दिल्ली
 

बढ रहा है डुएल डिग्री का महत्व
सीए का प्रोफेशन अपने आप में बेहतर है, लेकिन आजकल हर कंपनियां डुएल डिग्री को वरीयता दे रही है। यही कारण है कि मैंने सीए और एमबीए किया। यदि आपके पास सीए के साथ-साथ मैनेजमेंट या बीकॉम या एमकॉम की डिग्री है, तो आपके लिए बेहतर अवसर हो सकते हैं, क्योंकि इन दिनों कंपनियां ऐसे एम्प्लाई चाहती है, जो हर तरह के काम करने में सक्षम हों। सीए का कोर्स करने के बाद आप किसी भी कंपनी में बतौर फाइनेंस मैनेजर, फाइनेंशियल कंट्रोलर, फाइनेंशियल एडवाइजर या फाइनेंस डायरेक्टर की हैसियत से काम कर सकते हैं। अकाउंटेंसी, ऑडिटिंग, टैक्सेशन, इंवेस्टीगेशन तथा कंसलटेंसी, इंश्योरेंस, आईटी, पब्लिक फाइनेंस और रिस्क ऐंड इंश्योरेंस सर्विस के क्षेत्र में भी अवसरों की भरमार है। आप किसी भी स्ट्रीम से जुडे हुए हों, यदि रुचि और योग्यता है, तो किसी भी क्षेत्र में सफलता हासिल की जा सकती है। वर्तमान में आरबीआई के गवर्नर डी. सुब्बाराव एमटेक हैं और देश की अर्थव्यवस्था निर्धारित कर रहे हैं।
राकेश दत्ता
हेड फाइनेंस, सकाटा इंक्स इंडिया लि.
 

परीक्षा की तैयारी में अनुशासन आवश्यक
सीए परीक्षा की तैयारी के लिए जरूरी है कि आप चार से पांच वर्षो के प्रश्नपत्रों को निर्धारित समय-सीमा के अंदर हल करने की कोशिश करें। बेहतर होगा कि आप घर पर रहकर परीक्षा की तरह प्रश्नों को हल करने का अभ्यास करें। इससे आपका कॉन्फिडेंस बढेगा और समय रहते तैयारी भी बेहतर हो जाएगी। इंस्टीट्यूट द्वारा सजेस्टेड आंसर भी मिलते हैं, आप उसका गहराई से अध्ययन करें। फाइनेंस सर्विस और सिस्टम ऑडिट में सीए प्रोफेशनल की काफी मांग है।
के.के. अवस्थी, सीनियर जीएम-कॉरपॉरेट, जेपीएल
 

सिस्टेमेटिक स्टडी जरूरी
चार्टर्ड अकाउंटेंसी के फाइनल वर्ष की परीक्षा दे रही छात्रा चारु कहती हैं कि सीए इतना टफ नहीं, जितना लोगों में इस कोर्स के प्रति भय व्याप्त रहता है। यदि टाइम मैनेजमेंट का ध्यान रखते हुए सिस्टेमेटिक स्टडी की जाए तो तय समय में यह कोर्स पूरा किया जा सकता है। मैं इंटरमीडिएट के बाद इंरोल्ड हुई और 2006 में सीपीटी में ऑल इंडिया में मेरी 8वीं रैंक आई और 2008 में पीसीसी में मुझे 5वीं रैंक मिली। अब फाइनल की परीक्षा दे रही हूं। मेरी यह सफलता केवल सिस्टेमेटिक स्ट्डी का ही परिणाम है।
चारु अग्रवाल, सीए फाइनल स्टूडेंट्स
 
