Atreya


Saturday, October 2, 2010

सिविल सर्विसेज परीक्षा मेन्स के लिए फाइनल टच




सिविल सर्विसेज परीक्षा
मेन्स के लिए फाइनल टच मुख्य परीक्षा सेमीफाइनल की तरह होती है। यदि आप इसमें सफल होते हैं, तो आपको इंटरव्यू के रूप में फाइनल में प्रवेश का टिकट मिल जाता है। इस दौड में आपके साथ योग्य और गंभीर स्टूडेंट्स ही होंगे। इसके अलावा इस परीक्षा में डॉक्टर, इंजीनियर भी चयनित होते हैं। उनके प्रोफेशनल नॉलेज बेस के समकक्ष आना होगा। इसलिए आपको अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करना ही होगा। यह आप तभी कर पाएंगे, जब आप इस बचे हुए समय का सही उपयोग करते हुए अधिक से अधिक सिलेबस का गहन अध्ययन करेंगे।
 
किस तरह की परीक्षा
सिविल सेवा की मुख्य परीक्षा में कैंडिडेट्स को लिखित परीक्षा देनी पडती है। यह परीक्षा निबंधात्मक शैली के माध्यम से ली जाती है। इस चरण के लिए कैंडिडेट्स को नौ प्रश्नपत्र देने होते हैं। लिखित परीक्षा के लिए दो हजार अंक निर्धारित हैं। सिविल सर्विसेज मुख्य परीक्षा में सभी अभ्यर्थियों को दो वैकल्पिक विषय, सामान्य अध्ययन, निबंध, कोई एक भारतीय भाषा तथा सामान्य अंग्रेजी की परीक्षा से गुजरना होता है। इसमें दोनों वैकल्पिक विषय, सामान्य अध्ययन और निबंध के प्राप्तांक मैरिट लिस्ट निर्धारित करते हैं, वहीं सामान्य हिंदी तथा सामान्य अंग्रेजी के प्रश्नपत्र में क्वालीफाइंग मा‌र्क्स लाना जरूरी है।
 
करें जीएस की तैयारी
आधुनिक भारत का इतिहास एवं भारतीय संस्कृति के लिए स्टूडेंट्स सामाजिक सुधारों एवं स्वतंत्रता आंदोलन के निर्माण में महत्वपूर्ण व्यक्तित्व से संबंधित प्रश्नों का खूब अभ्यास करें। भारतीय राजव्यवस्था के तहत भारत के संविधान, राजनीतिक व्यवस्था से संबंधित प्रश्न जरूर पढें। जीएस के द्वितीय प्रश्नपत्र में स्टूडेंट्स को विदेशी मामले, नाभिकीय नीति, विदेशों में भारतीयों से संबंधित प्रश्नों पर पैनी नजर रखना जरूरी है। स्टूडेंट्स को भारत में पंचवर्षीय योजना और आर्थिक विकास, आर्थिक एवं व्यापार संबंधी विषय, विदेशी व्यापार,अन्तर्राष्ट्रीय मुद्राकोश, विश्वव्यापार संगठन के अलावा विज्ञान और प्रौद्योगिकी, संचार और अंतरिक्ष के क्षेत्र में होने वाले विकास तथा कम्प्यूटर की मूल अवधारणा के बारे में विस्तार से तैयारी करने की जरूरत है। सिविल सेवा परीक्षा में सांख्यिकीय विश्लेषण, ग्राफ एवं आरेख के प्रश्न होते हैं। सांख्यिकी में माध्य, माध्यिका, बहुलक तथा आंकडों के ग्राफिक्स, प्रस्तुतिकरण व सारणीबद्धता से संबंधित प्रश्न ही सामान्यत: पूछे जाते हैं। इसके लिए बेहतर विकल्प होगा कि आप पिछले दस वर्षो के सांख्यिकी के प्रश्नपत्रों को हल करें। इससे आपकी तैयारी बेहतर हो जाएगी। द्वितीय प्रश्न पत्र समसामयिक मुद्दों तथा विज्ञान प्रौद्योगिकी आदि टॉपिक के कारण ज्यादा डाइनेमिक हो जाता है। सम-सामयिक प्रश्नों की तैयारी के लिए अभ्यर्थी नए व स्तरीय मैटेरियल्स का अब भी अध्ययन कर सकते हैं। शेष बचे समय में निर्धारित समय के अंदर उत्तर लेखन उपयोगी हो सकता है।
 
