Atreya


Friday, December 10, 2010

                 सुनहरा करियर बेहतर सैलरी

 

 

 


सुनहरा करियर बेहतर सैलरी पेट्रोलियम की खपत और उपयोगिता से शायद ही कोई अनभिज्ञ हो। पेट्रोलियम क्षेत्र में नित नई-नई खोजें हो रही हैं और वैकल्पिक ईधन की तलाश में कई नए प्रयोग भी किए जा रहे हैं। अनवरत खोज का ही नतीजा है कि पहले लोग पेट्रोल, केरोसिन, एलपीजी और डीजल को ही जानते थे, लेकिन अब इस कडी में सीएनजी भी शामिल हो गई है। यही कारण है कि इस फील्ड में ट्रेंड प्रोफेशनल्स की काफी आवश्यकता महसूस की जा रही है। विशेषज्ञों के अनुसार, आज अगर यूथ इससे संबंधित कोर्स कर लेते हैं, तो उनके सामने नौकरी की समस्या नहीं रहेगी।
 

कोर्स और योग्यता
इस क्षेत्र में सुनहरा भविष्य बनाना चाहते हैं तो आपके सामने कई तरह के कोर्स मौजूद हैं। आप चाहें तो रिजरवायर, रिफाइनरी और ऑयल ऐंड गैस में बीई और बीटेक कर सकते हैं। बीटेक के बाद संबंधित क्षेत्रों में एमटेक भी किया जा सकता है। इसके अलावा एमटेक डुअल डिग्री करने का भी विकल्प खुला है, जो पांच साल की डिग्री है और इसमें 10+2 पास आउट छात्रों को दाखिला मिल जाता है। देश के प्रमुख संस्थानों द्वारा प्रवेश परीक्षा आयोजित की जाती है, जिसमें उत्तीर्ण होने वालों को ही प्रवेश दिया जाता है। इसके साथ ही कुछ चुनिंदा संस्थान एमएससी कोर्स भी संचालित कर रहे हैं। आप चाहें तो ऑयल ऐंड गैस मैनेजमेंट से एमबीए भी कर सकते हैं। बीटेक और बीई में बारहवीं पास छात्र दाखिला ले सकते हैं।
 

बेसिक साइंस की समझ जरूरी
इस फील्ड में अपना भविष्य तलाश रहे युवाओं के लिए इसके कामकाज का तरीका समझना अधिक जरूरी होता है। इनका काम जमीन के अंदर तेल की खोज और खुदाई, नमूनों की जांच, क्रूड ऑयल को अलग-अलग करना, प्रोसेसिंग और प्रोडक्शन करना होता है। ये फील्ड मेकेनिकल माइनिंग और केमिकल इंजीनियरिंग का मिला-जुला रूप है। इसलिए बेसिक साइंस फिजिक्स, जियोलॉजी और केमिस्ट्री के छात्र इस फील्ड को करियर के रूप में अपना सकते हैं।
 

पद और कार्य
यह फील्ड कई शाखाओं में विभाजित है। स्टूडेंट्स अपनी रुचि और योग्यता के अनुरूप जिस भी शाखा को अपनाना चाहें, अपना सकते हैं। इसके प्रमुख क्षेत्र और पद निम्न हैं:
 
प्रोडक्शन इंजीनियर : प्रोडक्शन इंजीनियर तेल के कुंओं की खुदाई होने के बाद अपने दायित्वों का निर्वहन करते हुए ईधन को सतह तक लाने के बेहतर तरीके इजाद करने का काम करते हैं। अगर चाहें तो आप इस पद पर काम कर सकते हैं।
 
ऑयल वेल-लॉग एनालिस्ट : तेल के कुओं की खुदाई के दौरान कई मापों का ध्यान रखना, ऑयल फील्ड के नमूने लेना तथा नमूनों की जांच करना होता है।
 
ऑयल ड्रिलिंग इंजीनियर : इस क्षेत्र के जानकार तेल के नए कुंओं की खुदाई की योजना बनाने के साथ-साथ इस बात की भी स्ट्रेटजी बनाते हैं कि लागत कम से कम आए।
 
ऑयल फै सिलिटी इंजीनियर : जब ईधन सतह पर आ जाता है तो ऑयल फै सिलिटी इंजीनियर उसे अलग करके, उसकी प्रोसेसिंग तथा अन्य स्थानों पर पहुंचाने का काम करते हैं।
 

मांग की अपेक्षा उत्पादन कम
पेट्रोलियम के प्रोडक्शन में भारत काफी पीछे है, लेकिन पेट्रोलियम की खपत के मामले में ये विकसित देशों से टक्कर ले रहा है। देश में मुंबई हाई, कृष्णा-गोदावरी बेसिन और असम के कुछ हिस्सों से पर्याप्त मात्रा में तेल प्राप्त होता है। तेल की खपत की बात की जाए तो भारत विश्व के शीर्ष दस मुल्कों में शामिल है। एक अनुमान के अनुसार भारत में ये तकरीबन 2 मिलियन प्रति बैरल रोजाना के आसपास है। घरेलू मांग की पूर्ति के लिए भारत दुनिया के विभिन्न देशों से लगभग 60 फीसदी तेल का आयात करता है।
 