 ट्रेनिंग में स्टाइपेंड
तीन वर्ष की ट्रेनिंग के दौरान स्टूडेंट्स को स्टाइपेंड दिया जाता है। यह स्टाइपेंड उसी सीए को देना पडता है, जिसके मार्गदर्शन में स्टूडेंट्स प्रैक्टिस करते हैं। इंस्टीट्यूट नॉ‌र्म्स के मुताबिक स्टूडेंट्स को प्रथम वर्ष एक हजार रुपये, दूसरे वर्ष 1250 रुपये एवं तीसरे वर्ष 15 सौ रुपये दिए जाते हैं।
15 दिन का जीएमसीएस कोर्स
स्टूडेंट्स को तीन वर्ष का प्रशिक्षण करने के उपरांत 15 दिनों का जनरल मैनेजमेंट ऐंड कम्युनिकेशन स्किल्स (जीएमसीएस)कोर्स करना पडता है। यह सभी स्टूडेंट्स के लिए अनिवार्य है। इसे इंस्टीट्यूट ही कराता है। इस कोर्स के माध्यम से स्टूडेंट्स को मैनेजमेंट स्किल्स मजबूत करने की कोशिश की जाती है।
 
सीए के लिए योग्यता
चार्टर्ड अकाउंटेंसी कोर्स करने के लिए न्यूनतम योग्यता बारहवीं उत्तीर्ण होना है। यदि आप ने किसी भी स्ट्रीम से 10+2 किया है या फिर परीक्षाफल आने वाला है तो आप सीपीटी यानि कॉमन प्रोफिशिएंसी टेस्ट में बैठने की योग्यता रखते हैं। इसके पहले यह नियम था कि ग्रेजुएशन करने के बाद स्टूडेंट्स को सीपीटी नहीं देना पडता था। अब सीपीटी पास करने के बाद ही आईपीसी में बैठने की अनुमति मिलेगी।
 
एग्जाम का समय
आईसीएआई की स्थापना वर्ष 1949 से लेकर वर्तमान समय तक परीक्षा का आकार एवं नेटवर्क खूब बढा है। 1949 में आयोजित पहले एग्जाम में 450 स्टूडेंट्स शामिल हुए थे, जिनकी संख्या बढकर अब एक लाख से कहीं अधिक हो गई है। देश में सीए एग्जामिनेशन 95 शहरों के 173 केन्द्रों पर साल में दो बार मई व नवम्बर में आयोजित किया जाता है।
 

नियमित पढाई जरूरी
यह मेडिकल और इंजीनियरिंग की तरह ही प्रोफेशनल कोर्स है, इसलिए इसे गंभीरतापूर्वक लेना चाहिए। सीए बनने की चाह रखने वाले को मेहनती और सच्ची लगन वाला होना चाहिए। जो पाठ्यक्रम दिया गया है, उसे पूरी तरह कवर करना चाहिए। संस्थान द्वारा दिए गए स्टडी मैटीरियल का अध्ययन सही तरीके से करना चाहिए। इसमें हर साल बहुत अधिक संख्या में छात्र बैठते हैं, लेकिन बहुत कम स्टूडेंट्स ही सफल हो पाते हैं। इस कारण यह अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं की अपेक्षा कहीं कठिन है। इसमें हर दिन कंपनी और टैक्स के नियम बदलते रहते हैं। आपको इन सबकी जानकारी होना बेहद जरूरी है। इस परीक्षा में धैर्य की काफी आवश्यकता होती है, क्योंकि आप चाहकर भी सभी परीक्षा की तैयारी एक साथ नहीं कर सकते हैं। आपको आईपीसी पास करने के बाद तीन वर्ष की ट्रेनिंग के बाद ही फाइनल परीक्षा में बैठने की अनुमति मिलती है। इस कारण इन तीन वर्षो में प्रैक्टिकल ट्रेनिंग के साथ ही अपनी तैयारी को बेहतर शेप देते रहना चाहिए। कुछ स्टूडेंट्स ट्रेनिंग के दौरान रास्ते से भटक जाते हैं और कुछ पैसे के लालच में पढाई बीच में ही छोड देते हैं या तैयारी के लिए उचित समय नहीं दे पाते हैं। इसकी संख्या इस प्रोफेशन में काफी है। आपके लिए उचित यही होगा कि आप सीए में एडमिशन लेने से पहले ही यह निश्चय कर लें कि फाइनल परीक्षा पास करने के बाद ही नौकरी करूंगा। यदि इस तरह की इच्छाशक्ति के साथ-साथ कठिन मेहनत करने की क्षमता भी आप में है, तो आप इस परीक्षा में अवश्य सफल होंगे।
 