वैकल्पिक विषय
विशेषज्ञ बताते हैं कि अब दोनों वैकल्पिक विषयों के सिर्फ कोर एरिया के महत्वपूर्ण सेक्शन को ही पढा जाना चाहिए। अब कुछ भी नया पढना अभ्यर्थियों के लिए घातक हो सकता है। शेष बचे समय का सही उपयोग तथा संग्रहित मुख्य बिंदुओं का रिविजन फायदेमंद हो सकता है। वैसे तो सभी वैकल्पिक विषय के लिए अलग-अलग स्ट्रेटेजी बनानी पडती है, लेकिन ओवरऑल यदि आपका वैकल्पिक विषय साइंस है, तो इसमें फंडामेंटल काफी महत्व रखते हैं। लगभग सभी साइंस विषय में चित्र, फार्मूला आदि के अलावा यदि आप उत्तर साइंटिफिक तरीके से टू दी प्वाइंट देते हैं, तो आपके बेहतर अंक मिल सकते हैं। कॉमर्स सब्जेक्ट्स में करेंट आर्थिक गतिविधियों और नए टैक्स कानूनों के अलावा लेटेस्ट इकोनॉमिक सर्वे, बजट में प्रोविजन्स, आरबीआई की मॉनिटरी, क्रेडिट पॉलिसी, सरकार की नई आर्थिक नीति, ग्लोबल इकोनॉमिक के बदलते परिदृश्य से संबंधित प्रश्नों को ध्यान से पढें। आ‌र्ट्स विषय में भाषा महत्वपूर्ण है। यदि भाषा पर पकड है और सारगर्भित उत्तर लिखने का अभ्यास करते हैं, तो आप अच्छा स्कोर कर सकते हैं। इसकी तैयारी के लिए अभ्यर्थी पिछले वर्षो के प्रश्नों से अभ्यास कर सकते हैं। इतिहास में संकल्पना पर आधारित प्रश्नों को याद करने की कोशिश करें। इसी तरह भूगोल में एटलस महत्वपूर्ण होता है। एटलस के माध्यम से भौतिक स्थलाकृत्तियों, भौगोलिक संरचनाओं, महत्वपूर्ण नगर आदि की सूची बनाकर उन्हें मैप पर चिह्नित करने का अभ्यास करना बेहतर होगा।
 
निबंध लिखें टू दी प्वाइंट
अंतिम 25-30 दिनों में निबंध की तैयारी की रणनीति क्या होनी चाहिए? इस सवाल के जवाब में विशेषज्ञों का कहना है कि अभ्यर्थियों को पूर्व में अपनी रुचि तथा पकड के हिसाब से चयनित टॉपिक पर एकत्रित किए गए पाठ्य सामग्री/मैटेरियल्स के मुख्य बिंदुओं का बार-बार रिविजन करना चाहिए। अभ्यर्थियों को शेष बचे समय में सप्ताहांत में तीन-चार निबंध लिखकर अपने सीनियर्स या विशेषज्ञ से इस संबंध में सलाह लेनी चाहिए। यदि आप परीक्षा में पूछे गए निबंध को देखेंगे, तो सामान्य तौर पर निबंध के क्षेत्र महिलाओं के विषय से संबंधित, साहित्य क्षेत्र, विज्ञान व प्रौद्योगिकी विषयों से संबंधित, समकालीन मुद्दों खासकर विशेष आर्थिक क्षेत्र, नगरीकरण, पर्यावरण आदि से संबंधित तथा एक निबंध जीवन-जगत के दार्शनिक पहलुओं से संबद्ध उच्च चिंतन का होता है। इनमें से किसी एक विषय पर हिंदी या अंग्रेजी में लिखना होता है। अभ्यर्थियों से अपेक्षा की जाती है कि निबंध टू दी प्वाइंट हो तथा कम से कम शब्दों में सभी महत्वपूर्ण बातें शामिल हों। बेहतर अंक प्राप्त करने के लिए सबसे पहले निबंध के विषय क्षेत्र को चयनित करना जरूरी है। कई सफल अभ्यर्थियों का कहना है कि चयनित निबंध की भूमिका एवं निष्कर्ष को परीक्षा भवन में पहले रफ में लिख लेना चाहिए। इसके बाद उसमें पर्याप्त संशोधन के साथ पुन: निबंध लेखन हेतु फेयर के तौर पर प्रयुक्त किया जाना चाहिए। निबंध में कोटेशन इत्यादि का विशेष महत्व नहीं होता है। निबंध लिखने के पूर्व विचारों को संयोजित करने के लिए प्रश्नों का फ्रेम अवश्य बनाएं, जिससे ऐसा प्रतीत हो कि लिखा गया निबंध किसी विषय विशेषज्ञ का है। यदि आप कुछ बातों का ध्यान रखेंगे, तो आपका निबंध स्कोरिंग हो सकता है:
तकनीकी शब्दाबली पर पकड
विषयवस्तु में कमांड
चुने गए विषय के साथ उसकी प्रासंगिकता
रचनात्मक तरीके से सोचने की योग्यता ।
विचारों की संक्षेपता एवं युक्तिसंगत प्रस्तुति।
 
