Atreya


Wednesday, February 9, 2011


                       पढ़ें पढ़ाने के लिए

 

 


पढ़ें पढ़ाने के लिए जब भी कोई किसी सफलता के मुकाम पर पहुंचता है तो माता-पिता के साथ गुरु यानी शिक्षक को भी जरूर याद करता है। यही कारण है कि भारत में हर वर्ष 5 सितंबर को शिक्षक दिवस मनाया जाता है। यही नहीं, पूरे देश में शिक्षकों के सम्मान के लिए 5 अक्टूबर को व‌र्ल्ड टीचर्स डे भी धूमधाम से मनाया जाता है। विश्व में यही एक प्रोफेशन है, जिसे सभी देशों में बराबर का सम्मान हासिल है। पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम जहां भी व्याख्यान देते हैं, अपने उन शिक्षकों को जरूर याद करते हैं, जिनकी वजह से वे इस मुकाम तक पहुंचे। अब्दुल कलाम ही क्यों, सचिन, सहवाग या सुशील कुमार भी आज अपनी उपलब्धियों के पीछे गुरुओं का सहयोग मानते हैं। एक पेशेवर शिक्षक बनने के लिए सिर्फ एमए और बीए की डिग्री ही काफी नहीं है, इसके लिए अलग से ट्रेनिंग भी लेनी होती है, जिनकी परीक्षा कई स्तरों पर होती हैं।
 

एजुकेशन हब बनाने का सपना
शिक्षा का महत्व आदिकाल से रहा है। विश्व के प्राय: सभी देशों की सरकारें शिक्षा के विकास पर सबसे अधिक पैसे खर्च करती हैं। विशेषज्ञों के अनुसार, वर्तमान में शिक्षा से संबंधित क्षेत्र ही विकास को पटरी पर ला सकते हैं। यही कारण है कि आने वाले समय में इस सेक्टर में नौकरी की धूम मचने की संभावनाएं जताई जा रही हैं। जाहिर है कि इसके लिए बहुत अधिक संख्या में ट्रेंड प्रोफेशनल्स की जरूरत पडने वाली है। इस सेक्टर की महत्ता को समझते हुए सरकार अब भारत को एजुकेशन हब बनाने का सपना देख रही है, जिसके तहत आने वाले वर्षो में नए आईआईटी, आईआईएम सरीखे इंस्टीटयूट अस्तित्व में आएंगे। स्कूल-कॉलेज, यूनिवर्सिटीज, स्किल डेवलपमेंट सेंटर्स आदि की संख्या भी बढाए जाने की उम्मीद है। जिस तरह से देश के एजुकेशन सिस्टम की काया पलटने की तैयारी हो रही है, उससे लगता है कि आने वाले सालों में इस सेक्टर में बडे पैमाने पर युवाओं को नौकरियां मिलेंगी।
 

कैसे लें एंट्री
सर्वाधिक पॉपुलर कोर्साे में से एक बीएड कोर्स में प्रवेश के लिए ग्रेजुएशन में प्राप्त अंकों के आधार पर या प्रवेश परीक्षा के आधार पर एडमिशन मिलता है। शेष कोर्सो में भी इसी तरह की प्रवेश-प्रक्रिया अपनाई जाती है। आमतौर पर बीएड प्रवेश परीक्षा में टीचिंग एप्टीटयूड, जनरल अवेयरनेस, नॉलेज एप्टीटयूट तथा प्रॉब्लम बेस्ड ऑब्जेक्टिव टाइप के प्रश्न पूछे जाते हैं। कहीं-कहीं ऑब्जेक्टिव टाइप प्रश्नों के साथ-साथ डिसक्रिप्टिव प्रश्न भी पूछे जाते हैं, जो शिक्षक सेवारत हैं और इससे संबंधित कोर्स करना चाहते हैं, उनके लिए डिस्टेंस लर्निग से कोर्स करने की सुविधाएं भी हैं, लेकिन उन्हें किसी मान्यता प्राप्त स्कूल में दो वर्ष पढाने का अनुभव आवश्यक है। इसके अलावा स्पेशल एजुकेशन में बीएड भी कर सकते हैं। यदि कॉलेज या यूनिवर्सिटी में पढाने की इच्छा रखते हैं, तो यूजीसी परीक्षा में शामिल होकर लेक्चरर पद की पात्रता हासिल कर सकते हैं। इसके लिए वर्ष में दो बार परीक्षा होती है। इस परीक्षा में पीजी विषय के अलावा सामान्य ज्ञान की जांच की जाती है। यदि आप टीचिंग में जाना चाहते हैं, तो बेहतर होगा कि आप पहले ही यह निर्धारित कर लें कि आप किस क्लास के टीचर बनना चाहते हैं। इस बार उत्तर प्रदेश बीएड की परीक्षा महात्मा ज्योतिबा फूले यूनिवर्सिटी कराएगी।
 

क्या हैं सिफारिशें
विश्वविद्यालय अनुदान आयोग ने ग्यारहवीं पंचवर्षीय योजना में 735 नए विश्वविद्यालय खोलने का प्रस्ताव सरकार के समक्ष रखा है। फिलहाल देश में लगभग 390 यूनिवर्सिटीज हैं। इतनी बडी संख्या में यूनिवर्सिटीज खुलने से लगभग तीन लाख शिक्षकों के नए पद सृजित होने की संभावना है। नॉलेज कमीशन ने भी सलाह दी है कि यदि देश को नॉलेज सोसायटी में बदलना है, तो 1500 यूनिवर्सिटीज की जरूरत होगी। वैसे, आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति (सीसीईए) ने 6000 नए मॉडल स्कूल खोलने का फैसला भी किया है। पहले फेज में 2500 मॉडल स्कूल खोले जाएंगे। केंद्र सरकार ने 11वीं पंचवर्षीय योजना (2007-12) के दौरान 50 हजार स्किल डेवलेपमेंट सेंटर्स खोलने की महत्वाकांक्षी योजना भी बनाई है। पिछले दिनों सरकार ने सूचना प्रौद्योगिकी को बढावा देने के लिए 20 नए आईआईआईटी खोलने की घोषणा की है। कहने का आशय यह है कि जनसंख्या बढने के साथ ही काफी संख्या में शिक्षितों को वोकेशनल ट्रेनिंग दिलाने की जिम्मेदारी सरकार पर होगी, जिसकी भरपाई नए-नए कॉलेज और स्कूल खोलकर पूरी की जा सकती है।
 

संभावनाएं
विशेषज्ञों के अनुसार इस फील्ड में काफी संभावनाएं हैं। एजुकेशन क्षेत्र की सबसे बडी खासियत यह है कि इसमें सभी एजुकेशनल बैकग्राउंड के लिए समान संभावनाएं हैं। यही कारण है कि बहुत सारे युवा मैनेजमेंट और आईटी करने बाद मैनेजर और इंजीनियर जैसे पदों को छोडकर एजुकेशन में कॅरियर बना रहे हैं। पिछले वर्ष ही कतर बेस्ड अल्टानमिया ग्रुप ने पुणे की एक वोकेशनल ट्रेनिंग संस्था से साथ डील की है। कई और कंपनियां भी इस क्षेत्र में कदम रखना चाहती हैं। इनमें यूएस बेस्ड ल्यू स्टर्लिग पार्टनर्स, कतर बेस्ड एजुकेशनल होल्डिंग ग्रुप आदि हैं। वहीं माइक्रोसॉफ्ट जैसी कंपनी की भी एजुकेशन सेक्टर में बडे पैमाने पर निवेश की योजना है। इसके अलावा कई और इंस्टीटयूट्स भी मेगा एक्सपेंशन प्लान पर विचार कर रहे हैं। जानकार कहते हैं कि इससे एजुकेशन सेक्टर में बडे पैमाने पर ट्रेंड प्रोफेशनल्स की जरूरत होगी। भारत सरकार द्वारा 16 सेंट्रल यूनिवर्सिटी, 370 कॉलेज, आठ इंडियन इंस्टीटयूट ऑफ टेक्नोलॉजी (आईआईटी), सात इंडियन इंस्टीटयूट ऑफ मैनेजमेंट (आईआईएम), 10 एनआईटी, 20 इंडियन इंस्टीटयूट ऑफ इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी, पांच इंडियन इंस्टीटयूट ऑफ साइंस एजुकेशन ऐंड रिसर्च (आईआईएसईआर) और 50 ट्रेनिंग व रिसर्च सेंटर खोलने के लिए 306.82 बिलियन रुपये खर्च करने की योजना है। फिलहाल इनमें से कई यूनिवर्सिटीज की शुरुआत भी हो चुकी है और जिनकी नहीं हो पाई है, वे प्रॉसेस में हैं। इस प्रकार कहा जा सकता है कि आनेवाले समय में टीचिंग से संबंधित प्रोफेशनल्स की काफी मांग रहेगी। यदि आप बेहतर और सम्माननीय पद की तलाश में हैं, तो आपके लिए बेहतर होगा कि आप टीचिंग से संबंधित प्रोफेशनल कोर्स कर लें, क्योंकि इसमें अन्य परीक्षाओं की अपेक्षा काफी नौकरियां हैं।
 

स्पेशल एजुकेशन में स्पेशल जॉब
ग्लोबल स्तर पर बढता दायरा और बदलते माहौल ने हर फील्ड को स्पेशल बना दिया है। कुछ वर्ष पहले तक स्पेशल एजुकेशन सरकारी महकमों में केवल कागजी प्रस्ताव भर हुआ करता था, लेकिन अब वहां भी इन्हें अमली जामा पहनाने की सुगबुगाहट तेज हो गई है। पिछले वर्ष दिल्ली हाईकोर्ट ने दिल्ली सरकार को हर स्कूल में स्पेशल एजुकेशन के कम से कम दो शिक्षकों को नियुक्त करने का आदेश दिया था। एक अनुमान के मुताबिक, राजधानी दिल्ली में ही दो लाख से ज्यादा विकलांग बच्चे स्कूली शिक्षा से वंचित हैं। देश भर की बात की जाए, तो इसका सहज अंदाजा लगाया जा सकता है। एक स्पेशल एजुकेशन टीचर, स्कूल-कॉलेजों के अलावा, एनजीओ, प्राइवेट और सरकारी हॉस्पिटल्स, क्लिनिक्स में अच्छे अवसर तलाश सकता है। केवल यही नहीं, स्पेशल एजुकेशन टीचर अब्रॉड में भी बेहतरीन अवसर तलाश सकता है। जैसे, यदि आप स्पीच ऐंड लैंग्वेज पैथोलॉजी में ग्रेजुएट होने के साथ इस क्षेत्र में अनुभवी भी हैं, तो ऑस्ट्रेलिया, यूके व अन्य यूरोपियन देशों में अवसर ही अवसर हैं। एक और अच्छी बात, स्पेशल एजुकेशन में प्रशिक्षित होने के बाद आप अपना खुद का काम भी शुरू कर सकते हैं। यदि टीचिंग टेंपरामेंट के साथ-साथ इनोवेशन करने का शौक भी है, तो स्पेशल एजुकेशन का क्षेत्र आपको जरूर सूट करेगा। स्पेशल एजुकेशन की फील्ड में आने के लिए आप बारहवीं से ही प्लान कर सकते हैं। डिग्री कोर्स या बीएससी इन स्पेशल एजुकेशन के साथ-साथ इस क्षेत्र में हर स्तर के कोर्सेज ऑफर किए जाते हैं। जैसे, एमएससी, एफफिल, पीएचडी सभी स्तरों पर। देश भर में ऐसे कई संस्थान हैं, जहां से स्पेशल एजुकेशन में प्रोफेशनल कोर्स किया जा सकता है। ये कोर्सेज रिहैबलिटेशन काउंसिल ऑफ इंडिया से मान्यता प्राप्त होने चाहिए। बीएड और एमएड करने के बाद टीचिंग की राह थोडी ज्यादा आसान हो जाती है। साइंस बैकग्राउंड के स्टूडेंट्स के लिए यह कोर्स फायदेमंद हो सकता है।
 