किस तरह के कार्य
कुछ समय पहले वैश्विक स्तर पर अपने बिजनेस को विस्तार देते हुए भारती एयरटेल ने साउथ अफ्रीका में अपना कारोबार स्थापित किया तो उसमें अहम प्लेयर के रूप में एक और शख्स का नाम सामने आया। उन्होंने साउथ अफ्रीका में कंपनी का कारोबार आगे बढाने, इसकी संभावनाओं का आकलन करते हुए इस डील को सफल बनाने में अहम रोल अदा किया। यह शख्स दरअसल पेशे से एक सीए है, लेकिन इस तरह के कारोबार में इनकी भी जरूरत पडी। उनकी तरह देश में कई और सीए भी हैं, जो आज अर्थव्यवस्था को सही दिशा देने में निरंतर सक्रिय हैं। सीए को वैश्विक अर्थव्यवस्था में विकास का सारथी भी कहा जाने लगा है। एक दशक पहले तक सीए का काम खाली अकाउंटिंग तक ही सीमित था, लेकिन जमाना कुछ ऐसा बदला कि बिजनेस के क्षेत्र में होने वाली हर बडी से बडी और छोटी से छोटी डील में वह अहम प्लेयर बन कर उभर रहा है। देश-दुनिया में आए दिन होने वाले व्यवसाय और निरंतर हो रहे आर्थिक विकास में वित्तीय एप्लिकेशन को संभालने और उससे जुडी आवश्यक जानकारी रखने का काम सीए करने लगा है। वह फाइनेंशियल इंफॉर्मेशन, जिसमें बैलेंस शीट भी शामिल है, को सर्टिफाई करता है। अर्थव्यवस्था को नियंत्रित करने, इससे जुडे सिस्टम का ऑडिट और उसे सर्टिफाई करने का काम उसी के जिम्मे होता है। इसके आधार पर ही कोई कंपनी या सरकारी निकाय अपने आगे के भविष्य के बारे में कोई निर्णय लेती है। अकाउंट और फाइनेंस से हट कर देश में प्रचलित विभिन्न तरह के करों के भुगतान के हिसाब-किताब भी कहीं न कहीं सीए ही देखता है। देश में जन-कल्याण से जुडी कई योजनाएं लाई जा रही हैं, मसलन नरेगा की ही बात करें तो यह हर एक पंचायत से लेकर जिला और राज्य स्तर तक फैला है। इसमें आए दिन अनियमितता की शिकायतें आती रहती हैं। इन सबसे बचने और इस योजना की सफलता का आकलन करने के लिए ऑडिट कराने का भी प्रावधान रखा गया है। ऑडिट करने के लिए यहां भी सीए की जरूरत पडती है।
 

अवसर ही अवसर
वर्ष 2008 के बाद से भारत में चार्टर्ड एकाउंटेंट की मांग बहुत तेजी से बढ रही है। विकसित होती अर्थव्यवस्था में इस पाठ्यक्त्रम की काफी आवश्यकता है। विशेषज्ञों का मानना है कि आज भारत में किसी भी अन्य प्रोफेशनलों की अपेक्षा सीए की मांग अधिक है। वित्त और लेखा आउटसोर्सिंग की भी यदि बात की जाए तो केपीओ और बीपीओ के बढते बजार में भी चार्टर्ड अकाउंटेंट का अपना अलग ही महत्व है। एक अनुमान के मुताबिक, फिलहाल भारत में प्रतिवर्ष 9000 से 10,000 छात्र सीए की परीक्षा उत्तीर्ण करते हैं, जबकि भारत में सीए की मांग इससे कई गुना अधिक है। राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर निजी कंपनियां, बैंक और सरकारी निकाय, सभी को आज सीए की जरूरत पडती है। इसके अलावा पब्लिक अकाउंटिंग के प्रैक्टिशनर के रूप में सीए काम कर सकता है, पार्टनर या स्टाफ मेंबर के रूप में कोई फर्म ज्वॉइन कर सकता है। आयकर, सेवाकर और अप्रत्यक्ष करों की प्रैक्टिस के लिए इनकी जरूरत पडती है।
जेआरसी टीम ( दैनिक जागरण )