क्वालीफाइंग सब्जेक्ट्स
ऐसा देखा जाता है कि तैयारी के दौरान टाइम की तकरीबन पूरी शिफ्टिंग मैरिट सूची निर्धारित करने वाले विषयों की ओर हो जाती है और सामान्यत: क्वालीफाइंग विषयों की तैयारी उपेक्षित हो जाती है। इसका परिणाम यह होता है कि पूरी तैयारी के बावजूद भी वे प्रतियोगिता से बाहर हो जाते हैं, क्योंकि इन विषयों में बिना क्वालीफाई किए शेष विषयों की कॉपी नहीं जांची जाती है। इन विषयों की तैयारी विगत 10 वर्षो में पूछे गए प्रश्नों से की जा सकती है।
 
क्या हो मास्टर प्लान
इस समय बेहतर होगा कि आप प्रश्नों की प्रकृति को अच्छी तरह से समझ लें। उदाहरण के लिए परीक्षा में प्रश्नों में समीक्षात्मक, मूल्यांकनात्मक, विवरणात्मक, तुलनात्मक, आलोचनात्मक आदि से संबंधित पूछे जाते हैं। यदि आप इसे अच्छी तरह नहीं जानेंगे, तो बेहतर और सही उत्तर लिखने में समस्या आ सकती है। इसके साथ ही देश-विदेश में घटित घटनाओं पर बारीक नजर रखें और नोट्स भी बनाते चलें। विभिन्न एंगिल से प्रश्न बनाकर खूब अभ्यास करें, फिर अभ्यास के दौरान जो उत्तर दिए हैं, उनके प्रस्तुतिकरण पर ध्यान दें। विशेषकर कॉलम के अंदर लिखने का प्रयास करें। यह समय काफी महत्वपूर्ण है। इस कारण वह अपने दिमाग में करो या मरो जैसी मानसिकता को न पनपनें दें, बल्कि कू ल माइंड होकर बनाई गई रणनीति के तहत विषयवार पढाई करे। अभ्यर्थी घर में ही अपने कक्ष में परीक्षा जैसा महौल तैयार कर स्वयं का टेस्ट लेकर पहले खुद कॉपी चेक करे और नंबर दे। यदि आसपास सीनियर्स या किसी विशेषज्ञ का अच्छा नोट्स हो, तो उससे मिलान करें कि आपका उत्तर किस स्तर का है। सिविल सेवा परीक्षा में समय प्रबंधन भी जरूरी है। इस कारण निर्धारित समय-सीमा के अंदर निर्धारित शब्द-सीमा में लिखने का खूब अभ्यास करें।
 
कैसे बनें आईएएस
सिविल सेवा परीक्षा का महत्व ब्रिटिश काल से है। उस समय इस परीक्षा को आईसीएस यानी कि इंडियन सिविल सर्विसेज के नाम से जाना जाता था। आईएएस को ब्रिटिश काल में कलक्टर कहा जाता था। इसे ब्रिटिश साम्राज्य का स्टील फ्रेम भी कहा जाता है। आज भी इसका महत्व कम नहीं हुआ है, बल्कि और बढ ही गया है। आईएएस देश की पॉलिसी मेकिंग और सिविल एडमिनिस्ट्रेशन में सक्रिय योगदान देते हैं। यही कारण है कि इस सेवा का क्रेज अभी भी बरकरार है।
 