सैलरी में भी है दम
पहले के शिक्षक को काफी कम पैसे मिलते थे। इस कारण इस प्रोफेशन को पैसे की दृष्टि से कमतर आंका जाता था और इसमें वे लोग ही आते थे, जिनकी रुचि हुआ करती थी। छठे वेतन आयोग की सिफारिशें मानने के बाद अब टीचर की सैलरी पहले की अपेक्षा काफी अधिक हो गई है। यही कारण है कि योग्य और मेधावी युवाओं ने इस ओर रुख करना शुरू कर दिया है। सैलरी इस बात पर डिपेंड करती है कि आप किसी विश्वविद्यालय में पढा रहे हैं या फिर आईआईएम व आईआईटी जैसे संस्थानों में। कहने का मतलब यह है कि यदि आप प्रोफेशनल स्टूडेंट को पढाते हैं, तो आपकी सैलरी उसी अनुपात में मिलेगी। इससे संबंधित कोर्स देश के प्रमुख यूनिवर्सियों में उपलब्ध हैं। बीएड से संबंधित प्रमुख कॉलेजों के बारे में आप वेबसाइट www. indiaedu.com पर विजिट करके जान सकते हैं।
 

कहां कर सकते हैं नौकरी
यदि जॉब प्रॉसपेक्ट्स की बात करें, तो इस समय यह सेक्टर सबसे हॉट बना हुआ है। सरकारी और निजी क्षेत्रों में योग्य टीचरों की हमेशा डिमांड बनी रहती है। विदेश में भी भारतीय साइंस टीचर डिमांड में हैं। यदि आप इससे संबंधित कोर्स कर लेते हैं, तो इन क्षेत्रों में जॉब तलाश सकते हैं-
प्ले स्कूल
नर्सरी स्कूल
प्राइमरी या एलिमेंट्री स्कूल
सेकेण्डरी स्कूल
कॉलेज
यूनिवर्सिटीज
एजुकेशनल रिसर्च इंस्टीटयूट
स्पेशल स्कूल
सेल्फ इंप्लॉयमेंट के अंतर्गत अपना इंस्टीटयूट या टयूटोरियल क्लासेज भी खोल सकते हैं।
 

अध्यापक पात्रता परीक्षा (टीईटी)
टीईटी से बनेंगे टीचर
भारत में शिक्षा क्षेत्र में बदलाव के लिए भारत सरकार ने कई कमेटियां गठित की हैं। सिफारिशों को अब क्रियान्वित किया जा रहा है, जिनके तहत एनसीटीई देश में केंद्र या राज्य के सरकारी स्कूलों में पहली से आठवीं क्लास तक के टीचरों के लिए टीईटी कराने की योजना बना रही है। इसका एकमात्र उद्देश्य टीचरों की भर्ती में एकरूपता के साथ-साथ उनकी गुणवत्ता में बढोत्तरी करना है। योजना के अनुसार, स्कूलों में टीजीटी व जेबीटी टीचर चाहे रेग्युलर या फिर कांट्रेक्ट पर रखे जाएं, सभी के लिए टेस्ट पास करना अनिवार्य होगा। ये टेस्ट, सभी राज्यों में रखे जाने वाले टीचरों को पास करने होंगे। मानव संसाधन विकास मंत्रालय द्वारा 23 अगस्त 2010 को जारी नोटिफिकेशन में कहा गया है कि अब नेशनल काउंसिल ऑफ टीचर एजुकेशन के तहत पहली से आठवीं क्लास तक के जो भी जेबीटी और टीजीटी टीचर रखे जाएंगे, उन्हें पहले टीईटी पास करना होगा।
 

टीईटी के लिए योग्यता
प्रस्ताव के अनुसार, पहली से पांचवीं तक की जेबीटी टीचर के लिए सीनियर सेंकेण्डरी में 50 प्रतिशत अंक व एनसीटीई से मान्यता प्राप्त दो साल का एलीमेंट्री एजुकेशन का डिप्लोमा होना जरूरी है। 6वीं से आठवीं तक टीजीटी टीचर के लिए बीए/बीएससी में 50 प्रतिशत अंक व एक साल का बीएड जरूरी है या फिर सीनियर सेकेंडरी में 50 प्रतिशत अंक और 4 साल की बीएलएड (बैचलर इन एलीमेंटरी एजुकेशन) होनी चाहिए। पहलीं से आठवीं तक के जेबीटी व टीजीटी टीचरों को उक्त योग्यता के बाद एनसीटीई की गाईडलाइंस के आधार पर गवर्नमेंट द्वारा आयोजित टीईटी टेस्ट पास करना होगा। इस तरह की व्यवस्था इसलिए की जा रही है, ताकि टीचर की योग्यता में एकरूपता रहे। अभी तक नियम यह है कि सभी राज्यों में टीचर की नियुक्ति से संबंधित अलग-अलग नियम और योग्यता है। इस तरह की व्यवस्था से शिक्षा की गुणवता में भी सुधार की उम्मीद की जा रही है।
 

किस तरह के प्रश्नपत्र
शिक्षा के अधिकार के तहत बेसिक शिक्षा परिषद के स्कूलों में होने वाली शिक्षकों की भर्ती के लिए अनिवार्य की गई अध्यापक पात्रता परीक्षा (टीईटी) में दो प्रश्नपत्रों को शामिल करने का प्रस्ताव है। प्रत्येक प्रश्नपत्र तीन घंटे की अवधि का होगा और उसमें 150 प्रश्न होंगे। पारदर्शिता के लिहाज से दोनों प्रश्नपत्रों में सिर्फ बहुविकल्पीय प्रश्न ही होंगे, ताकि मूल्यांकन में एकरूपता रहे। टीईटी में निगेटिव मार्किंग भी होगी। प्रत्येक प्रश्न को सही हल करने पर जहां चार अंक मिलेंगे, वहीं गलत जवाब देने पर एक अंक कटेगा भी। शिक्षकों की भर्ती के लिए टीईटी पहली सीढी होगा। उत्तीर्ण करने वाले अभ्यर्थियों को ही शिक्षकों के चयन के लिए बनने वाली मेरिट लिस्ट के योग्य समझा जाएगा। यह मेरिट लिस्ट टीईटी में प्राप्त अंकों पर आधारित न होकर अभ्यर्थी द्वारा स्नातक व बीएड में हासिल किए गए अंकों के आधार पर तय की जाएगी।
 

टीचिंग है हॉट प्रोफेशन
16 लाख शिक्षकों की आवश्यकता
केंद्र के आकलन के अनुसार, कुल 58 लाख शिक्षकों में से सवा सात फीसदी पिछले वर्ष ही 55 वर्ष की उम्र पार कर चुके हैं। इसके अलावा 14 साल के सभी बच्चों को शिक्षा सुनिश्चित कराने के लिए केंद्र और राज्यों को अगले चार सालों के दौरान 12 लाख शिक्षक नियुक्त करने होंगे। न्यूपा की ताजा रिपोर्ट के अनुसार, उत्तर प्रदेश में 7 लाख शिक्षकों में 1.11 लाख शिक्षक बुढापे की ओर अग्रसर हैं। इसी तरह की स्थिति बिहार, झारखंड, उत्त्राखंड और दिल्ली राज्य में है। रिपोर्ट के अनुसार अगले तीन सालों में कुल 4.07, 167 शिक्षक सेवानिवृत्त होंगे।
 

ऑनलाइन टीचिंग भी कॅरियर
पश्चिमी देशों के कॉलेज और यूनिवर्सिटीज हाल के दिनों में अपने यहां शिक्षकों की कमी को पूरा करने के लिए भारत की ओर रुख कर रहे हैं। पर, उनकी इन जरूरतों को पूरा करने के लिए भारतीय शिक्षकों को इन यूनिवर्सिटीज में जाने की जरूरत नहीं है। दरअसल, भारत इन देशों को टीचिंग में इंटरनेट की मदद से अपनी सेवाएं प्रदान कर रहा है। प्रोफशनल टीचर्स, रिटायर्ड टीचर या फिर ऐसी महिलाएं, जिनके पास आवश्यक योग्यताएं हैं, पर वो कामकाजी नहीं हैं, इन सबके के लिए यह अवसर का नया द्वार है। ये सब लोग घर बैठे ही इन अंतरराष्ट्रीय शैक्षणिक संस्थानों के लिए या तो नौकरी कर रहे हैं या फ्रीलांसिंग कर रहे हैं। ऐम्बिएन्ट इनसाईट रिसर्च की एक रिपोर्ट से पता चलता है कि 2009 में संयुक्त राज्य अमेरिका में माध्यमिकोत्तर छात्रों में से 44 प्रतिशत छात्र अपने कुछ या सम्पूर्ण पाठ्यक्रम को ऑनलाइन ग्रहण कर रहे थे। अनुमान है कि यह आंकडा 2014 तक बढकर 81 प्रतिशत हो जाएगा।
 

बढ रही है महिला शिक्षकों की संख्या
एचआरडी मिनिस्ट्री की एजेंसी न्यूपा के ताजा सर्वेक्षण के अनुसार 12 राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों के शिक्षकों में महिलाओं की हिस्सेदारी 50 प्रतिशत से भी ज्यादा है। सबसे ज्यादा 83 प्रतिशत महिला शिक्षक चंडीगढ में हैं। उसके बाद गोआ, तमिलनाडु, दिल्ली, पांडिचेरी, पंजाब और कर्नाटक में सबसे अधिक महिला शिक्षक कार्यरत हैं।
 

क्या है आरटीई
आरटीई का मतलब राइट टू एजुकेशन है। बच्चों को मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा कानून, जो 1 अप्रैल 2010 को अस्तित्व में आया, एक मानक स्थापित करनेवाला कानून है। 6 से 14 वर्ष के बच्चों के लिए उनके आस-पडोस के स्कूलों में शिक्षा को मौलिक अधिकार बनाकर सरकारों के लिए अपनी बुनियादी जिम्मेदारी पूरी करना अनिवार्य बना दिया है। इस कानून ने स्कूलों, अध्यापकों और पाठ्यक्रम के लिए मानदंड तय कर दिए हैं।
 

प्रमुख देशों के टीचर्स डे
टीचर का प्रोफेशन सभी देशों में सम्माननीय रहा है। यही कारण है कि हर देश एक खास दिन टीचर्स डे के रूप में मनाते हैं। प्रमुख है कुछ महत्वपूर्ण देशों में मनाए जा रहे टीचर्स डे :
देश दिन या तिथि
भारत 5 सितंबर
अफगानिस्तान 24 मई
अल्बानिया 7 मार्च
अर्जेनटिना 11 सितंबर
ऑस्ट्रेलिया अक्टूबर का आखिरी शुक्रवार
ब्राजील 15 अक्टूबर
चीन 10 सितंबर
जर्मनी 5 अक्टूबर
मलेशिया 16 मई
न्यूजीलैंड 29 अक्टूबर
श्रीलंका 6 अक्टूबर
अमेरिका फ‌र्स्ट वीक ऑफ मई
जेआरसी टीम ( दैनिक जागरण )

Friday, January 21, 2011

अब बाजार में आया 150 रुपए का सिक्का






 


यूं तो आमतौर पर सिक्कों को इस्तेमाल बेहद छोटे लेन देन में ही किया जाता है। इसकी वजह है कि भारत में अब तक सबसे ज्यादा वैल्यू का सिक्का दस रुपए तक का ही है। लेकिन आने वाले दिनों में आप सिक्के का इस्तेमाल थोड़े बड़े लेनदेन में भी कर सकेंगे। दरअसल अब रिजर्व बैंक ने 150 रुपए के सिक्के भी जारी कर दिए हैं। यानी अगर आपके पास 150 रुपए के दस सिक्के होंगे तो इसकी वैल्यू 1500 रुपए हो जाएगी।

 

आपको बता दें कि 150 रुपए का सिक्का रवींद्र नाथ टैगोर की 150 वीं जयंती पर भारतीय रिजर्व बैंक ने जारी किया है। कोलकता स्थित भारत सरकार के टकसाल में बना यह सिक्का 35 ग्राम का है, इसमें 50 फीसदी चांदी, 40 फीसदी तांबे के अलावा पांच-पांच फीसदी निकिल और जिंक का इस्तेमाल किया गया है। इस सिक्के के ऊपरी हिस्से में अशोक चिन्ह के अलावा सत्यमेव जयते दर्ज है, कुल मिलाकर ऊपरी हिस्सा अन्य सिक्कों जैसा ही है, मगर पिछले भाग पर रवींद्र नाथ टैगोर का चित्र दर्ज है। ( दैनिक भास्कर )