Friday, December 10, 2010

  जानदार लोगों का शानदार करियर

 


जानदार लोगों का शानदार करियर
















आजकल युवाओं के पास विकल्पों की कमी नहीं है। वे चाहें तो योग्यता के अनुसार विभिन्न प्रकार के कोर्स कर सकते हैं। यदि आपकी इच्छा कुछ अलग तरह का कोर्स करने की है, जिसमें बेहतर सैलरी के साथ रोमांच भी हो, तो ओशनोग्राफी का विकल्प बेहतर है। इन दिनों इससे संबंधित प्रोफेशनल की काफी मांग है।
 

कोर्स
इसमें यूजी एवं पीजी किया जा सकता है। समुद्र विज्ञान की विभिन्न शाखाओं का विषय के रूप में चयन करके पोस्ट ग्रेजुएशन भी कर सकते हैं। अधिकतर संस्थानों में प्रवेश के लिए अच्छे अंक होना आवश्यक है।
 

शैक्षिक योग्यता
यह फील्ड साइंस के उन स्टूडेंट्स के लिए है जिनकी गणित में अच्छी पकड है। इस फील्ड में 12वीं के बाद भी प्रवेश किया जा सकता है। गोवा यूनिवर्सिटी से समुद्र विज्ञान में बीएससी कर सकते हैं। ओशनोग्राफी में पीजी कोर्स वही कर सकता है जो इसी विषय में स्नातक की योग्यता रखता है।
 

व्यक्तिगत गुण
इस सेक्टर से जुडे लोगों का अधिकतर समय प्रयोगशालाओं और समुद्र के बीच ही बीतता है। वे हर समय समुद्र की गहराइयों में कुछ नया खोजने में लगे रहते हैं। इस कार्य को वही कर सकता है, जो शारीरिक एवं मानसिक रूप से मजबूत होने के साथ-साथ समुद्री जल एवं हवाओं से होने वाली परेशानियों का सामना करने में भी सक्षम हो।
 

क्या है काम
इसके विशेषज्ञ समुद्र के बहाव की दिशा और दशा, उसके फिजिकल और केमिकल रिएक्शंस, जलवायु परिवर्तन और उसके समुद्री जीवों पर पडने वाले प्रभाव आदि की जानकारी एकत्र करते हैं। इसकी कई फील्ड हैं, जिनमें विशेषज्ञता हासिल की जा सकती है। जैसे- मैरीन बायोलॉजी, जियोलॉजिकल ओशनोग्राफी, फिजिकल ओशनोग्राफी आदि।
 

क्या है ओशनोग्राफी
ओशनोग्राफी के अंतर्गत समुद्र, समुद्र तटीय क्षेत्रों, नदी मुख, तटीय जल, समुद्री जीवों, समुद्री धाराओं और तरंगों आदि का अध्ययन किया जाता है। इस फील्ड में बायोलॉजी, फिजिक्स, केमिस्ट्री, मेटियोरोलॉजी, जियोलॉजी आदि विज्ञान की कई शाखाओं का उपयोग होता है। यह एक विस्तृत विषय है और इसमें भूगर्भ विज्ञान और मौसम विज्ञान की आवश्यक चीजों के बारे में भी स्टूडेंट को जानकारी दी जाती है। समुद्री विज्ञान की फील्ड में करियर बनाने की चाह रखने वाले इसकी उप शाखाओं समुद्री जीव विज्ञान, भूगर्भ समुद्र विज्ञान, रासायनिक समुद्र विज्ञान आदि में भी भविष्य संवार सकते हैं।
 

