Atreya


Thursday, January 26, 2012

कॅरियर की सीधी गणित

कॅरियर की सीधी गणित
मैथ्स की महत्ता समाज में प्राचीनकाल से रही है और अक्सर देखा जाता है कि मैथ्स में अच्छे स्टूडेंट्स अन्य विषयों में भी बहुत अच्छे होते हैं। यही कारण है कि मैथ्स स्टूडेंट्स की पहुंच इंजीनियरिंग की परंपरागत ब्रांचेज के अलावा कंप्यूटर, कॉर्पोरेट व‌र्ल्ड, एडमिनिस्ट्रेशन, फाइनेंस व टीचिंग तक होती है। कैंडीडेट की मानसिक क्षमताओं क ी परख में मैथ्स की खास भूमिका देखते हुए सभी प्रतियोगी परीक्षाओं में मैथ्स से संबधित प्रश्न अवश्य पूछे जाते हैं। इस विषय की सबसे बडी खासियत यह है कि इसमें रटकर नहीं, बल्कि समझकर ही एक्सपर्ट बना जा सकता है। खुद विशेषज्ञ मानते हैं कि स्कूली स्तर पर इस सब्जेक्ट में बेहतर अंक लाने का मतलब ही है बेहतर भविष्य व कॅरियर की भरपूर च्वाइसेस। तो वहीं दिमागी कसरत के लिहाज से भी गणित को कमतर नहीं आंका जा सकता, अखबारों, पत्रिकाओं में नंबर पजल्स, सुडोकू को मिलती प्रमुखता इसी बात को दर्शाता है। अब सरकार भी मानती हैकि तकनीक, आईटी, रक्षा, विज्ञान, मानव संसाधन, व्यापार समेत ज्यादातर क्षेत्रों में देश की तरक्की को तभी पर लेगेंगे कि जब भारतीय युवा, मैथ्स में बेहतर हों। ऐसे में गणित की ओर ज्यादा से ज्यादा युवाओं को आकर्षित करने के लिए हाल ही में भारत सरकार ने गणित के जादूगर श्रीनिवासन रामानुजन के 125वें जन्मदिवस के मौके पर 2012 को राष्ट्रीय गणित वर्ष घोषित किया है। अब से हर साल 22 दिसंबर को राष्ट्रीय गणित दिवस के रूप में मनाने की बात कही गई है।
 
सुलझाएं कॅरियर के सवाल
आज सभी यह मान चुके हैं कि विकास में साइंस एंड टेक का महत्वपूर्ण योगदान है। सभी तरह के रिसर्च और विकास की परिकल्पना साइंस की तरक्की पर ही निर्भर है। और साइंस मैथ्स के बिना अधूरी है। यही कारण है कि सभी देशों की सरकारें मैथ्स व साइंस के विकास के लिए अनेक तरह के प्रयास करती हैं। आज हम कंप्यूटर क्षेत्र में बेहतर मैथ्स की वजह से आगे हैं। सुपर थर्टी के संस्थापक आनंद कहते हैं कि पिछले कुछ समय से चीन ने मैथ्स के कई अंतरराष्ट्रीय मंचों पर धाक जमाई है, जिसका कारण हैउनका एक खास एजूकेशन स्ट्रक्चर-जहां गांव, कस्बा, जिला, शहर सभी स्तरों से मैथ्स टैलेंट को खंगाला व तराशा जाता है। हालांकि भारत में राष्ट्रीय गणित ओलंपियाड जैसे आयोजन जरूर इस दिशा में उम्मीदें जगाते हैं, लेकिन अभी भी इस दिशा में काफी कुछ किया जाना है। आज यदि हाईस्कूल, इंटर में आपके पास गणित सबजेक्ट है तो कॅरियर की ज्यादातर राहें आपके लिए खुली हुई हैं। इन राहों में भी कुछ विकल्प ऐसे हैं, जहां गणित में स्पेशलाइजेशन आपके कॅरियर में चार चांद लगा सकता है। यदि आपको भी गणित में रूचि हैं और इसी क्षेत्र में इंट्री लेने का मन बना रहे हैं तो यहां कुछ ऐसे ही डिमांडिंग सेक्टर दिए जा रहे हैं.
 