कब होती है परीक्षा
इस परीक्षा में एंट्री के लिए संघ लोकसेवा आयोग (यूपीएससी) हर वर्ष अखिल भारतीय स्तर पर परीक्षा का आयोजन करता है। इस परीक्षा के आधार पर ही आईएएस, आईपीएस, आईएफएस तथा एलायड सर्विसेज के क्लास वन अधिकारी चुने जाते हैं। प्रारंभिक परीक्षा अमूमन मई में तथा मुख्य परीक्षा अक्टूबर में होती है।
 
योग्यता
सभी पदों के लिए किसी मान्यता प्राप्त संस्थान या यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएट होना अनिवार्य है। सामान्य कैंडिडेट के लिए उम्र-सीमा 21 से 30 वर्ष निर्धारित है। आरक्षण के दायरे में आनेवाले अभ्यर्थियों को नियमानुसार अधिकतम उम्र सीमा में छूट का प्रावधान है।
 
परीक्षा का स्वरूप
इस परीक्षा के तीन चरण प्रारंभिक परीक्षा, मुख्य परीक्षा और इंटरव्यू होते हैं। प्रारंभिक परीक्षा स्क्रीनिंग टेस्ट है। अगले वर्ष प्रारंभिक परीक्षा में वैकल्पिक विषय के बदले एप्टीट्यूड टेस्ट लिया जाएगा। इसे उत्तीर्ण करने वाले अभ्यर्थियों को मुख्य परीक्षा का गेट पास मिलता है। इसमें सफल होने के बाद साक्षात्कार के लिए बुलाया जाता है, जिसके लिए 300 अंक निर्धारित हैं। मेरिट लिस्ट मुख्य परीक्षा और इंटरव्यू के अंक को जोडकर बनाया जाता है।
 
आदर्श समय
वैसे तो किसी भी परीक्षा की तैयारी को समय-सीमा में बांधना उचित नहीं है, लेकिन यदि आप तैयारी ग्रेजुएशन के साथ करते हैं, तो आपकी तैयारी बेहतर हो सकती है। दो वैकल्पिक विषय का चयन यदि आप प्रारंभिक स्तर पर कर लेते हैं, तो मुख्य परीक्षा में आप औरों के मुकाबले बेहतर स्कोर करने में सफल हो सकते हैं। यदि आपने ग्रेजुएशन के बाद विषय का चयन किया है, तो आपके लिए जरूरी है कि आप प्रीलिम्स से कम से कम एक वर्ष पहले ही अपने विषयों की एक बार तैयारी करे लें और प्रारंभिक परीक्षा के बाद तैयारी के लिए जी जान से लग जाएं। इसके अलावा देश-विदेश की प्रमुख घटनाओं, संधियों और अर्थव्यवस्था से संबंधित खबरों को पढने की आदत डेवलप करें। अंग्रेजी मजबूत करने के लिए एक अंग्रेजी अखबार का अध्ययन नियमित करें।
 
कैसे चुनें वैकल्पिक विषय
यदि सब्जेक्ट में रुचि है, तो सिलेबस को ध्यान से देखें और यह जानने की कोशिश करें कि क्या सब्जेक्ट से संबंधित बुक्स और स्टडी मैटेरियल आसानी से आपकी अपनी भाषा में उपलब्ध है। यदि है, तो यह भी देखें कि क्या आपके आसपास मार्गदर्शन के लिए कोचिंग संस्थान या एक्सप‌र्ट्स हैं, जो आपको समय पडने पर अच्छी तरह गाइडेंस दे सकें। यह भी देखें कि सब्जेक्ट में सफलता की दर कितनी है?
 
मुख्य परीक्षा एक नजर में
मुख्य परीक्षा निबंधात्मक शैली से ली जाती है। प्रमुख प्रश्नपत्र हैं : विषय अंक 1.संविधान की आठवीं अनुसूची में सम्मिलित कोई एक भाषा 300 2.अंग्रेजी 300 3.निबंध 200 4.सामान्य अध्ययन 600 5.वैकल्पिक विषय 1200
जेआरसी टीम  ( दैनिक जागरण )

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