चुनौतियों से बढते अवसर
ग्लोबल वार्मिग आज बडी चुनौती के रूप में सामने है। बढते तापमान के कारण हिमग्लेशियरों का पिघलना शुरू हो चुका है और समुद्र के जलस्तर में वृद्घि दिखाई देने लगी है। इस विभीषिका के चलते कुछ छोटे द्वीपों का तो अस्तित्व ही खत्म हो गया है। इस विकराल चुनौती का सामना करने के लिए विश्वस्तर पर शोध किए जा रहे हैं। इस काम के लिए बडी संख्या में समुद्र विज्ञान की विभिन्न शाखाओं के विशेषज्ञों की आवश्यकता है। इस विषय के अच्छे जानकारों के पास अंतरराष्ट्रीय स्तर के शोध संस्थानों के साथ काम करने के पर्याप्त अवसर उपलब्ध हैं। विशेषज्ञों के अनुसार ग्लोबल वार्मिग का संकट दिन प्रतिदिन विकराल होता जा रहा है, ऐसे में आने वाले सालों में भी इस फील्ड के योग्य लोगों के पास बेहतरीन अवसरों की कोई कमी नहीं रहेगी।
 
केमिकल ओशनोग्राफी : इसमें समुद्री जल के संयोजन और उसकी क्वालिटी का आकलन किया जाता है। समुद्र की तलहटी में होने वाले केमिकल रिएक्शन पर नजर रखने के साथ-साथ उस टेक्नोलॉजी की भी खोज की जाती है जिनसे महत्वपूर्ण नई जानकारियां हासिल हो सकती हैं।
 
जियोलॉजिकल ओशनोग्राफी : जियोलॉजिकल ओशनोग्राफर्स का काम समुद्री जल की ऊपरी तह की वास्तविक स्थिति का अध्ययन करना और समुद्र की तलहटी में पाए जाने वाले खनिज पदार्थो के बारे में पता लगाना होता है। ये लोग समुद्र के अंदर की चट्टानों के आकार-प्रकार और उनकी उम्र आदि के बारे में भी जानकारियां हासिल करते हैं।
 
फिजिकल ओशनोग्राफी : यह इस विज्ञान की बहुत महत्वपूर्ण शाखा है। इसमें समुद्र के तापमान, लहरों की गति और चाल, वायु का उस पर पडने वाला असर, ज्वार-भाटा और घनत्व आदि के बारे में अध्ययन किया जाता है। विकासशील देशों में इन प्रोफेशनल्स की विशेष मांग है।
 
मैरीन बायोलॉजी : मैरीन बायोलॉजिस्ट समुद्री जीवजंतुओं की स्थिति, मानव के लिए उनकी उपयोगिता, जीवजंतुओं की शारीरिक संरचना आदि के बारे में जानकारियां हासिल करते हैं। इन दिनों समुद्र में तेल और गैस के नए भंडारों को खोजने के लिए भी मैरीन बायोलॉजिस्ट की सहायता ली जा रही है। अपने देश में इन दिनों इस प्रोफेशन के लोगों की जबरदस्त मांग है।
 

रोजगार के अवसर
ओशनोग्राफी से संबंधित विभिन्न कोर्सो को करने के बाद अच्छा रोजगार मिलना लगभग तय हो जाता है। आप इसका प्रशिक्षण लेकर वैज्ञानिक, इंजीनियर या तकनीशियन के रूप में इस क्षेत्र से संबंधित निजी एवं सार्वजनिक कंपनियों में काम कर सकते हैं। इसका प्रशिक्षण पाने के बाद अधिकतर लोग जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया, डिपार्टमेंट ऑफ ओशनोग्राफी, ऑयल इंडिया आदि में नौकरी करते हैं।
 