स्टेटिशियन: ऊंचा है कॅरियर का ग्राफ
किसी भी देश की प्रगति क ी तस्वीर जानने में आंकडों की सर्वाधिक उपयोगिता होती है। ये आंकडें देश में व्यापार की स्थिति, जीडीपी, मानव विकास, स्वास्थ्य, पर्यावरण, शिक्षा, संस्कृ ति जैसे तमाम क्षेत्रों की असल तस्वीर सामने लाते हैं। हाल ही में हुई जनगणना के तमाम दुर्लभ आंकडों का संग्रहण व प्रोसेसिंग सक्षम सांख्यिकीविदों के ही चलते संभव हुई है। ऐसे में वे सभी युवा, जो संाख्यिकीविद बन अपनी किस्मत संवारना चाहते हैं, उनके लिए यहां अच्छे अवसर हैं।
 
मैथ्स में महारत महत्वपूर्ण
इंजीनियरिंग की गिनती आज कोर सेक्टर में होती है। यह 12 वीं बाद युवाओं के सबसे पंसदीदा कॅरियर च्वाइसेस में एक है। लेकिन इसमें इंट्री तभी मिल सकेगी, जब आपकी मैथ्स स्ट्रॉन्ग हो। इंजीनियर को तो आधुनिक विश्वकर्मा भी कहा जाता है, क्योंकि कंस्ट्रक्शन व डेवलेपमेंट के क्षेत्रों में इनकी अहम भूमिका होती है। इंजीनियरिंग के अंतर्गत कई ब्रांचेज आती हैं। ऐसे में यदि आपके पास12वीं में गणित रही है और आप उसमें रुचि भी रखते हैं तो इंजीनियरिंग आपक ो कॅरियर के कुछ सर्वश्रेष्ठ विकल्प उपलब्ध करा सकती है।
 
कंप्यूटर: मैथ्स देती एडवांस मैथेड
कंप्यूटर प्रोग्रामिंग में कोडिंग व कैलकुलेशन की जरूरत होती है। गणित में रुझान रखने वाले युवाओं के लिए यहां अच्छे अवसर हैं। यदि आपको मैथमेटिकल पजल्स सॉल्व करने में मजा आता है, अंको के इस खेल में खुद पर भरोसा है तो आप इस लाइन को प्रोफेशनल रंग दे सकते हैं। कंप्यूटर प्रोग्रामिंग के क्षेत्र में अंडरगे्रजुएट, पीजी कार्स करके या फिर माइक्रोसॉफ्ट, ओरेकल के सर्टिफाइड कोर्स पूरा कर पैर जमाए जा सकते हैं।
 
कॅरियर का तेज कैलकुलेशन
अर्थव्यवस्था की तेज गति के बीच आज फाइनेंस, अकाउंटिंग जैसी चीजें तेजी से पॉपुलरिटी पा रही हैं। ठीक हैकि सीए, ऑडिटर बनने के लिए आप किसी स्ट्रीम विशेष में बंधे नहीं हैं, लेकिन कार्यक्षेत्र में आपको गणित की जरूरत हर कदम पर पडेगी। आज की तारीख में ऑडिटिंग, टैक्सेसन से जुडे लोंगों को ज्यादातर संस्थानों में हाथों-हाथ लिया जाता है।
ओआरए: अप्रोच रखेगी आगे
आज कॉरपोरेट सेक्टर में जबर्दस्त कंपटीशन के बीच कोई कंपनी किसी से पीछे नहीं रहना चाहती। कंपनियों व संस्थानों की इसी आपसी होड ने ऑपरेशन रिसर्च एनालिसस्ट के काम को बढत दिलाई है। दरअसल, ऑपरेशन रिसर्च एनालिसिस्ट, एप्लाइड मैथमेटिक्स व सामान्य विज्ञान दोनों ही क्षेत्रों से जुडा विषय है, जिसमें कॉरपोरेट समस्याओं के हल के लिए एडवांस एनालिटिकल मैथेड्स जैसे मैथमेटिकल मॉडलिंग, स्टेटिस्टिकल एनालिसिस जैसी चीजों का इस्तेमाल होता है। इन दिनों बडी संख्या में कंपनियां मार्केट में पकड बनाने के लिए इन्हीं ओआरए की मदद ले रही हैं। यदि आप भी इस क्षेत्र में बढने के इच्छुक हैं तो फिर मैथ्स की एडवांस नॉलेज के साथ कंप्यूटर स्किल्स को धारदार बनाएं।
 
टीचिंग: बिल्डिंग बैकबोन्स
आज भी मैथ्स की गिनती स्कूल लेवल पर सबसे प्रमुख सब्जेक्ट्स में होती है। यही कारण है कि मैथ्स टीचर की मांग सभी स्कूलों में रहती है। यह ऐसा सब्जेक्ट है, जिसे सभी लोग नहीं पढा सकते हैं। इस बीच यदि आप अपनी सुदृढ मैथ्स के जरिए भविष्य के वैज्ञानिक, इंजीनियर का जबर्दस्त टैलेंट पूल डेवलेप करना चाह रहे हैं तो टीचिंग आपके इन प्रयासों को परवाज देगी। उस पर शिक्षा क्षेत्र में बढे सरकारी कदमों के बीच मैथ्स में पीजी, एजेकूशन ग्रेजुएट युवाओं के पास टीचर बनने के पूरे मौके हैं। तो वहीं आप चाहें तो हायर लेवल पर लेक्चरर, प्रोफेसर के साथ प्राइवेट कोचिंग भी आपके कॅरियर को रौशन राह दे सकती है। इसके साथ ही साथ बैकिंग, रेलवे, एसएससी, एनडीए, सीडीएस जैसे कईप्रमुख एग्जाम्स हैं,जिन्हें क्वालीफाई करने के लिए आपको अच्छी मैथ्स की दरकार होगी।
 