Saturday, January 15, 2011

अपने करियर को दें फिनिशिंग टच

 
 

धीरज और समीर ने ग्रेजुएशन करते हुए एक मैनेजमेंट कोर्स करने का फैसला किया। दोनों ने एक प्रतिष्ठित मैनेजमेंट संस्थान में दाखिला लिया। उन्हें स्पेशलाइजेशन के लिए मार्केटिंग को चुना। समीर ने ट्रेडिंग स्किल्स का एक छोटा सा कोर्स करते हुए ग्राहकों के साथ डील करने की कला भी सीख ली। कैंपस सेलेक्शन के वक्त दोनों को एक बहुराष्ट्रीय कंपनी में सालाना ४ लाख रुपए के पैकेज पर नियुक्ति मिल गई। छह महीने बाद ही समीर को पदोन्नत कर असिस्टेंट मैनेजर बना दिया गया और उसका सेलरी पैकेज भी साढ़े छह लाख रुपए हो गया। आखिर समीर इतनी जल्दी इस उच्च पोजीशन पर कैसे पहुंच गया? यह सॉफ्ट स्किल्स की स्पेशलाइज्ड ट्रेनिंग ही थी, जिसने समीर को आत्मविश्वासी और परफॉर्मेस ओरिएंटेड बनाया।

करियर के शुरुआती स्तर पर बेहतर एसाइनमेंट्स पाने के लिए तकनीकी योग्यताएं अहम होती हैं। लेकिन हमें यह भी समझना होगा कि कॅरियर पथ पर तेजी से आगे बढ़ने के लिए व्यक्ति की संप्रेषण योग्यता व व्यावहारिक कौशल भी मायने रखता है। यहां कुछ ऐसी स्किल्स के बारे में बात की जा रही है, जिन्हें छात्र कारपोरेट जगत में उतरने से पहले आत्मसात कर लें तो बेहतर है।

करियर गाइडडेस

जयपुरिया इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट में सीनियर लेक्चरर डॉ. शीनू जैन पेशेवर जगत में आगे बढ़ने के लिए सॉफ्ट स्किल्स के महत्व के बारे में बता रही हैं।

व्यक्तिगत खूबियां

अनौपचारिक बातचीत से लेकर औपचारिक प्रजेंटेशनों के लिए भी अपनी संप्रेषण क्षमता में सुधार करें।

सामाजिक शिष्टाचार व सदाचरण का ध्यान रखें और दूसरों के साथ संयत व्यवहार करें।

कारपोरेट कम्युनिकेशन

इंटर-ग्रुप व इंट्रा-ग्रुप कम्युनिकेशन स्किल्स को प्रभावी बनाएं।

अंदरूनी व बाहरी स्तर पर होने वाले बिजनेस कम्युनिकेशन का स्तर बढ़ाएं।

फॉर्मल प्रजेंटेशन बनाएं।

करियर ग्रोथ

अपनी खूबियां, खामियां और कॅरियर संबंधी अवसर व जोखिम को अच्छी तरह पहचानें और उसी के मुताबिक निर्णय लें।
किसी खास पेशे के लिए जरूरी एटीट्यूड का खुद में विकास करें। ( दैनिक भास्कर )



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Sunday, January 2, 2011

नववर्ष 2011 मंगलमय हो 

 

 

 

 

 

     

नववर्ष 2011 मंगलमय हो!
जनवरी: नई चुनौतियों के लिए हो जाएं तैयार
हर नया दिन एक नई चुनौती के साथ शुरू होता है, हर नया समय नए संघर्ष का साक्षी होता है। नए वर्ष में बीती बातों को भुलाकर नए सपनों के साथ एक ताजा शुरुआत करें। बेफिक्र, बेखौफ और बेतकल्लुफ होकर नए वर्ष का आगाज करें।
 

लक्ष्य: जनवरी
कहते हैं आगाज अच्छा हो तो अंजाम भी बेहतर होता है। खुश रहें और दूसरों को भी खुशियां बांटें। किसी रोते हुए को हंसा दें, किसी नाउम्मीद के दिल में आशा की नन्ही सी किरण ढूंढें, किसी जरूरतमंद की थोडी सी मदद कर दें। यही तो जिंदगी है! आपका नया वर्ष मंगलमय हो!
चुनौतियों को स्वीकार करना ही सफलता की कुंजी है। जिस दिन व्यक्ति ऐसा नहीं करेगा, वह मर जाएगा।
नई उमंगों, नई तरंगों, नए संकल्पों और नए ख्वाबों से लबरेज एक नई सुबह रात के अंधेरे को चीरकर हमारे आंगनों में उतरने लगी है। फिर दीवारों ने बदले हैं कैलेंडर, चिडियों के राग मधुर हो गए हैं। समूची कायनात नए अंदाज में नजर आ रही है। शोर-शराबे, धूम-धडाके और मौज-मस्ती के बीच नए साल का आगाज हो गया है। ऐसे में चुप क्यों रहें। क्यों न कोई नई धुन बनाएं और कुछ गुनगुनाएं। कोई नई राह ढूंढें और शब्दों को कोई नए अर्थ दें।
नई खुशियां हैं तो नई चिंताएं भी हैं, नई इच्छाएं हैं तो चुनौतियां भी। नई जंग के लिए कमर कसें और कुछ नए संकल्प लें।
 

कार्य का नया ढंग
निजी विकास के लिए जरूरी है कि जीवन में नई चुनौतियां लें। नए लोगों के साथ काम करें। भिन्न स्वभाव, दृष्टिकोण और अनुभव वाले लोगों के साथ काम करने से बडी चुनौती दूसरी नहीं है। सामाजिक भय से मुक्त होकर नए दृष्टिकोण के साथ खुद से बिलकुल भिन्न व्यक्तियों के साथ काम करके देखें। इस चुनौती को स्वीकारें, नए एहसास आगे बढने को प्रेरित करेंगे।
 

जिम्मेदारी और नेतृत्व
सफलता मेरी है तो विफलता के लिए भी मैं ही जिम्मेदार हूं। इस सच को स्वीकार करें। घर-बाहर की जिम्मेदारियों का निर्वाह टीम भावना से करना महत्वपूर्ण है। टीम का अर्थ यह है कि सबके विचार सुने जाएं और सर्वसम्मति से सही निर्णय तक पहुंचा जाए। कभी कूटनीति से तो कभी स्पष्टता से बात कहने का तरीका भी समूह में काम करने के दौरान ही आता है।
 

विविधता का आनंद
कहते हैं, विविधता जिंदगी को ज्यादा जीवंत बनाती है और एकरसता उसे उबाऊ बना देती है। सबका मकसद खुशी पाना है और खुशी काम से मिलती है। अलग-अलग तरह के काम करना, कठिन कार्यो को चुनौती की तरह स्वीकार करना और इन सबके बीच मनोरंजन के पलों का आनंद उठाना ही खुश रहने का मंत्र है।
 

सच को स्वीकारें
क्या हम अपनी योग्यता, क्षमता, सीमा और गुणों-अवगुणों को पहचानते हैं? खुद को हम वास्तविकता में जानते हैं या अपनी आदर्श छवि हमने मन में बना रखी है? बाइबिल में कहा गया है, सत्य आत्मा को स्वतंत्र करता है। खुद की सही तसवीर देखें। यदि हम बदलाव चाहते हैं तो तथ्यों को वैसे स्वीकारें जैसे कि वे हैं, न कि जैसा हम उन्हें देखना चाहते हैं। तभी हम खुद में अपेक्षित परिवर्तन कर पाएंगे।
 

जो बीत गई सो बात गई
नॉस्टैल्जिक होना बुरा नहीं है, लेकिन अतीत में जीना और उसे ढोना बुरा है। हिंदी के प्रसिद्ध कवि द्वारिका प्रसाद माहेश्वरी की एक पंक्ति है, लो अतीत से उतना ही जितना पोषक है..। बीते वर्ष कुछ अच्छा किया है तो उसे उभारें। गलतियां हुई हैं तो उनसे सबक लें, उन्हें आइंदा न दोहराएं। मनुष्य ही गलतियां करता है और उन्हें सुधारने की कूवत भी उसमें ही है।
 

समय कभी रुकता नहीं
समय प्रबंधन सबसे बडी जरूरत है आज की। समय किसी के लिए नहीं रुकता। इसलिए सही समय पर सही निर्णय लेना ही समझदारी है।
जीवन की दुश्वारियों से घबराने के बजाय उनका सामना करें। व्यावहारिक बनें, समय के साथ चलें, खुद को अपडेट रखें और सकारात्मक रहें। नई ऊर्जा, नए आत्मविश्वास और नई आशा के साथ इस नए साल का स्वागत करें।
 

हेल्दी टिप
कंप्लीट हेल्थ के लिए साल के पहले महीने की शुरुआत अनार के साथ करें। माना जाता है पाषाण-युग से ही इसका प्रयोग होता रहा है। अनार में प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेड, फैट, फाइबर के अलावा आयरन, कैल्शियम, मैग्नेशियम, पोटैशियम, फोलेट, जिंक, फॉस्फोरस, विटमिन बी व सी पाया जाता है। उत्तरी भारत, रूस, ईरान, पाकिस्तान व अफगानिस्तान में यह बहुतायत से मिलता है। इंडियन-पर्शियन क्विजीन में इसकी महत्वपूर्ण भूमिका होने के अलावा आयुर्वेद में भी इसका महत्व है। एनीमिया के उपचार में यह कारगर है।
 

फरवरी: प्यार, इश्क और मोहब्बत..
प्यार के इस महीने में अपने रिश्ते पर जरा ध्यान दें। समय के साथ जमी धूल की परतें तो हटाएं और उस नयेपन को एक बार फिर महसूस करें जिसके साथ आप कभी एक-दूसरे के करीब आए थे।
 

लक्ष्य : फरवरी
अपने फेवरिट पार्टी गाउन में फिट होने के लिए वेस्ट लाइन से कुछ इंच घटाने की कोशिश करें। प्यार, इश्क और मोहब्बत.. जी हां, यह महीना है अपने माहौल में प्यार बिखेरने का। आप शादीशुदा हों या गैर शादीशुदा, अगर रिश्ते की हैंडलिंग जरा संवेदनशील ढंग से की जाए तो बात ही कुछ और होती है। आखिर प्यार के रिश्तों की तो बुनियाद ही संवेदना है। लेकिन जीवन की आपाधापी में कई बार हम भूल जाते हैं कि हम जिसे सबसे ज्यादा प्यार करते हैं, उसे ही सबसे ज्यादा दुख भी पहुंचाते हैं। क्यों न प्यार के इस ऑफिशियल महीने में अपने रिश्ते में प्यार का अहसास एक बार फिर तरोताजा कर लें! सखी के कुछ सुझाव।
 

रिश्ते में स्पेस दें
रिश्ता जितना ज्यादा पुराना होता जाता है, हम भूलते जाते हैं कि दूसरे इंसान की एक व्यक्तिगत जिंदगी है। हम उस पर इस हद तक अपना अधिकार जताने लगते हैं कि स्पेस देना ही भूल जाते हैं। नई दिल्ली के मूलचंद एंड मेडिसिटी हॉस्पिटल की क्लिनिकल साइकोलॉजिस्ट डॉ. गगनदीप कौर कहती हैं, यह बात सही है कि कमिटमेंट में एक-दूसरे को जानने और एक-दूसरे पर अधिकार जताने की कोई लिमिट नहीं होती, लेकिन इस दौरान लोग अकसर यह भूल जाते हैं कि वे एक-दूसरे के निजी स्पेस को खत्म कर रहे हैं। ऐसे में इंसान अपनी वह पर्सनैलिटी खो देता है जिसे कभी आपने चाहा था और उसकी शख्सीयत धीरे-धीरे वैसी बनती जाती है जैसा आप उसे देखना चाहते हैं। उसकी पर्सनैलिटी की मौलिकता खत्म होती जाती है और बोरियत घर करने लगती है। क्यों न इस बार रिश्ते में जरा स्पेस देकर देखा जाए.. शायद आपके रिश्ते की बोरियत खत्म की जा सके!
 