वेतन
यह फील्ड वेतन के मामले में भी बहुत अच्छी है। अगर अच्छी कंपनियों से करियर की शुरुआत होती है तो सैलरी 15 हजार रुपये प्रतिमाह से अधिक ही होती है, जो कुछ समय के बाद ही इससे कहीं अधिक हो जाती है। इस फील्ड में शोधकार्य के लिए चुने गए लोगों को बहुत अधिक आकर्षक वेतन और सुविधाएं कंपनियां देती हैं।
 

प्रमुख संस्थान
यूनिवर्सिटी ऑफ मद्रास
गोवा यूनिवर्सिटी, गोवा
उत्कल विश्वविद्यालय, भुवनेश्वर
अन्नामलाई विश्वविद्यालय
मंगलौर विश्वविद्यालय, कर्नाटक
बरहामपुर यूनिवर्सिटी, उडीसा
( दैनिक जागरण )




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                 सुनहरा करियर बेहतर सैलरी

 

 

 


सुनहरा करियर बेहतर सैलरी पेट्रोलियम की खपत और उपयोगिता से शायद ही कोई अनभिज्ञ हो। पेट्रोलियम क्षेत्र में नित नई-नई खोजें हो रही हैं और वैकल्पिक ईधन की तलाश में कई नए प्रयोग भी किए जा रहे हैं। अनवरत खोज का ही नतीजा है कि पहले लोग पेट्रोल, केरोसिन, एलपीजी और डीजल को ही जानते थे, लेकिन अब इस कडी में सीएनजी भी शामिल हो गई है। यही कारण है कि इस फील्ड में ट्रेंड प्रोफेशनल्स की काफी आवश्यकता महसूस की जा रही है। विशेषज्ञों के अनुसार, आज अगर यूथ इससे संबंधित कोर्स कर लेते हैं, तो उनके सामने नौकरी की समस्या नहीं रहेगी।
 

कोर्स और योग्यता
इस क्षेत्र में सुनहरा भविष्य बनाना चाहते हैं तो आपके सामने कई तरह के कोर्स मौजूद हैं। आप चाहें तो रिजरवायर, रिफाइनरी और ऑयल ऐंड गैस में बीई और बीटेक कर सकते हैं। बीटेक के बाद संबंधित क्षेत्रों में एमटेक भी किया जा सकता है। इसके अलावा एमटेक डुअल डिग्री करने का भी विकल्प खुला है, जो पांच साल की डिग्री है और इसमें 10+2 पास आउट छात्रों को दाखिला मिल जाता है। देश के प्रमुख संस्थानों द्वारा प्रवेश परीक्षा आयोजित की जाती है, जिसमें उत्तीर्ण होने वालों को ही प्रवेश दिया जाता है। इसके साथ ही कुछ चुनिंदा संस्थान एमएससी कोर्स भी संचालित कर रहे हैं। आप चाहें तो ऑयल ऐंड गैस मैनेजमेंट से एमबीए भी कर सकते हैं। बीटेक और बीई में बारहवीं पास छात्र दाखिला ले सकते हैं।
 

बेसिक साइंस की समझ जरूरी
इस फील्ड में अपना भविष्य तलाश रहे युवाओं के लिए इसके कामकाज का तरीका समझना अधिक जरूरी होता है। इनका काम जमीन के अंदर तेल की खोज और खुदाई, नमूनों की जांच, क्रूड ऑयल को अलग-अलग करना, प्रोसेसिंग और प्रोडक्शन करना होता है। ये फील्ड मेकेनिकल माइनिंग और केमिकल इंजीनियरिंग का मिला-जुला रूप है। इसलिए बेसिक साइंस फिजिक्स, जियोलॉजी और केमिस्ट्री के छात्र इस फील्ड को करियर के रूप में अपना सकते हैं।
 