एनबीएचएम स्कॉलरशिप
देश को गति व युवा कॅरियर को उडान देने में परमाणु ऊर्जा विभाग से संबद्ध एनबीएचएम स्कॉलरशिप्स प्रोग्राम्स का खासा महत्व है..
 
क्या होती चयन प्रक्रिया - आवेदकों को पहले लिखित परीक्षा में हिस्सा लेना होता है। इसकेबाद होने वाले इंटरव्यू को पास कर वे स्कॉलरशिप की पात्रता हासिल करते हैं।
 
कैस करें अप्लाई - स्कॉलरशिप एग्जाम के लिए आपको आवेदन पत्र जोनल कोऑर्डिनेटर के पास भेजना होता है। स्कॉलरशिप से संबधित बाकी जानकारियों व आवेदन के प्रारूप संबधी सूचनाएं www.nbhm.dag.gov.in पर पाई जा सकती हैं।
 
कौन हैं पात्र - वे अभ्यर्थी जो इस बेहद प्रतिष्ठित स्कॉलरशिप प्रोग्राम से जुडना चाहते हैं, उनकेपास गणित विषय में बीए, बीएससी, बीटेक, बीई, एमटेक आदि में से कोई डिग्री होना आवश्यक है (12वीं से लगातार फ‌र्स्ट डिवीजन अनिवार्य है)। यदि अभ्यर्थी बीएससी ऑनर्सहै तो सेकेंड डिवीजन छात्र भी इसमें एप्लाईकर सकते हैं।
 
अहम है राशि - इस स्कॉलरशिप प्रोग्राम में चुने गए कैंडीडेट्स को 16000 रुपए/ माह (प्रथम व द्वितीय वर्षके लिए) व बाद के सालों के लिए 18000रुपए/माह राशि प्रदान की जाती है।
 
प्रतिभा की पहचान जरूरी
जाने माने गणितज्ञ व सुपर थर्टी के संचालक आनंद कुमार मैथमेटिक्स के सरल व व्यवहारिक शिक्षण के पक्षधर हैं। वे मानते हैं कि भारत को यदि अपनी प्राचीन गणितीय परंपराओं को जारी रखना है तो बेहतर गणित शिक्षक व शिक्षण टेक्नोलॉजी पर फोकस करना होगा। पेश है आंनद कुमार से हुई हमारी बातचीत के कुछ अंश..
 
व्यवहारिक बने मैथ्स
गणित के शिक्षण को व्यवहारिक बना स्कूली स्तर पर छात्रों में गणित के प्रति उत्सुकता बढाई जा सकती है। वहीं ग्रामीण परिवेश में छात्रों की भाषा व उनके परिवेश में सवाल रचे जाएं तो बेहतर होगा।
 
व्हाई एंड हाउ को न करें नजरंदाज
आज कई छात्र फार्मूला रट कर सवाल हल कर रहे हैं। ऐसे में छात्र सवाल तो हल कर लेते हैं, लेकिन विषय की गहराई तक नहीं पहुंच पाते हैं। यदि शिक्षक व अभिभावक चाहते हैं कि उनके बच्चों की गणित में स्वाभाविक रुचि पैदा हो तो बच्चों के ऐसा कैसे हुआ? के प्रश्नों को दरकिनार न करें।
 
बेहतर टीचर हैं आवश्यक
गणित के मेधावी छात्र तभी तैयार हो सकेंगे, जब उनको दिशा देने वाले हाथ सतर्क व प्रतिभावान होंगे। लेकिन आज देश में स्कूली स्तर पर अच्छी मैथ्स फैकेल्टी का अभाव है। ऐसे में जरूरी हैकि अध्यापकों के लिए प्रभावी ट्रेनिंग कोर्स आयोजित हों, जहां उन्हें एंडवास टीचिंग मैथेड्स से अवगत कराए जाए।
 
टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल जरूरी
गणित की टीचिंग व लर्निग में टेक्नोलॉजी प्रभावी भूमिका निभा सकती है। मल्टीमीडिया, एनीमेशन, प्रोजेक्टर, कंप्यूटर गेम्स आदि की मदद से मैथ्स लर्निग आसान व इंट्रेस्टिंग बनाईजा सकती है।
 