डॉमिनेट करने से बचें
अकसर देखा जाता है कि विपरीत शख्सीयतों के लोग एक-दूसरे के प्रति आकर्षित होते हैं। एक एक्सट्रोवर्ट होता है तो दूसरा इंट्रोवर्ट। एक्सट्रोवर्ट लोगों की पर्सनैलिटी ही कुछ इस तरह की होती है कि वे अपने पार्टनर को न चाहते हुए भी डॉमिनेट करने लग जाते हैं। अगर आपकी शख्सीयत कुछ ऐसी है तो आपको खुद को चेक करने की जरूरत है।
 

अनुचित अपेक्षाओं से बचें
यह बात सही है कि आप अपने पार्टनर से उम्मीद नहीं करेंगे तो किससे करेंगे, लेकिन अनुचित अपेक्षाएं कई बार रिश्ते के लिए घातक होती हैं। डॉ. गगनदीप कहती हैं, चांद-तारे तोडने की अपेक्षाएं केवल फिल्मों में ही अच्छी लगती हैं। प्यार को साबित करने जैसी असंभव मांगों से बचें।
 

जरा रोमांटिक हो जाएं..
वैलेंटाइंस डे का महीना है, क्यों न इस महीने में एक बार फिर अपने प्यार के पलों को रिवाइज कर लिया जाए। उसी नए-नए प्यार की रूमानियत को एक बार फिर जी ली जाए जब आप दोनों रोमैंटिक कैंडल-लाइट डिनर पर जाया करते थे, इंस्ट्रुमेंटल म्यूजिक पर डांस किया करते थे और एक ही कोन से आइसक्रीम शेयर किया करते थे। क्यों न उन पलों को एक बार फिर जी लिया जाए.. रिश्ते की वह रौनक एक बार फिर लौट आएगी।
 

मार्च: दूर हो अपनों की नाराजगी
कई बार न चाहते हुए भी आपके अपने आपसे रूठ जाते हैं, ऐसे में सारे गिले-शिकवे भुला कर नई शुरुआत में ही समझदारी है। इस महीने आने वाला होली का त्योहार भी तो यही संदेश देता है। तो फिर देर किस बात की, इस महीने आप सखी के साथ संकल्प लें अपनों की नाराजगी दूर करने का।
 

लक्ष्य : मार्च
मार्च के महीने में अपने पारिवारिक बजट में कुछ ऐसे संशोधन करें ताकि अगले महीने बढने वाली कीमतों से आपकी जीवनशैली प्रभावित न हो। अगर इस महीने में आपके बच्चे के बोर्ड एक्जैम हैं तो उसकी तैयारी में अपना पूरा सहयोग दें। हमारी शुभकामनाएं आपके साथ हैं।
रहिमन धागा प्रेम का, मत तोडो चटकाय।
टूटे से फिर न जुडे, जुडे तो गांठ पड जाय।
किसी भी रिश्ते के मामले में रहीम का यह दोहा आज भी बेहद सटीक प्रतीत होता है। अगर कभी आपके साथ ऐसा हो भी जाए तो जल्द से जल्द अपने बिगडे हुए रिश्ते को सुधारने की कोशिश करें। यहां आपकी सुविधा के लिए मनोवैज्ञानिक सलाहकार डॉ. अशुम गुप्ता से हुई बातचीत के आधार पर सखी आपको रिश्तों से जुडी कुछ समस्याएं और उनका समाधान दे रही है, ताकि आप अपने बिखरे हुए रिश्ते में सुधार ला सकें।
 

नाजुक है रिश्तों की डोर
तुम मुझे कभी फोन नहीं करते, तुमने मुझे जन्मदिन की बधाई क्यों नहीं दी? तुम कभी भी हमारे घर नहीं आते, मैं बीमार था/थी तब तुमने मेरा हाल क्यों नहीं पूछा? हो सकता है कि आपके रिश्तेदार भी अकसर यह शिकायत करते हों तो ऐसी स्थिति में..
 

दोस्त की सलाह :
अगर उनकी शिकायत गलत हो तो उन्हें प्यार से उनकी गलती का एहसास कराएं लेकिन उनकी बातों पर ओवर रिएक्ट न करें। अगर आपको उनकी शिकायत जायज लगे तो बेझिझक माफी मांग ले। रिश्तेदारी में औपचारिकता बहुत मायने रखती है। अगर कोई व्यक्ति रिश्ते में आपसे बडा है और वह आपसे नाराज है तो अपनी गलती न होने पर भी माफी मांग लें। ऐसे में कोई प्यारा सा गिफ्ट देना या सॉरी नोट लिखना भी बहुत कारगर साबित होता है।
 

दोस्ती हम नहीं तोडेंगे
अगर आपके किसी दोस्त को ऐसा महसूस हो कि आपने दूसरों से उसकी शिकायत की है, मुसीबत के वक्त उसकी मदद नहीं की या जानबूझ कर उसकी भावनाओं को ठेस पहुंचाया है, आदि। तो ऐसी स्थिति में..
 

दोस्त की सलाह : 
अगर आपकी दोस्ती में कुछ ऐसा हो तो बिना देर किए अपने दोस्त को प्यार से मना लें और खुद भी उसकी बातों को दिल पर न लें, जहां तक संभव हो उसकी गलतियों को माफ कर दें क्योंकि जिंदगी में अच्छे दोस्त बहुत मुश्किल से मिलते हैं।
 

कैसा हो प्रोफेशनल संबंध
ऑफिस में सहकर्मियों के साथ आपसी रिश्ता थोडा पेंचीदा होता है। इसमें सम्मान और दूरी बनाए रखना बहुत जरूरी है। अगर ऑफिस में सहकर्मियों के साथ किसी तरह का मतभेद या गलतफहमी हो तो ऐसी स्थिति में..
 

दोस्त की सलाह :
किसी भी विवाद को जल्द से जल्द खत्म करने की कोशिश करें क्योंकि कार्यस्थल के वातावरण पर इसका नकारात्मक प्रभाव पडता है। अपना व्यवहार संयत रखते हुए कामकाज के लिए सहज और सहयोगपूर्ण माहौल बनाए रखने की कोशिश करें। यह आपकी प्रोफेशनल और पर्सनल लाइफ दोनों के लिए फायदेमंद होगा।
सुख-दुख के साथी पडोसी अगर कभी आपकी लापरवाही या पडोसी की किसी नासमझी की वजह से आपके बीच अनबन हो जाती है तो ऐसी स्थिति में..


दोस्त की सलाह :
अगर पडोसी आपसे नाराज हों तो सबसे पहले ईमानदारी से पूरे प्रकरण को समझें कि आपकी ओर से क्या गलती हुई है और उसे सुधारने की कोशिश करें। क्योंकि पडोसियों से होने वाले विवाद में लोग अकसर अपनी गलतियों को नजरअंदाज कर देते हैं। कई बार बच्चों के छोटे-छोटे झगडे, आपके घर में होने वाले शोर या पालतू जानवर पडोसियों की नाराजगी का कारण बन जाते हैं। अगर ऐसी किसी वजह से पडोसी आपसे नाराज हैं तो अपनी गलतियों को सुधार कर, जितनी जल्द हो सके उनके साथ सुलह कर लें क्योंकि पडोसी ही आपके सुख-दुख के सच्चे साथी होते हैं।
 

हेल्दी टिप
अंगूर इस बदलते मौसम में मिलने वाला ऐसा फल है, जिसमें मौजूद विटमिन सी हमें सर्दी-जुकाम से बचाता है। शोध से यह प्रमाणित हो चुका है कि अंगूर हृदय और किडनी से संबंधित बीमारियों से भी बचाव करता है। इसमें थके हुए शरीर को तुरंत एनर्जी देने वाले तत्व पाए जाते हैं।
 

अपै्रल: जॉब मार्केट के नए रूल्स
अप्रैल का महीना है प्रोफेशनल जिंदगी को बेहतर बनाने का। जॉब मार्केट में पिछले कुछ वर्र्षो में बहुत बदलाव आ गया है। सफलता के पैमाने भी बदल गए हैं। जानिए करियर में आगे बढने के कुछ नए रूल्स।
 

लक्ष्य : अप्रैल
राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय घटनाक्रम पर नजर रखें, खुद को अपडेट करें। काम के लिए जरूरी टेक्निकल स्किल हासिल करें। पर्सनल ग्रूमिंग करें।
अब है करियर के बारे में सोचने का समय। हाल के कुछ वर्षो में जॉब मार्केट की स्थितियां बहुत बदली हैं। आगे बढने के लिए कुछ नए नियमों का पालन जरूरी हो गया है।
 

कंफर्ट जोन से बाहर निकलें
करियर में विकास की पहली शर्त है-हर नई चीज सीखने को तैयार रहें। हर वर्ष प्रतिभाशाली युवाओं की नई खेप मार्केट में आ रही है। ऐसे में अपने फील्ड में महारत हासिल करना, चुनौतियां स्वीकार करना और कंफर्ट जोन से बाहर आना ही करियर में सफलता दिला सकता है।
 

काम में रुचि ढूंढें
क्या आप अपने काम से प्यार करते हैं? अगर आपको मनपसंद काम मिला है तो भाग्यशाली हैं। यदि नहीं मिला तो भी उसे चुनौती मानकर स्वीकार करें। यहां लव मैरिज व अरेंज्ड मैरिज का उदाहरण दिया जा सकता है। लव मैरिज में शुरुआत ही प्रेम से होती है, जबकि अरेंज्ड मैरिज में प्रेम धीरे-धीरे पैदा किया जाता है। इसी तरह काम किसी भी तरह का हो, उसके प्रति लगाव पैदा करना, उसमें अपनी रुचि खोजना व्यावहारिक समझदारी है।
 

पॉलिटिकली करेक्ट क्यों
हमेशा पॉलिटिकली करेक्ट नहीं रहा जा सकता। कभीकभार साफगोई भी जरूरी है। फिल्म थ्री इडियट में राजू (शरमन जोशी) जब इंटरव्यू बोर्ड को अपनी जीवन-स्थितियों के बारे में सब-कुछ सच बताता है तो बोर्ड मेंबर्स कुछ पल के लिए खामोश रह जाते हैं कि एक ऐसा व्यक्ति जो ईमानदारी और साफगोई से अपने बारे में बता रहा है, कंपनी के हक में सही साबित होगा! लेकिन बाद में वे उसे वापस बुलाते हैं। अब कंपनियां भी ऐसे लोगों को पसंद करती हैं, जो निडर होकर अपनी बात रख सकें ।
 

काम का माहौल बनाएं
सहकर्मियों व बॉस के बीच गरिमापूर्ण संबंध जरूरी है। बॉस से संबंध अच्छे नहीं हैं तो काम का माहौल बेहतर नहीं हो सकता। सकारात्मक वातावरण में ही अच्छा काम संभव है, इसलिए छोटी-छोटी बातों को तूल न देकर समझदारी से गलतफहमियां दूर करनी चाहिए।
 

फल की इच्छा भी करें
गीता में श्रीकृष्ण ने कहा था, कर्म करो, फल की इच्छा मत करो। यह आदर्श स्थिति व्यावहारिक संसार में संभव नहीं है। कठिन मेहनत के बावजूद यदि सही रिजल्ट न मिले तो कुंठाएं पैदा होती हैं। ऐसी स्थितियां लगातार जारी हों तो खुद का मूल्यांकन करना जरूरी है। वरिष्ठ अधिकारियों के सामने भी अपनी बात रखी जानी चाहिए।
 

रिज्यूमे हो आकर्षक
दौर खूबसूरत पैकिंग का है। अपने सी.वी. को आकर्षक क्यों न बनाएं! कोई भी संस्थान महज एक इंटरव्यू में व्यक्ति को नहीं जान सकता। सही डिटेल्स रिज्यूमे द्वारा ही पता चलती हैं। सही रिज्यूमे के प्रति सभी आकर्षित होते हैं। खुद तैयार न कर सकें तो एक्सपर्ट की मदद लें।
 