पद और कार्य
यह फील्ड कई शाखाओं में विभाजित है। स्टूडेंट्स अपनी रुचि और योग्यता के अनुरूप जिस भी शाखा को अपनाना चाहें, अपना सकते हैं। इसके प्रमुख क्षेत्र और पद निम्न हैं:
 
प्रोडक्शन इंजीनियर : प्रोडक्शन इंजीनियर तेल के कुंओं की खुदाई होने के बाद अपने दायित्वों का निर्वहन करते हुए ईधन को सतह तक लाने के बेहतर तरीके इजाद करने का काम करते हैं। अगर चाहें तो आप इस पद पर काम कर सकते हैं।
 
ऑयल वेल-लॉग एनालिस्ट : तेल के कुओं की खुदाई के दौरान कई मापों का ध्यान रखना, ऑयल फील्ड के नमूने लेना तथा नमूनों की जांच करना होता है।
 
ऑयल ड्रिलिंग इंजीनियर : इस क्षेत्र के जानकार तेल के नए कुंओं की खुदाई की योजना बनाने के साथ-साथ इस बात की भी स्ट्रेटजी बनाते हैं कि लागत कम से कम आए।
 
ऑयल फै सिलिटी इंजीनियर : जब ईधन सतह पर आ जाता है तो ऑयल फै सिलिटी इंजीनियर उसे अलग करके, उसकी प्रोसेसिंग तथा अन्य स्थानों पर पहुंचाने का काम करते हैं।
 

मांग की अपेक्षा उत्पादन कम
पेट्रोलियम के प्रोडक्शन में भारत काफी पीछे है, लेकिन पेट्रोलियम की खपत के मामले में ये विकसित देशों से टक्कर ले रहा है। देश में मुंबई हाई, कृष्णा-गोदावरी बेसिन और असम के कुछ हिस्सों से पर्याप्त मात्रा में तेल प्राप्त होता है। तेल की खपत की बात की जाए तो भारत विश्व के शीर्ष दस मुल्कों में शामिल है। एक अनुमान के अनुसार भारत में ये तकरीबन 2 मिलियन प्रति बैरल रोजाना के आसपास है। घरेलू मांग की पूर्ति के लिए भारत दुनिया के विभिन्न देशों से लगभग 60 फीसदी तेल का आयात करता है।
 

क्या पढना होगा
मुख्य रूप से अपस्ट्रीम एवं डाउन स्ट्रीम सेक्टर, पेट्रोलियम इंडस्ट्री की शाखाएं हैं। अपस्ट्रीम में ऑयल एवं प्राकृतिक गैस का दोहन किस तरह किया जाए, इसकी जानकारी स्टूडेंट्स को दी जाती है। जबकि डाउन स्ट्रीम सेक्टर में रिफाइनिंग, मार्केटिंग एवं वितरण क्षेत्र में कैंडिडेट्स को प्रशिक्षित किया जाता है। पेट्रोलियम इंजीनियरिंग के स्टूडेंट्स क ो भौतिकी ऐंड इंजीनियरिंग एवं जियोलॉजी के सिद्घांतों के माध्यम से डेवलपमेंट तथा प्रोसेसिंग और पेट्रोलियम रिकवरी के बारे में बताया जाता है। इसके साथ ही मैकेनिक्स, ड्रिलिंग, पर्यावरण संरक्षण जैसे सब्जेक्ट भी पढाए जाते हैं।
 