क्या पढना होगा
मुख्य रूप से अपस्ट्रीम एवं डाउन स्ट्रीम सेक्टर, पेट्रोलियम इंडस्ट्री की शाखाएं हैं। अपस्ट्रीम में ऑयल एवं प्राकृतिक गैस का दोहन किस तरह किया जाए, इसकी जानकारी स्टूडेंट्स को दी जाती है। जबकि डाउन स्ट्रीम सेक्टर में रिफाइनिंग, मार्केटिंग एवं वितरण क्षेत्र में कैंडिडेट्स को प्रशिक्षित किया जाता है। पेट्रोलियम इंजीनियरिंग के स्टूडेंट्स क ो भौतिकी ऐंड इंजीनियरिंग एवं जियोलॉजी के सिद्घांतों के माध्यम से डेवलपमेंट तथा प्रोसेसिंग और पेट्रोलियम रिकवरी के बारे में बताया जाता है। इसके साथ ही मैकेनिक्स, ड्रिलिंग, पर्यावरण संरक्षण जैसे सब्जेक्ट भी पढाए जाते हैं।
 

संभावनाएं
एक बेहतरीन पेट्रो एक्सपर्ट के लिए केवल इंजीनियरिंग और मैनेजमेंट ही विकल्प नहीं हैं, वह माइंस की खुदाई और उसमें से खनिज और ईधन की खोज का काम भी किया जा सकता है। चाहें एग्रीकल्चर हो, परफ्यूम इंडस्ट्री हो या फिर पेंट्स इंडस्ट्री इस तरह के सभी उद्योग-धंधे पेट्रोलियम पर ही निर्भर करते हैं। लुब्रीकेंट्स, पेस्टीसाइड्स, कीटनाशक, केरोसिन, वैक्स और दूसरी तमाम तरह की चीजें किसी न किसी तरह पेट्रोलियम से ही बनी हैं। मार्केटिंग में भी इसकी संभावनाएं बेहद अधिक हैं। जब यहां पेट्रो प्रोडक्ट का इस्तेमाल ज्यादा है, तो इसका भविष्य भी उज्ज्वल है। यही कारण है कि भारत को आज रिफाइनिंग हब कहा जाने लगा है। इंडियन ऑयल, भारत पेट्रोलियम, ओएनजीसी, रिलायंस, अदानी एस्सार और केयर्स एनर्जी जैसी कई बडी कंपनियां पेट्रो प्रोफेशनल्स को शानदार सैलरी पैकेज पर नौकरियों के ऑफर दे रही हैं। इस समय तकरीबन भारत में 15 लाख से ज्यादा लोग किसी ने किसी तरह इस फील्ड से जुडे हैं। एक अनुमान के मुताबिक, केवल भारत में ही हर साल तकरीबन आठ लाख प्रोफेशनल्स की मांग है। विकल्प के रूप में आपके लिए यूरोप के साथ ही खाडी देशों के भी दरवाजे खुले हैं। अब तक इस फील्ड में सिर्फ जियोलॉजिस्ट और केमिकल इंजीनियरों का ही दबदबा था, लेकिन बढती मांग और फील्ड के विस्तार के साथ विभिन्न क्षेत्रों में इससे संबंधित एक्सपर्ट तैयार हो रहे हैं। कहने का आशय यह है कि पेट्रोलियम इंडस्ट्री अब काफी बडा रूप ले चुकी है। यह एक पेट्रोल पंप से रिफाइनरी डिपो और मल्टीनेशनल कंपनियों तक फैल चुका है। आजकल पेट्रोल पंप मॉल्स की शक्लो-सूरत ले चुके हैं, जहां आपको सुपरवाइजर से लेकर मैनेजर तक की जॉब्स मिल सकती हैं।
 

सैलरी
इस तरह के प्रोफेशनल की मांग देश ही नहीं, विदेशों में भी काफी है। यदि आपके पास पेट्रोलियम सेक्टर से संबंधित डिग्री या डिप्लोमा है और आप अनुभवी हैं तो अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बेहतर पैकेज पर हाथों-हाथ नियुक्ति पत्र मिल सकता है। फेशर्स की सैलरी कंपनी और उसकी योग्यता पर निर्भर करती है। वैसे ट्रेंड एवं फेशर्स भी तीन लाख से लेकर पांच लाख रुपये तक सलाना पैकेज आसानी से हासिल कर लेते हैं। सरकारी एवं निजी क्षेत्र की कंपनियों में भी आकर्षक सैलरी उपलब्ध है। इस फील्ड के ट्रेंडों का पैकेज विदेशों में कई गुना हो जाता है। यदि विदेश की तरफ रुख करना चाहते हैं, तो अंग्रेजी का बेहतर ज्ञान जरूरी है।
 

कहां से करें कोर्स
आईआईटी, चेन्नई।
लखनऊ विश्वविद्यालय, लखनऊ।
राजीव गांधी इंस्टीट्यूट ऑफ पेट्रोलियम टेक्नोलॉजी, रायबरेली।
यूनिवर्सिटी ऑफ पेट्रोलियम ऐंड एनर्जी स्टडीज, देहरादून।
बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय, वाराणसी।
इंडियन स्कूल ऑफ माइंस, धनबाद।
पुणे विश्वविद्यालय, पुणे।
महाराष्ट्र इंडस्ट्री ऑफ टेक्नोलॉजी, पुणे।
पंडित दीन दयाल उपाध्याय यूनिवर्सिटी, गांधी नगर।
अलीगढ मुस्लिम विश्वविद्यालय अलीगढ, उत्तर प्रदेश।
( दैनिक जागरण )





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