इंटरनेशनल मैथमेटिक्स ओलंपियाड (आईएमओ)
वे छात्र जो गणित विषय में दूसरों से आगे, अपना मुकाम तलाश रहे हैं, उनक ो आईएमओ आजमाइशों का भरापूरा मंच देता है..
इंटरनेशनल मथमेटिक्स ओलंपियाड, गणित विषय की असाधारण प्रतिभाओं को मुकम्मल प्लेटफॉर्म देता है। यहां न केवल स्कूल लेवल पर गणितीय प्रतिभाओं की पहचान क ी जाती है,बल्कि उन्हें इस दिशा में बढने के लिए प्रोत्साहित भी किया जाता है।
 
कहां से हुई शुरुआत -1959 में रोमानिया से शुरू हुआ आइएमओ का सफर आज स्कूल स्तर पर दुनियाभर की गणितीय प्रतिभाओं को उनकी मंजिल दे रहा है। इस प्रतियोगिता की पूरी दुनिया में एक खास पहचान है। इसमें हिस्सा लेना ही एक विशिष्ट उपलब्धि मानी जाती है और महत्वपूर्ण परीक्षाओं में सफलता की गारंटी भी।
 
सिलेबस का ऊंचा स्तर - दरअसल इस परीक्षा के आयोजन का मतलब दि बेस्ट का चयन है। ऐसे में यहां सिलेबस निर्धारण के मापदंड काफी ऊंचे होते हैं। इसमें अमूमन अलजेब्रा, ज्योमेट्री, नंबर थ्योरी, कैलकुलस से जुडे वे सवाल शामिल हैं, जो अमूमन उच्चस्तरीय प्रतियोगी परीक्षाओं में पूछे जाते हैं।
 
कडी है चयन प्रक्रिया - विभिन्न देशों के प्रतियोगी मैथ्स से संबंधित विभिन्न तरह की परीक्षाओं को पास करने के बाद यहां आते हैं। इस कारण यहां चयन के मापदंड काफी ऊंचे हैं। शायद इसी के चलते यहां जगह बनाना काफी कठिन है। अगर भारत की बात करें, तो इस परीक्षा में शामिल होने से पहले आपको इन परीक्षाओं से गुजरना जरूरी होता है-
सर्वप्रथम स्कूल व रीजनल स्तर पर स्कूल स्टूडेंट्स के बीच प्रतियोगी टेस्ट होता है, जिसमें हर रीजन से स्टूडेंट्स चयनित किए जाते हैं।
इन छात्रो को अगले स्तर पर एक और चयन प्रक्रिया से गुजरना पडता है,जिसमें केवल 30 स्टूडेंट्स राष्ट्रीय गणित ओलंपियाड में जगह बना पाते हैं।
क्वालीफाइड छात्रों के लिए होमी भाभा सेंटर फॉर सांइस, मुंबई एक माह का मैथमेटिक्स ट्रेनिंग कैम्प आयोजित करता है। इस अवधि में इन छात्रों को पांच और सेलेक्शन टेस्ट देने होते हैं, जिसके बाद छह छात्र चुने जाते हैं।
 
फायदे कई
यह ठीक है कि अंतरराष्ट्रीय ओलंपियाड में भाग लेना का मौका चुने हुए 6 छात्रों को ही मिलता है। इसका मतलब यह कतईनहीं हैकि नेशनल ओलंपियाड में जगह बनाने वाले छात्र प्रतिभावान नहीं हैं। सरकार अलग-अलग स्तर पर इन छात्रों को स्कॉलरशिप देकर प्रोत्साहित करती है।
 
मिलता डायरेक्ट एडमिशन - आईएएमओ क्वालीफाई करने वाले छात्रों को, चेन्नईमैथमेटिकल इंस्टीट्यूट में बीएससी, मैथमेटिक्स कोर्स में सीधा प्रवेश मिलता है। इसी तरह 2008 से इन छात्रों को इंडियन स्टेटिस्टिकल इंस्टीट्यूट, बी-स्टेट, बी-मैथ्स जैसे कोर्सो में बगैर रिटन दिए सीधे इंटरव्यू में भाग लेने की सहूलियत मिल रही है।
 
अहम है वित्तीय मदद - राष्ट्रीय ओलंपियाड में क्वालीफाइड स्टूडेंट्स को स्कॉलरशिप के भी फायदे मिलते हैं। इसमें वे छात्र जो गणित के क्षेत्र में ही रह कर आगे की पढाई जारी रखते हैं, को नेशनल बोर्ड फॉर हायर एजूकेशन (एनबीएचएम) प्रति माह 2500 रुपए छात्रवृत्ति ऑफर करती है। अंतरराष्ट्रीय ओलंपियाड में गोल्ड, सिल्वर, ब्रांज मेडल जीतने वाली टीम के सदस्यों को एनबीएचएम, निजी क्षेत्र पुरस्कार व अन्य सुविधाएं देती हैं।
जेआरसी टीम

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