संभावनाएं
एक बेहतरीन पेट्रो एक्सपर्ट के लिए केवल इंजीनियरिंग और मैनेजमेंट ही विकल्प नहीं हैं, वह माइंस की खुदाई और उसमें से खनिज और ईधन की खोज का काम भी किया जा सकता है। चाहें एग्रीकल्चर हो, परफ्यूम इंडस्ट्री हो या फिर पेंट्स इंडस्ट्री इस तरह के सभी उद्योग-धंधे पेट्रोलियम पर ही निर्भर करते हैं। लुब्रीकेंट्स, पेस्टीसाइड्स, कीटनाशक, केरोसिन, वैक्स और दूसरी तमाम तरह की चीजें किसी न किसी तरह पेट्रोलियम से ही बनी हैं। मार्केटिंग में भी इसकी संभावनाएं बेहद अधिक हैं। जब यहां पेट्रो प्रोडक्ट का इस्तेमाल ज्यादा है, तो इसका भविष्य भी उज्ज्वल है। यही कारण है कि भारत को आज रिफाइनिंग हब कहा जाने लगा है। इंडियन ऑयल, भारत पेट्रोलियम, ओएनजीसी, रिलायंस, अदानी एस्सार और केयर्स एनर्जी जैसी कई बडी कंपनियां पेट्रो प्रोफेशनल्स को शानदार सैलरी पैकेज पर नौकरियों के ऑफर दे रही हैं। इस समय तकरीबन भारत में 15 लाख से ज्यादा लोग किसी ने किसी तरह इस फील्ड से जुडे हैं। एक अनुमान के मुताबिक, केवल भारत में ही हर साल तकरीबन आठ लाख प्रोफेशनल्स की मांग है। विकल्प के रूप में आपके लिए यूरोप के साथ ही खाडी देशों के भी दरवाजे खुले हैं। अब तक इस फील्ड में सिर्फ जियोलॉजिस्ट और केमिकल इंजीनियरों का ही दबदबा था, लेकिन बढती मांग और फील्ड के विस्तार के साथ विभिन्न क्षेत्रों में इससे संबंधित एक्सपर्ट तैयार हो रहे हैं। कहने का आशय यह है कि पेट्रोलियम इंडस्ट्री अब काफी बडा रूप ले चुकी है। यह एक पेट्रोल पंप से रिफाइनरी डिपो और मल्टीनेशनल कंपनियों तक फैल चुका है। आजकल पेट्रोल पंप मॉल्स की शक्लो-सूरत ले चुके हैं, जहां आपको सुपरवाइजर से लेकर मैनेजर तक की जॉब्स मिल सकती हैं।
 

सैलरी
इस तरह के प्रोफेशनल की मांग देश ही नहीं, विदेशों में भी काफी है। यदि आपके पास पेट्रोलियम सेक्टर से संबंधित डिग्री या डिप्लोमा है और आप अनुभवी हैं तो अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बेहतर पैकेज पर हाथों-हाथ नियुक्ति पत्र मिल सकता है। फेशर्स की सैलरी कंपनी और उसकी योग्यता पर निर्भर करती है। वैसे ट्रेंड एवं फेशर्स भी तीन लाख से लेकर पांच लाख रुपये तक सलाना पैकेज आसानी से हासिल कर लेते हैं। सरकारी एवं निजी क्षेत्र की कंपनियों में भी आकर्षक सैलरी उपलब्ध है। इस फील्ड के ट्रेंडों का पैकेज विदेशों में कई गुना हो जाता है। यदि विदेश की तरफ रुख करना चाहते हैं, तो अंग्रेजी का बेहतर ज्ञान जरूरी है।
 

कहां से करें कोर्स
आईआईटी, चेन्नई।
लखनऊ विश्वविद्यालय, लखनऊ।
राजीव गांधी इंस्टीट्यूट ऑफ पेट्रोलियम टेक्नोलॉजी, रायबरेली।
यूनिवर्सिटी ऑफ पेट्रोलियम ऐंड एनर्जी स्टडीज, देहरादून।
बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय, वाराणसी।
इंडियन स्कूल ऑफ माइंस, धनबाद।
पुणे विश्वविद्यालय, पुणे।
महाराष्ट्र इंडस्ट्री ऑफ टेक्नोलॉजी, पुणे।
पंडित दीन दयाल उपाध्याय यूनिवर्सिटी, गांधी नगर।
अलीगढ मुस्लिम विश्वविद्यालय अलीगढ, उत्तर प्रदेश।
( दैनिक जागरण )





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