काम से हो काम
काम, काम और काम...भरोसा सिर्फ अपने काम पर रखें। सफलता का कोई शॉर्टकट नहीं है। कठिन मेहनत से ही व्यक्ति मंजिल तक पहुंच सकता है। अंतत: काम ही बोलता है, इसलिए सिर्फ अपने काम से ही काम रखें।
 

मई: थोडा समय ही तो मांगते हैं बच्चे
प्रोफेशनल जिंदगी पर ध्यान देने के बाद पेरेंटिंग की बारी आती है। बच्चे माता-पिता का समय चाहते हैं। व्यस्त जीवनशैली में जोर इस बात पर है कि बच्चों को क्वॉलिटी टाइम मिले। मई महीने में स्कूलों की छुट्टियां शुरू हो जाती हैं, इसलिए बच्चों से बेहतर संवाद के लिए कोशिश भी इस समय की जा सकती है।
 

लक्ष्य : मई
बच्चों के साथ हर स्थिति में संवाद बनाए रखें। कई बार टीनएजर्स पलटकर जवाब देते हैं और पेरेंट्स समझ नहीं पाते कि क्या करें। घबराएं नहीं और कुछ चीजें समय पर छोड दें। क्रोध में ऐसा कुछ न बोलें कि पछतावा हो।
दो वर्ष पूर्व भारत में एसोचैम के सोशल डेवलेपमेंट फाउंडेशन (एएसडीएफ) द्वारा कराए गए एक सर्वे के मुताबिक वर्किग कपल्स अपने बच्चों को दिन भर में महज 30 मिनट ही दे पाते हैं। यह रेंडम सर्वे कई कंपनियों के 3000 वर्किग कपल्स पर कराया गया। नतीजे में पाया गया कि एक कामकाजी स्त्री ऑफिस में 8-10 घंटे, आने-जाने में ढाई-तीन घंटे, कुकिंग व अन्य कार्यो में चार घंटे, सोने में 6-7 घंटे बिताती है। इस दिनचर्या में बच्चों के लिए केवल 30 मिनट का समय ही रहता है। कामकाजी पुरुष 11-12 घंटे ऑफिस, लगभग दो घंटे ट्रैवलिंग, एकाध घंटे टीवी देखने और 7-8 घंटे नींद में बिताते हैं। यह तो संभव नहीं है कि 24 घंटे उनके साथ रहा जाए, लेकिन अपनी दिनचर्या में थोडी फेरबदल करके कुछ वक्त बच्चों के साथ अवश्य बिताना चाहिए। कुछ टिप्स इसके लिए-
 

ब्रेकफस्ट साथ करें
सुबह का नाश्ता साथ करें। डाइनिंग टेबल पर उनके दिन भर के कार्यक्रम पर बातें करें या उन्हें मजेदार टास्क करने को दें। यदि उन्हें पेड-पौधों में रुचि है तो इससे संबंधित कार्य उन्हें सौंपें। शाम के लिए भी कोई मनोरंजक कार्यक्रम अभी तय कर लें, ताकि बच्चे दिन भर उत्साहित रहें।
 

घरेलू कार्यो में मदद लें
छुट्टी के दिन घरेलू कार्यो में उनका सहयोग लें। साथ काम करने और बातें करने का मजा ही अलग है। उन्हें चाय, सैंडविच, टोस्ट और जूस बनाना सिखाएं। घर की सेटिंग बदलने, डस्टिंग या अन्य कार्यो में उनका सहयोग लिया जा सकता है। इससे उनमें घरेलू कार्यो के प्रति सम्मान की भावना पैदा होगी, साथ ही आप उनके साथ ज्यादा वक्त बिता सकेंगे।
 

बेड टाइम फन
रोज टीवी देखते हुए खाना और फिर सो जाना निहायत बोरिंग है। बच्चों की खातिर इस आदत को बदलें। क्या उन्हें कहानियां सुनने का शौक है? वे म्यूजिक लवर हैं? चैस जैसे गेम्स उन्हें अच्छे लगते हैं? डिनर और सोने के बीच एक-डेढ घंटे के इस अंतराल में बच्चों की रुचियां जगाएं। यकीनन आपको भी उनकी कॉमिक बुक्स पढने में मजा आएगा।
 

फेमिली आउटिंग
रविवार का दिन आउटिंग के लिए रखें। कॉफी-स्नैक्स व फुटबॉल लें और निकल जाएं किसी पार्क या पिकनिक स्पॉट पर। मौज-मस्ती करें, वॉटर गेम्स खेलें, बोटिंग करें, पार्क में फुटबाल या वॉलीबाल खेलें। बच्चों को मजा आएगा, साथ ही आपको भी ताजगी का एहसास होगा।
 

दोस्तों को घर बुलाएं
बच्चों के दोस्तों को अपना दोस्त बनाकर देखें, उन्हें कभी घर बुलाएं। आपको पता चल जाएगा कि बाहर की दुनिया में क्या चल रहा है। बाजार में कौन सा नया मोबाइल आया है! फैशन में क्या इन है और क्या आउट! ट्विटर पर क्या नई ट्वीट आई है और किस सॉफ्टवेयर से ऑफिस के काम आसान हो सकते हैं..!
 

टाइम मैनेजमेंट
टाइम मैनेजमेंट का पेरेंटिंग में भी खासा महत्व है। एकल परिवार में यदि दो छोटे बच्चे हैं तो समय को ऐसे बांटा जा सकता है कि पति छोटे बच्चे को बाहर घुमा लाए और पत्‍‌नी बडे बच्चे का होमवर्क करा दे। घरेलू कामों को बांट लें ताकि पति-पत्‍‌नी दोनों बच्चों को समय दे सकें। बच्चे थोडा बडे हैं तो उन्हें सुबह थोडा जल्दी जगाएं। उनके साथ वॉक पर जाएं। इससे कुछ समय उनके साथ बिताने का मौका मिलेगा, साथ ही सुबह की ताजा हवा व ऑक्सीजन भी उन्हें मिल सकेगी।
 

हेल्दी टिप
नेत्र-रोगों व दिमाग दोनों के लिए पालक जरूरी है। कोलोन, प्रोस्टेट व ब्रेस्ट कैंसर सहित स्ट्रोक, डाइमेंशिया, लो ब्लडप्रेशर में यह फायदेमंद है। हार्ट अटैक की आशंका को कम करता है। हड्डियों के विकास के लिए जरूरी है। इसमें आयरन, विटमिन ए, सी, के, फोलेट, मैग्नेशियम, ल्यूटिन व कैल्शियम मिलता है।
 

जून: सैर कर दुनिया की गाफिल..
अभी तक आपने जो कुछ किया उस सब के केंद्र में दुनिया थी और दुनिया को महत्व देने के फेर में आप खुद अपने केंद्र से हट जाते हैं। जून का महीना बच्चों की छुट्टियों का होता है। बेहतर होगा कि इसे आप खुद को अपने केंद्र से जोडने का अवसर बनाएं। खुद को दुनिया में खपाने के बजाय दुनिया देखने में लगाएं और अपने होने का पूरा लुत्फ उठाएं।
 

लक्ष्य : जून
अब तक घूमने की इच्छा तो हो ही चुकी होगी। इस बार क्यों न कुछ अनजानी जगहों की सैर करने का मन बनाया जाए। दूर न हो सके तो आसपास की जगहों की ही सैर करें, जो अकसर सिर्फ इसलिए छूट जाती हैं कि उन पर ध्यान नहीं जाता।
जनवरी में नई चुनौतियां, फरवरी में निजी और मार्च में सामाजिक रिश्ते, अप्रैल में अपने और फिर मई में बच्चों के भविष्य की फिक्र.. इस पूरे क्रम में होता क्या है? लगातार श्रम, दौडभाग, तनाव.. आपकी निजी उपलब्धि सच पूछिए तो यही होती है। यकीन मानिए, आगे यानी साल के सेकंड हाफ में भी आपको आपके लिए कुछ और मिलने नहीं जा रहा है। अगर आप चाहते हैं कुछ वक्त सचमुच सेलब्रेट करना, तो इसके लिए जून के महीने से बेहतर दौर मिलने वाला नहीं है। यही वह वक्त है, जब बच्चों की छुट्टियां होती हैं। बच्चों की छुट्टी हो तो अलस्सुबह उन्हें तैयार करने में होने वाली भागदौड से आपको भी राहत। ऐसे वक्त में अगर आप घर बैठे तो आपका मूड रोजमर्रा कामकाज की ऊब से बाहर नहीं निकल सकेगा। इसलिए सबसे अच्छा यही होगा कि लीजिए कुछ दिनों की छुट्टी और निकल पडिए किसी भी तरफ।
एक ही जगह लगातार रहते, एक ही जैसी चीजें देखते, एक ही रास्ते पर आते-जाते और एक ही जैसा काम करते-करते कोई भी एकरसता का शिकार हो जाता है। यह पहले तो आपको ऊब से भरती है और फिर तनाव की ओर ले जाने लगती है। बाद में अरुचि का कारण बनती है, जिसका असर परफॉर्मेस पर पडता है। जाहिर है, बाद में यह आपके लिए कई मुश्किलों का कारण बन सकता है। आने वाली मुश्किलों से बचने के लिए जरूरी है बोरियत के एहसास से बाहर निकलना और उसका सबसे बढिया उपाय है पूरे सुकून के साथ सैर-सपाटा। किसी ऐसी जगह का सफर जो आप सिर्फ अपने लिए कर रहे हों। अकेले या अपने जीवनसाथी या फिर करीबी दोस्तों के साथ। इसलिए अति व्यस्तता और समय न निकाल पाने की आत्मप्रवंचना में न फंसें। बेहतर यही होगा कि जून के महीने में चाहे एक हफ्ते के लिए ही सही, आउटिंग का इंतजाम बनाएं। ताकि आप तन-मन से हो जाएं तरोताजा फिर अगले एक साल तक के लिए।
 

ऐसे बनाएं इंतजाम
वैसे यह मामला सिर्फआपकी चाहत पर निर्भर नहीं है। इसके लिए बहुत जरूरी है घर से बाहर निकलने के पहले अपनी महत्वपूर्ण जिम्मेदारियों के लिए सही इंतजाम बनाना। अगर आप अकेले हैं, तब तो आपको बस निकल पडना है। जब तक दो, तीन या चार नहीं होते, तब तक आप अकेले होने का पूरा लुत्फ उठा सकते हैं। आपको जरूरत सिर्फ छुट्टियों की होगी, जिनका इंतजाम आप आसानी से कर सकते हैं। सिर्फ शादीशुदा हैं और बच्चे नहीं हैं, तो भी कोई दिक्कत नहीं। बस आपको यह देखना होगा कि जिस वक्त आप निकलना चाहते हैं, उस वक्त आपके जीवनसाथी को अवकाश मिल सकेंगे या नहीं। हालांकि यह कोई मुश्किल बात नहीं है। अगर आप थोडा पहले से सजग हों और योजनाबद्ध तरीके से चलें तो आप दोनों लोग आसानी से छुट्टियां लेकर साथ निकल सकते हैं।
थोडी मुश्किल केवल उन लोगों के लिए हो सकती है जिनके बच्चे छोटे हैं। ऐसी स्थिति में आपके लिए जरूरी है कि अपने बच्चों की पसंद-नापसंद और चाहतों पर गौर करें। आप खुद पाएंगे कि सिर्फआपका प्यार ही बच्चों के लिए पर्याप्त नहीं है। ध्यान दें कि वे आपके अलावा और किन लागों के रहना पसंद करते हैं और उनमें ऐसे कौन लोग हैं, जो आपके बच्चों को खुशी से थोडे दिनों के लिए अपने साथ रखना पसंद करेंगे तथा जिन पर आप पूरा भरोसा कर सकेंगे। वे बच्चों के दादी-दादी, नाना-नानी, मौसी, बुआ या मामा भी हो सकते हैं। इस तरह बच्चों का आपके दूसरे परिजनों और रिश्तेदारों से जुडाव तो बढेगा ही, सामाजिक व्यवहार के प्रति उनकी सजगता भी बढेगी। यह उनके व्यक्तित्व के विकास में सहायक बनेगी।
बेहतर होगा कि आप उनसे पहले से बात करके रखें और यह भी गौर कर लें कि उनके लिए कौन सा समय सबसे मुफीद होगा।
फिर क्या है, बनाएं कार्यक्रम और चल दें जहां चाहें वहां के लिए। लौट कर आप खुद पाएंगे कि अब आप वही नहीं रह गए जो पहले थे। आपमें आ जाएगी नई ऊर्जा अच्छी-बुरी हर तरह की स्थितियों से जूझने के लिए।
 

जुलाई: यह मेरा समय है
पिछले महीने आपने सैर-सपाटे का आनंद तो उठाया लेकिन उसका असर आपकी त्वचा पर भी पडा होगा। ऐसे में अब जरूरी है कि आप अपने लिए समय निकालें और त्वचा को स्वस्थ सुंदर बनाए रखने के लिए ब्यूटी ट्रीटमेंट लें।
 

लक्ष्य : जुलाई
तय करें कि टाइम पर थ्रेडिंग, नेल फाइलिंग, फेशियल, हेयर स्पा के साथ बैलेंस डाइट लूंगी। ताकि हर समय सुंदर और आकर्षक नजर आएं । भागदौड भरी जिंदगी, काम के लंबे घंटे, मानसिक तनाव, नींद की कमी और करियर के साथ-साथ परिवार चलाने की भी जिम्मेदारी। यानी खुद के लिए आपके पास समय नहीं होता। आप चाहें तो अपने रुटीन में ही मी टाइम शामिल कर सकती हैं। भला कैसे बता रही हैं सौंदर्य विशेषज्ञा गुंजन तनेजा।
 

एक्सफोलिएशन
दिन भर की थकावट दूर करने के लिए जिस तरह शरीर को आराम की जरूरत होती है उसी प्रकार त्वचा को भी आराम और ताजगी की आवश्यकता होती है। यह एक्सफोलिएशन के जरिये हो सकता है। हफ्ते में दो बार मिनरल ग्लो स्क्रब का इस्तेमाल करें। इससे मृत त्वचा और ब्लैक हेड्स हट जाएंगे और त्वचा स्वस्थ, चमकदार एवं मुलायम हो जाएगी।
 

एक्स्ट्रा केयर हेयर स्पा
बालों को स्टाइल में रखना आज की जरूरत है। लेकिन स्टाइल के लिए बालों को तमाम रसायनों और तकनीकी प्रक्रियाओं से गुजरना पडता है, जो उन्हें कमजोर बना देते हैं। एक्स्ट्रा केयर हेयर स्पा ऐसे बेजान और कमजोर बालों को पोषण देने के लिए किया जाता है। यह प्रोटीन और सिलिकॉन ऑयल के नए मिश्रण से तैयार किया जाता है, जो बालों को मजबूत और चमकदार बनाने में मदद करता है।
 

एएचए (अल्फा हाइड्रॉक्सी एसिड) फेशियल:
धूप के कारण टैनिंग की समस्या आम है। इसलिए इस माह ए.एच.ए. फेशियल से टैनिंग दूर करें। यह पिग्मेंटेशन की मसस्या भी दूर करता है। इसमें अल्फा हाइड्रॉक्सी एसिड से बनाए गए क्रीम और सीरम का इस्तेमाल करते हैं और इन्हें त्वचा के अंदर डालने के लिए अल्ट्रासोनिक मशीन का इस्तेमाल करते हैं। इसके बाद एक खास तरह का पैक लगाते हैं जिसे एंजाइम पैक कहते हैं। यह त्वचा को रिजेनरेट करने में मदद करता है। टैनिंग ज्यादा हो तो इसे हफ्ते में दो बार करा सकती हैं।
टीनएजर लडकियों के लिए फ्रूट पीलिंग इसमें त्वचा की जरूरत के अनुसार फलों का पैक इस्तेमाल करते हैं। फिर हलके हाथों से स्क्रब करते हैं। ताकि त्वचा की गहराई से सफाई हो। इसके बाद फ्रूट पैक लगाते हैं। स्क्रब करने से रक्त संचार बढता है और त्वचा के कोश सक्रिय हो जाते हैं। ब्लैक हेड्स, व्हाइट हेड्स निकल जाने से एक्ने नहीं होते।
 

क्विक मेकओवर टिप्स
1. इंस्टेंट ग्लैम के लिए ब्राइट मस्कारा लगाएं। आजकल ब्ल्यू व ग्रीन मस्कारा ट्रेंड में है।
2. लाइट ब्राउन, मैरून या गोल्डेन लिप पेंसिल हमेशा अपने पास रखें। लुक चेंज करने के लिए पहले लिप पेंसिल से आउटलाइन बनाएं, फिर लिप ग्लॉस लगाएं।
3. अगर मेकअप नहीं करना चाहतीं तो अपनी आंखों को फोकस करने के लिए वॉटरप्रूफ काजल या आइपेंसिल लगाएं।
 

हेल्दी टिप
सोयाबीन चाहे साबुत या किसी अन्य रूप में खाया जाए, यह त्वचा के लिए बहुत पोषक है। त्वचा रोग विशेषज्ञों के अनुसार यह ऐसे रसायनों से भरपूर है जो एस्ट्रोजन का काम करते हैं। इसका उपयोग करने से त्वचा चिकनी और मुलायम बनी रहती है उसमें चमक भी आ जाती है। इसमें विटमिन ई प्रचुर मात्रा में पाया जाता है, जो नए कोशों का विकास करता है। साथ ही त्वचा को नम बनाए रखने में मदद करता है। इसलिए स्वस्थ त्वचा के लिए हफ्ते में तीन बार आधा-आधा कप सोया जरूर खाएं।
 

अगस्त: आजाद हूं मैं
अपना बाहरी व्यक्तित्व और सौंदर्य निखारने के बाद अब आपको अपने अंतर्मन में झांकना और खुद से यह सवाल जरूर पूछना चाहिए कि एक स्वतंत्र राष्ट्र की नागरिक होने के नाते आप कितनी आजाद हैं? क्या आप सामाजिक बुराइयों, अंधविश्वासों और मानसिक गुलामी के बंधनों से स्वयं को पूरी तरह मुक्त कर पाई हैं? भारतीय स्त्रियों के लिए अपनी स्थिति के मूल्यांकन और स्वयं को सामाजिक रूढियों के बंधनों से मुक्त करने के लिए यह बिलकुल सही समय है। क्योंकि इस महीने में हम देश की आजादी की सालगिरह मनाते हैं।
 

लक्ष्य : अगस्त
इस बार स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर आप अपने बच्चों में अच्छे संस्कार और देशभक्ति की भावना विकसित करने का संकल्प लें। उन्हें अपनी संस्कृति का सम्मान करना सिखाएं। बच्चों को देश के प्रमुख ऐतिहासिक स्थलों पर घुमाने ले जाएं और उन्हें इन जगहों से जुडी घटनाओं एवं तथ्यों के बारे में रोचक ढंग से बताएं। अपने बच्चों को देश की आजादी के लिए जीवन का बलिदान देने वाले शहीदों से संबंधित अच्छी किताबें पढने या डीवीडी देखने के लिए प्रेरित करें।
हर अच्छे काम की शुरुआत हमें अपने घर से ही करनी चाहिए, क्योंकि दूसरों को उपदेश देना बहुत आसान होता है, लेकिन अपनी जिंदगी में एक मामूली सा बदलाव लाने के लिए भी दृढ इच्छाशक्ति और कडी मेहनत की जरूरत होती है। इसलिए अगस्त माह में स्वतंत्रता दिवस को मद्देनजर रखते हुए दूसरों को सुधारने से पहले, हमें इसकी शुरुआत अपने परिवार से करनी चाहिए। आइए, सखी के साथ मिलकर हम सही मायने में कुरीतियों से मुक्त समाज बनाने की कोशिश करें:
1. आज से ही यह संकल्प लें कि मैं व्यावहारिक जीवन में दहेज प्रथा का विरोध करूंगी। अपने परिवार के किसी भी विवाह में दहेज के लेन-देन और प्रदर्शन के लिए अनावश्यक खर्च पर रोक लगाऊंगी।
2. अपने किसी भी काम को जल्दी पूरा करवाने के लिए रिश्वत कभी नहीं दूंगी और अपने कार्यस्थल पर भी पूरी निष्ठा व ईमानदारी से काम करूंगी।
3. जाति या धर्म के नाम पर अपने आसपास के लोगों के साथ किसी तरह का भेदभाव नहीं बरतूंगी और अपनी बातों से किसी भी दूसरी जाति या धर्म के लोगों की भावनाओं को ठेस नहीं पहुंचाऊंगी।
4. ईश्वर के प्रति सच्ची आस्था रखते हुए अपने मन से उन अंधविश्वासों को निकाल फेंकूंगी, जो हमारे व्यक्तित्व के विकास में बाधक हैं।
5. अपने आसपास के लोगों के साथ किसी भी तरह की नाइंसाफी देखकर चुप नहीं रहूंगी, बल्कि लोगों को अन्याय के खिलाफ आवाज उठाना सिखाऊंगी।
6. अपने परिवार और पास-पडोस में रहने वाले बुजुर्गो का खयाल रखूंगी और जरूरत पडने पर हमेशा उनकी सहायता के लिए तत्पर रहूंगी।
7. अपने परिवार में बेटी को भी बेटे के समान वो सारी सुविधाएं दूंगी, जो उसके व्यक्तित्व और करियर के विकास की दृष्टि से आवश्यक हैं। उसे आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनने के लिए प्रेरित करूंगी ताकि वह अपने जीवन से जुडे सभी महत्वपूर्ण निर्णय खुद लेने में सक्षम हो।
8. कन्या भ्रूण हत्या का हमेशा विरोध करूंगी और कोशिश करूंगी कि हमारे परिचितों या रिश्तेदारों में से कोई ऐसा कुकृत्य न करे।
9. देश के जिम्मेदार नागरिक की तरह अपने मतदान के अधिकार का इस्तेमाल जरूर करूंगी।
10. अपने घर के आसपास के वातावरण को साफ-सुथरा और हरा-भरा बनाने की कोशिश करूंगी। इस बारिश के मौसम में सडक के किनारे या पार्क में कम से कम दो पौधे जरूर लगाऊंगी और उनकी देखभाल भी करूंगी।
11. रोजमर्रा के जीवन में ऊर्जा के साधनों पानी, बिजली और पेट्रोल का अपव्यय रोकने की पूरी कोशिश करूंगी और अपने बच्चों को भी इसके लिए सचेत करूंगी।
12. अपने घर में कभी भी बाल मजदूर नहीं रखूंगी और अगर आसपास कोई ऐसा करे तो उसे रोकने की कोशिश करूंगी।
13. किसी जरूरतमंद परिवार के एक बच्चे की शिक्षा और भरण-पोषण की जिम्मेदारी खुद उठाऊंगी।
14. क्रोध और ईष्र्या-द्वेष जैसी नकारात्मक भावनाओं को नियंत्रित रखूंगी।
15. अपने पास-पडोस की स्त्रियों के साथ मिलकर जरूरतमंदों को आर्थिक और कानूनी सहायता प्रदान करूंगी।
16. अंत में, अपनी आजादी का उपयोग हमेशा सकारात्मक और रचनात्मक कार्यो के लिए करूंगी।
 

कितना  सक्षम है भारतीय पुरुष / स्त्री
आज जीवन के हर क्षेत्र में भारतीय पुरुष / स्त्री खुद को सक्षम साबित कर रही है। यहां तक कि ग्रामीण क्षेत्रों में हस्तकला जैसे कार्यो के माध्यम से देश की गरीबी मिटाने में अपना महत्वपूर्ण योगदान दे रही हैं, लेकिन अफसोस की बात यह है कि उनके इस प्रयास को तरजीह नहीं दी जाती।

 
हेल्दी टिप
अगस्त के महीने में बारिश की रिमझिम फुहारों के साथ चाय की चुस्कियों का मजा ही कुछ और होता है। अगर आप अपनी सेहत बनाना चाहती हैं और चाय पीने की शौकीन हैं तो हर्बल टी पीने की आदत डालें। इसमें कई ऐसे एंटी ऑक्सीडेंट तत्व पाए जाते हैं, जो शरीर की टूटी-फूटी कोशिकाओं की मरम्मत में सहायक होते हैं। इसमें मौजूद टैनिन नामक तत्व शरीर को स्फूर्ति प्रदान करने के साथ एसिडिटी को भी नियंत्रित करता है। इसलिए अगर चाय पीनी हो तो हर्बल टी पीने की आदत डालें और हमेशा चुस्त-दुरुस्त बनी रहें।
 

सितंबर: सेहतमंद जिंदगी के लिए फेमिली हेल्थ चेकअप
पिछले महीने आपने अपने परिवार को सामाजिक बुराइयों से मुक्त करते हुए एक आदर्श परिवार बनाने का संकल्प किया था और अब जरूरत है अपने परिवार को सेहतमंद बनाने की, क्योंकि तन स्वस्थ तो मन स्वस्थ। यहां फोर्टिस हॉस्पिटल के फिजीशियन अनिल गर्ग बता रहे हैं कि आप और आपका परिवार कैसे स्वस्थ रहे।
 

लक्ष्य: सितंबर
संकल्प लें कि जब मैं बाहर खाने पर जाऊंगी तो बटर पनीर या क्रीम पास्ता के बजाय थाई फूड ट्राई करूंगी। क्योंकि इनमें तमाम सारे ह‌र्ब्स और मसाले इस्तेमाल किए जाते हैं जो लो फैट होते हैं।
परिवार और करियर के बीच बेहतर संतुलन बनाए रखने के लिए आपको रोजाना कापी दौडभाग और मेहनत करनी पडती है। इसके चलते आप अकसर अपनी और अपने परिवार की सेहत को नजरअंदाज कर देती हैं। क्या आप आजकल अपनी सेहत का खयाल ठीक से रख रही हैं? अपने परिवार की सेहत के प्रति संजीदा हैं? अगर नहीं तो कदम बढाएं सेहतमंद जिंदगी के लिए।
 

बुजुर्र्गो के लिए
अगर आप कम से कम 80 साल तक जीना चाहते हैं तो 80 अंक को अपने दिमाग में रखें। आपके फास्टिंग ब्लड शुगर और डायास्टॉलिक ब्लड प्रेशर की रीडिंग 80 या उससे कम होना चाहिए। साथ ही आपके कमर की नाप 80 सेमी. (36) से ज्यादा नहीं होनी चाहिए।
चेकअप : ब्लड शुगर (फास्टिंग, पीपी), थॉयरायड, ब्लड प्रेशर और बोन डेंसिटी टेस्ट, यूरिन कल्चर, कार्डिक चेकअप्स और कोलेस्ट्रॉल टेस्ट।
 

स्त्रियों के लिए
डाइटीशियन ईशी खोसला के मुताबिक अपनी डाइट में प्रोटीन, कैल्शियम, विटमिन मिनरल्स शामिल करें। रोजाना दो ग्लास दूध, एक ग्लास ताजे फलों का रस और 4-5 भीगे हुए बादाम खाएं। एक बोल उबली हुई हरी सब्जियां, सैलेड और एक कटोरी दाल रोज लें। ब्रेकफस्ट कभी मिस न करें। रात भर (10-12 घंटे खाली पेट) सोने के बाद शरीर और मस्तिष्क को दोबारा खाने की जरूरत होती है। अगर आप ब्रेकफस्ट नहीं कर पाती हैं तो थोडे नट्स और एक केला जरूर खा लें। न्यूट्रिशन फाउंडेशन ऑफ इंडिया के मुताबिक 90 प्रतिशत टीनएज ग‌र्ल्स और स्त्रियां एनीमिक होते हैं। इसलिए अपनी डाइट में आयरनयुक्त चीजें जैसे पालक किशमिश और गुड शामिल करें।
चेकअप : कंप्लीट हीमोग्राम, डायबिटीज, पेल्विक अल्ट्रासाउंड, ब्रेस्ट एग्जामिनेशन, पेपस्मीयर एंड मैमोग्राफी और थॉयरायड टेस्ट, ब्लड शुगर (फास्टिंग, पीपी)।
 

पुरुष के लिए
लंबे समय तक सीट पर बैठ कर काम करने, समय पर खाना न खाने, फैटी और जंक फूड के कारण पुरुषों का वजन अचानक बढ जाता है। जब टमी बाहर नजर आने लगता है तो जुट जाते हैं हर तरह की एक्सरसाइज में। यह सेहत के लिहाज से नुकसानदेह है। 40 की उम्र के बाद किसी भी एक्सरसाइज को धीरे-धीरे करें। जिम ट्रेनर के निर्देशानुसार 20 मिनट ब्रिस्क वॉक व 40 मिनट बिल्ड-अप करें। कोलेस्ट्रॉल न बढे इसलिए जंक फूड से बचें।
चेकअप : ब्लड प्रेशर, वेट मेजरमेंट, कोलेस्ट्रॉल, इलेक्ट्रोकार्डियोग्राम, एचआईवी टेस्ट और डायबिटीज टेस्ट।
 

बच्चों के लिए
इम्यून सिस्टम मजबूत बनाने, मानसिक विकास और बढत के लिए पौष्टिक डाइट लें। फ्रूट, वेजटेबल्स, डेयरी प्रोडक्ट्स और 6 मील बहुत जरूरी हैं।
चेकअप : हीमोग्राम, आरबीसी, टीसी एंड डीसी, ईएसआर, ब्लड ग्रुप, यूरिन एनालिसिस, मैनटॉक्स टेस्ट, चेस्ट एक्सरे, ईएनटी और डेंटल चेकअप, ग्रोथ टेस्ट।
 

हेल्दी टिप
दही में पर्याप्त मात्रा में कैल्शियम होता है, जो हड्डियों को मजबूत बनाता है। साथ ही लैक्टो बैसिलस नामक बैक्टीरिया पाया जाता है, जो पेट में इन्फेक्शन फैलाने वाले विषाणुओं को नष्ट करके पाचन क्रिया को दुरुस्त रखता है। यह हाई ब्लड प्रेशर और कोलेस्ट्रॉल की मात्रा नियंत्रित करने में भी मदद करता है। यह हर उम्र के लोगों के लिए लाभदायक है इसलिए अपने रोजाना के भोजन में ताजा दही जरूर शामिल करें।
 

अक्टूबर: सुंदर और व्यवस्थित हो हमारा घर
साफ और सुव्यवस्थित घर में ही स्वस्थ तन-मन का विकास होता है, वास्तुशास्त्र में भी इस तथ्य को स्वीकारा गया है। अपने घर को वास्तु फ्रेंड्ली कैसे बनाए, बता रहे हैं वास्तु विशेषज्ञ डॉ. आनंद भारद्वाज।
 

लक्ष्य : अक्टूबर
आइए, हम इस महीने अपने घर के आसपास के वातावरण को भी साफ-सुंदर और प्रदूषण रहित बनाने का संकल्प लें। इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता कि पॉलिथीन बैग की वजह से हमारे पर्यावरण को सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचता है। इसलिए खुद से यह वायदा करें कि हम अपने घर में पॉलिथीन बैग के बजाय कपडे से बने थैलों या कागज के लिफाफों का इस्तेमाल करेंगे।
 

क्लटर फ्री होम
अक्टूबर के महीने तक बरसात खत्म हो चुकी होती है और सर्दी हौले-हौले दस्तक देने लगती है। यह ऐसा समय है, जब नए सिरे से पूरे घर को व्यवस्थित करके उसे कंप्लीट क्लटर फ्री बनाना बहुत जरूरी हो जाता है। क्योंकि बरसात की वजह से घर में रखी पुरानी और बेकार चीजों में ऐसे बैक्टीरिया और फफूंद आदि भर जाते हैं, जो सेहत के लिए बहुत नुकसानदेह होते हैं। इसके लिए कुछ बातों का खास तौर पर ध्यान रखना चाहिए :
1. अपने पूरे घर पर एक नजर डालें कि कौन सी ऐसी चीजें हैं, जिनका इस्तेमाल कुछ वर्षो या महीनों से नहीं हुआ। ऐसी चीजें भले ही अपनी नई पैकिंग में रखी हों, फिर भी वास्तु की दृष्टि से इन्हें कबाड ही माना जाता है। ऐसी चीजें निकालकर जरूरतमंदों को बांट दें।
2. अपना बॉक्स बेड चेक करें और इस बात का ध्यान रखें कि उसमें बेवजह पुरानी चीजें जमा न होने पाएं। वास्तु के अनुसार अगर बॉक्स बेड में बेकार और पुरानी चीजों का संग्रह हो तो इससे नींद में बाधा पैदा होती है।
3. किचन में कई बार ऐसी चीजें जमा हो जाती हैं, जिनकी हमें वाकई जरूरत नहीं होती। जैसे-पुराने बर्तन, डिब्बे, फ्रिज की बोतलें आदि। ऐसी चीजों को हटाते रहना जरूरी है। स्टोर और गराज में भी फालतू सामानों का संग्रह न करें।
 

वास्तु फ्रेंड्ली घर
इन छोटी-छोटी बातों का ध्यान रखने से परिवार में खुशहाली आती है :
1. घर का मुख्यद्वार पूर्व दिशा में होना शुभ माना जाता है। इस दिशा में स्थित सभी खिडकियों और दरवाजों को सुबह के वक्त खोलकर रखें, क्योंकि इनसे घर में ताजी हवा और सूरज की रोशनी के साथ सकारात्मक ऊर्जा का भी प्रवेश होता है।
2. दक्षिण-पश्चिम दिशा में स्थित खिडकियों और दरवाजों को अकसर बंद रखें या उन पर भारी परदे डालकर रखें।
3. पूजा का स्थल पूर्वोत्तर दिशा में होना चाहिए। यदि ऐसा संभव न हो तो दक्षिण-पश्चिम को छोड कर किसी भी दिशा में स्थित कमरे के पूर्वोत्तर कोने में भगवान की मूर्ति इस तरह स्थापित करें कि पूजा करते समय आपका मुख पूर्व दिशा की ओर रहे।
4. वास्तु की दृष्टि से दक्षिण-पूर्व दिशा किचन के लिए सबसे अच्छी मानी जाती है। इसके अलावा इनवर्टर, टीवी, मेन स्विच बोर्ड, इलेक्ट्रिक मीटर, जेनरेटर आदि के लिए भी यह दिशा उपयुक्त होती है।
 

घर में लाएं सकारात्मक ऊर्जा
5. घर में सुबह और शाम के वक्त धीमे स्वर में कोई मधुर संगीत बजने दें ताकि परिवार के सदस्यों को पॉजिटिव साउंड एनर्जी का लाभ मिल सके। इससे घर के संपूर्ण वातावरण में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह होगा।
6. घर की लॉबी में विंडचाइम लगाना भी फायदेमंद साबित होता है। इससे निकलने वाली मधुर स्वर-लहरियां पूरे वातावरण में सकारात्मक ऊर्जा का संचार करती हैं।
7. घर में हमेशा सकारात्मक भावना दर्शाने वाली सुंदर पेंटिंग्स या शो पीसेज लगाएं। डूबता सूरज, तूफान में घिरा जहाज, रोता हुआ बच्चा, हिंसक पशु और युद्ध के दृश्य वाली पेंटिंग्स, डरावनी मुखाकृति वाले शो पीसेज या टूटी हुई मूर्तियां घर में नहीं सजानी चाहिए।
8. घर की सफाई का पूरा ध्यान रखें और पोंछा लगाते समय पानी में चुटकी भर सी-सॉल्ट मिलाएं। इससे वातावरण की नकारात्मकता दूर होती है।
9. हर महीने कैलेंडर का पृष्ठ पलटती रहें। इस बात का ध्यान रखें कि घर की सारी दीवार घडियां एवं इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स सही ढंग से काम करते रहें।
10. अगर किसी दरवाजे से कर्कश ध्वनि निकलती है तो उसे तुरंत ठीक करा लें।
11. घर के उत्तर या उत्तर-पूर्व दिशा में पानी का छोटा सा फाउंटेन या एक्वेरियम रखने से धन के देवता कुबेर प्रसन्न होते हैं और परिवार में सुख-समृद्धि आती है।
 

हेल्दी टिप
विटमिन सी, एंटीऑक्सीडेंट और एंटी-इन्फ्लेमेटरी तत्वों से भरपूर आंवले को अपने आहार में जरूर शामिल करें। यह इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाता है।
 

नवंबर: वॉर्डरोब वंडर
जिस तरह सीजन बदलता है उसी तरह मूड भी बदलता है। मूड बदलने का सबसे अच्छा तरीका है कि अपने वॉर्डरोब में फेरबदल करें। खुद को नई पहचान देने के लिए नवंबर में वॉर्डरोब मेकओवर का संकल्प लें। इस गुलाबी ठंड का स्वागत करें अपने वॉर्डरोब में सिप एक नया पीस शामिल करके.और क्रिएट करें यूनीक स्टाइल स्टेटमेंट।
 

लक्ष्य : नवंबर
मिक्स एंड मैच का फंडा बेफिक्र होकर अपनाएं। अपना खद का स्टाइल स्टेटमेंट क्रिएट करें।
विंटर्स है तो क्या हुआ, इस सीजन में भी आप हॉट पैंट्स और शॉर्ट स्कर्ट पहन सकती हैं। फैशन डिजाइनर्स ने इस प्रॉबलम का सिंपल सलूशन निकाला है -लेगिग्स। केवल मल्टीकलर्ड एंड प्रिंटेड लेगिग्स अपने वॉर्डरोब में शामिल करके सेंटर ऑफ अट्रैक्शन बन सकती हैं।
वेस्टर्न वेयर हो या ट्रडिशनल, बोलेरो जैकेट इन सर्दियों में हॉटेस्ट ट्रेंड के रूप में उभरा है। इन्हें किसी भी कैजुअल ट्यूनिक व सिंपल सूट के साथ टीम करके ग्लैमरस लुक पा सकती हैं। साथ ही डेनिम व ट्राउजर के साथ भी को-ऑर्डिनेट किया जा सकता है।
हमेशा की ही तरह इस विंटर्स भी लॉन्ग बूट्स काफी पॉपुलर रहेंगे। जिनके लेग्ज शेप्ड नहीं होते और जिन्हें बेहद ठंड लगती है, उनके लिए बेस्ट ऑप्शन हैं बूट्स।
विंटर्स में हमारे वॉर्डरोब का अहम हिस्सा बन जाते हैं वुलन कैप्स। तो क्यों न इन्हें अपने क्लोजेट में शामिल करके अपनाएं वॉर्म लुक। डिजाइनर्स ने हैंड निटेड वुलन कैप्स के ब्राइट कलर पैलेट पर बोल्ड पैटर्न का बखूबी प्रयोग किया है। जिन्हें पहनकर इस डल सीजन में ब्राइटनेस ला सकती हैं आप।
किसी भी सिंपल व कैजुअल आउटफिट को अट्रैक्टिव बना देती हैं नेक पीसेज। आजकल मल्टी स्ट्रैंड मटैलिक नेक पीसेज काफी चलन में हैं। केवल एक हेवी पीस ओवरऑल पर्सनैलटी को डिफाइन करने में मदद करेगी। विंटर्स के लिए स्कार्फ स्टाइल नेक पीसेज बेस्ट हैं। इनकी खासियत है कि इन्हें इंडियन या वेस्टर्न, किसी भी आउटफिट के साथ को-ऑर्डिनेट किया जा सकता है।
फैशन डिजाइनर्स मानते हैं कि इस सीजन लॉन्ग जैकेट या कोट फैशन कॉन्शियस लोगों को सबसे ज्यादा पसंद आएंगी। फॉर्मल ओकेजंस पर ट्राउजर के साथ टीम करें। साथ ही बिना किसी लोअर्स के इसे पार्टी में पहनकर ट्रेंडी लग सकती हैं।
समर वॉर्डरोब में फेरबदल करके शॉर्ट स्कर्ट को ट्रेंडी लुक देने के लिए इसे जैकेट या सिक्विंड शर्ट के साथ कंबाइन करें। ऐसा नहीं है कि विंटर्स में शॉर्ट स्कर्ट नहीं पहनी जा सकती। अगर आपने फुल स्लीव्स जैकेट या वूलन टॉप पहना है तो कोई जरूरी नहीं है कि आप स्कर्ट को लेगिंग्स या स्लेक्स के साथ टीम करें।
पटियाला सलवार, हैरेम पैंट्स, लूज ट्राउजर हम सभी के वॉर्डरोब में होते हैं। क्योंकि यह कंफर्टेबल आउटफिट्स हैं, इन्हें फिटेड टॉप या स्वेटर्स के साथ को-ऑर्डिनेट कर सकती हैं। साथ में एक्सेसरीज के तौर पर बेल्ट का प्रयोग भी कर सकती हैं।
 

हेल्दी टिप
अगर आप सुंदर दिखना चाहती हैं तो गाजर को हर रूप में अपने डाइट में शामिल करें। इसमें विटमिन ए की मात्रा भरपूर होती है। त्वचा को भी यह हमेशा जवां बनाए रखने का काम करता है।
 

दिसंबर: तय करें कहां खडे हैं हम
दिसंबर के महीने में जहां एक ओर वर्ष बीतने का एहसास तेजी से होता है, वहीं नए साल के स्वागत की तैयारियां भी शुरू हो जाती हैं। पिछले पन्नों में सखी के साथ आपने कुछ व्यावहारिक संकल्प लिए। साल का बारहवां व अंतिम महीना है। वक्त है यह सोचने का कि संकल्पों को किस हद तक पूरा कर सके! जीवन के लिए जो मूल्य तय किए-उन पर कितने खरे उतरे! जो लक्ष्य निर्धारित किए-उन्हें किस हद तक पा सके! इस प्रश्नावली में हिस्सा लेकर आत्ममूल्यांकन करें। जानें कि जिंदगी के किस पहलू पर आप संतुलित हैं और कहां सुधार की गुंजाइश है।
उम्रे-दराज मांग कर लाए थे चार दिन
दो आरजू में कट गए दो इंतजार में।
अंतिम मगल बादशाह बहादुर शाह जफर की ये पंक्तियां समय की कीमत पर बहुत-कुछ कह जाती हैं। जिंदगी दो दिन की है और कल कभी नहीं आता। छोटे से इस जीवन में करने को बहुत-कुछ है। बात नए साल के आगाज से शुरू की थी और अब दिसंबर तक आ पहुंचे हैं। सखी के साथ मिलकर आपने भी कुछ संकल्प लिए। अब वक्त है आत्म-मूल्यांकन का। संकल्प कहां तक पूरे हुए? जो लक्ष्य निर्धारित किए थे, उन्हें किस सीमा तक पा सके? जीवन के शारीरिक, मानसिक और आत्मिक स्तर पर कितना संतुलन बिठा सके? मनसा, वाचा, कर्मणा यानी मन, वचन या कर्म से अपने प्रति कितने ईमानदार रहे? यहां दी जा रही प्रश्नावली के जवाब ईमानदारी से दें, खुद जान जाएंगे कि जीवन के किन स्तरों पर आप संतुलन बिठा सके हैं और किस स्तर पर बदलाव की जरूरत है।
 

बॉडी (शारीरिक)
मैंने नियमित वॉक करने के अपने संकल्प को पूरा किया।
जरूरत पडने पर मैंने अपने और परिवार का मेडिकल चेकअप कराया।
हेल्दी फ्रूट्स व वेजटेबल्स को नियमित डाइट में शामिल किया।
मैंने अपनी दिनचर्या व्यवस्थित की, साथ ही सोने-जागने का अपना समय भी निर्धारित किया।
शरीर को निरंतर कष्ट देने के बजाय जरूरत पडने पर मैंने आराम और भरपूर नींद लेने का खयाल रखा।
मैंने वेट मैनेजमेंट के अपने लक्ष्य का पूरा ध्यान रखा। महीने में एक बार बॉडी मसाज कराने, स्पा लेने का अपना टारगेट मैंने पूरा किया।
चाय, कैफीन, कॉफी के बजाय मैंने दिन भर तीन-चार लीटर पानी पीने की आदत डाली।
मैंने पर्सनल ग्रूमिंग पर ध्यान दिया और अपनी लाइफस्टाइल में सुधार की पूरी कोशिश की।
वार्डरोब में कुछ बदलावों के अलावा मैंने अपने पूरे घर व ऑफिस की साज-सज्जा में भी बदलाव किए।
 

माइंड (मानसिक)
मैंने साल में दो बार लंबा अवकाश लिया और परिवार के साथ घूमने गई/गया।
मैंने नई चीजों को सीखना जारी रखा और अपनी रुचि बरकरार रखी।
कार्यस्थल में आने वाली कठिनाइयों को मैंने चुनौती मानकर स्वीकार किया।
दिन भर में कुछ खास पल मैंने सिर्फ अपने लिए निकाले, जिनमें अपने छूट चुके शौक पूरे किए। मित्रों-रिश्तेदारों से मिलने-जुलने के अलावा मैंने सामाजिक रिश्ते भी सुधारे।
परिवार और बच्चों के साथ भरपूर समय गुजारा और उन्हें शिकायत का मौका नहीं दिया।
दुख-तकलीफ के समय मैंने संतुलन बनाए रखा और इसे जीवन का हिस्सा माना।
आर्थिक पहलू पर समझदारी भरे निर्णय लिए, बचत पर ध्यान दिया और घरेलू बजट भी बनाया।
मैंने अपनी स्किल बढाने के लिए कुछ प्रोफेशनल कोर्स किए।
ऑफिस में परफेक्शन के साथ अपना काम समय पर पूरा किया।
 

सोल (आत्मिक)
मैंने जीवन में ध्यान, प्रार्थना और योग की महत्ता समझी और इसे दिनचर्या में शामिल किया।
बच्चों को पर्यावरण संरक्षण के महत्व के बारे में समझाया और घर में पॉलीथिन बैग को प्रतिबंधित किया ।
मैंने कुछ अच्छे काम नि:स्वार्थ भाव से किए, जिनसे मुझे आत्मिक संतोष मिला।
रोज सोते समय मैंने ईश्वर का धन्यवाद किया कि उसने मुझे दिन को अच्छी तरह बिताने में मदद की।
परिवार, संबंधियों और मित्रों की कीमत मैंने समझी, सारी गलतफहमियों को दूर कि.या।
कुछ जरूरतमंदों की मदद की। खुद में एक नई ऊर्जा व उत्साह का अनुभव किया।
मैंने परनिंदा के बजाय आत्मविश्लेषण की नई राह पर चलना सीखा।
जब कभी हताशा-निराशा या दुख ने मुझे घेरा, मैंने खुद से अधिक दुखी लोगों की ओर देखा।
किसी भी दुविधापूर्ण स्थिति में मैंने अपनी अंतरात्मा की आवाज सुनी।
हर सुबह मैंने दिन शुरू करने से पहले खुद से पूछा कि मैं कौन हूं और मेरा उद्देश्य क्या है?
 

अंकों का गणित
हां : 10 अंक
कभी-कभी : 7 अंक
नहीं : 3 अंक
अगर आपका स्कोर 225 से 300 के बीच आता है तो आप अपने लक्ष्य के प्रति समर्पित व गंभीर हैं। आप जीवन में संतुलन का महत्व समझते हैं। कहा जा सकता है कि आप निजी-प्रोफेशनल जिंदगी में परफेक्ट हैं। यदि आपके कुल अंक 150 से 225 के बीच हैं तो जीवन को व्यवस्थित करने के लिए आप प्रयासरत हैं। आप सही राह पर हैं, इसलिए कभी न कभी लक्ष्य भी प्राप्त कर ही लेंगे। अगर आपके अंक 90 से 150 के बीच हैं तो कहीं न कहीं आपके जीवन में संतुलन की कमी है। परेशान न हों, फिर से जीवन का अर्थ समझें और अपने लिए कुछ लक्ष्य अवश्य बनाएं। जो खो गया है, उसे लौटाया नहीं जा सकता, लेकिन जो सामने है-उसे पाया जा सकता है। महत्वपूर्ण यह है कि आप अपनी निगाहों में कैसे व्यक्ति हैं और आपकी जिंदगी का असल मकसद क्या है! ( दैनिक जागरण )